सोनभद्र उत्तर प्रदेश, भारत का दूसरा सबसे बड़ा जिला है। सोनभद्र भारत का एकमात्र जिला है जो मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ झारखंड और बिहार के चार राज्यों से है। सोनी के लोकप्रिय टीवी शो कौन बनेगा करोड़पति में यही सवाल करीबन 50 लाख की राशि पर पूछा गया था।
यह जिला, विंध्य पर्वत के दक्षिण - पूर्वी सीमा में स्थित है और यहां पूर्व से पश्चिम की ओर सोन नदी बहती है। सोनभद्र पर्यटन में विशाल सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व है और यहां कई प्राचीन स्मारकों, किलों और इमारतों का घर है।
सोनभद्र विंध्य और कैमूर पहाड़ियों के बीच स्थित है, और इसके टोपोलॉजी और प्राकृतिक पर्यावरण को देखने के बाद भारत के प्रथम प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू ने सोनभद्र की खूबसूरती देखते हुए इसे भारत का स्विट्ज़रलैंड के रूप में संदर्भित किया था।
सोनभद्र में कई दिलचस्प स्मारक और इमारतें हैं जिन्हे जिले के महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों में से गिना जाता है। यहां कई पुराने किले, जीवाश्म पार्क, मंदिर ,के अलावा यह शहर कला प्रेमियों और प्रकृति से प्रेम करने वाले पर्यटकों को सदैव यहां के भ्रमण के लिए आमंत्रित करता है। आइये जानते हैं सोनभद्र में घूमने के कुछ खास स्थानों के बारे में
विजयगढ़ का किला
Pc:Nandanupadhyay
ये नाम सुनकर कुछ याद आया आपको, अगर नहीं याद आया तो आपको बता दें ये वही विजयगढ़ है,जो कभी नौगढ़ का दुश्मन हुआ करता था, और यहां की राज-कुमारी चन्द्रकांता नौगढ़ के राजकुमार से प्यार कर बैठी थी। बता दें, विजयगढ़ के इस किले सोनभद्र जिले के कोल राजाओं ने इसका निर्माण करवाया था। इस किले की अनूठी विशेषता, किले में बने गुफा चित्र, मूर्तियां, चट्टानों पर लिखे शिलालेख और चार बारहमासी तालाब है। किले के मुख्य द्वार पर एक मुस्लिम संत की कब्र बनी हुई है, इन संत का नाम सैय्यद जैन- उल - अबदीन मीर साहिब है जो हज़रत मीरान साहिब बाबा के नाम से विख्यात है। इस किले के पास दो लैंडमार्क स्थित है जिन्हे मीरा सागर और राम सागर के नाम से जाना जाता है। इन दोनों के मध्य रंग महल पैलेस है जो खूबसूरत चट्टानी नक्काशियों के लिए जाना जाता है। कावंरिया या शिव भक्त, अपने घरों से पैदल जाते है और राम सागर से पानी लेकर शिवलिंग के ऊपर रखते है। यह यहां का प्रचलित रिवाज है।
नौगढ़ का किला
जी हां हमने नौगढ़ और विजयगढ़ की तकरार की कहानी टीवी शो चन्द्रकान्ता में देखी है, जो कुंवर विजय गढ़ की रानी को दिल दे बैठा था। नौगढ़ किले का निर्माण काशी नरेश ने करवाया था। इस किले के उत्तर - पश्चिमी दिशा में एक पर्वत स्थित है जिसे गेरूवाटवा पहर कहा जाता है, यह पर्वत धातु और खनिज अपशिष्ट पदार्थो और भट्टियों के अवशेष से भरा पड़ा है। एक छोटी सी धारा के दोनो तरफ स्लैग पाया जाता है जो करमान्सा नदी से जुड़ता है और एक आकर्षक झरने के रूप में गिरता है। आगे बढ़कर यह झरना, एक धारा में परिवर्तित हो जाता है जो नौगढ़ किले के उत्त्र पूर्वी हिस्से में बहता है। यकीन मानिये इन दोनों किलों की सैर करते हुए आपको अपने बचपन के दिन और चन्द्रकान्ता शो का टाइटल ट्रैक भी गूंजने लगेगा।
अगोरी का किला
अगोरी किला रेनूकोट रोड पर रॉबर्ट्सगंज से 35 किमी. दूरी पर और चौपन से 10 किमी. दूरी पर स्थित है। अगोरी किले पर वास्तविक अधिकार खारवार शासकों का था, बाद में किले पर चंदेल वंश के शासकों ने आधिपत्य जमा लिया। इस किले को आदिवासी किला भी कहा जाता है क्योंकि इसके अन्तिम शासक एक आदिवासी राजा ही थे। यह किला, तीन दिशाओं में तीन नदियों से घिरा हुआ है जिनके नाम विजुल, रेगु और नदी पुत्र है। यह किला, नदी पुत्र के तट पर बना हुआ है। इसे हमले से सुरक्षित बनाने के लिहाज से इसके तीनों तरफ नदी के सिरों पर बनाया गया था। पर्यटक, रिहंद नदी के रास्ते से नाव की सैर करते हुए किले तक पहुंच सकते है।
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शिव मंदिर
भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित को यह मंदिर बेहद प्राचीन बताया जाता है। यह मंदिर उस काल के शिल्प कौशल के बेहतरीन नमूने और शानदार कला का प्रदर्शन करता है। यह मंदिर, मौद्रिक मूल्य के संदर्भ में भी बहुत कीमती है। यह मंदिर, क्षेत्र के सबसे प्रतिष्ठित मंदिरों में से एक है। इस क्षेत्र के निवासी इस मंदिर को धार्मिक महत्व के कारण दूसरी काशी के रूप में मानते है। हर साल शिवरात्रि के दौरान इस मंदिर में भारी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते है, सावन के महीने में खासकर सोमवार के दिन यहां काफी भीड़ रहती है। कांवरिया इस मंदिर तक धार्मिक सफर तय करते है और यहां से पवित्र जल ले जाते है।
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