ओडिशा के पुरी में आज यानी 14 जुलाई से जगन्नाथ रथ यात्रा शुरू हो रही है, जो 10 दिनों तक चलेगी। हर साल यह पवित्र यात्रा आषाढ मास के शुक्ल पक्ष के दौरान निकाली जाती है। पूरे भारत वर्ष में जहां जहां प्रभु जगन्नाथ विराजमान हैं, उनकी ये रथ यात्रा निकाली जाती है। लेकिन पुरी में उनका मुख्य स्थान है, इसलिए यहां की रथ यात्रा सबसे भव्य और बड़ी मानी जाती है, जिसमें शामिल होने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं।
बता दें कि जगन्नाथ पुरी भारत के चुनिंदा सबसे पवित्र धार्मिक स्थलों में से एक है। ये स्थल भारत के चार धामों (बद्रीनाथ, द्वारिका, रामेश्वरम और जगन्नाथ) में शामिल है। आगे जानिए इस रथ यात्रा से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें, और साथ में जानिए आसपास स्थित महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थलों के बारे में।
इस तरह निकलती है यात्रा
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प्रभु जगन्नाथ को इस सृष्टि का नाथ यानी भगवान माना जाता है। जगन्नाथ भगवान कृष्ण का ही एक रूप हैं, जो 16 कलाओं में निपुण हैं। इस भव्य रथ यात्रा का आयोजन कई सालों से किया जा रहा है, जिसके अंतर्गत भगवान की प्रतिमा को सजा-धजा कर रथ में बैठाया जाता है, जिसके बाद पारंपरिक वाद्ययंत्रों व मंत्रों के उच्चारण के साथ रथ को मोटे-मोटे रस्सों से खींचा जाता है। इन रथों को हजारों लोग मिलकर खींचते हैं। परंपरा के अनुसार सबसे पहला रथ बलभद्र का निकलता है, उसके बाद सुभद्रा और अंत में प्रभु जगन्नाथ का रथ।
पौराणिक मान्यता के अनुसार गुंडिया मंदिर भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर माना जाता है, जहां जाकर रथ यात्रा संपन्न मानी जाती है। गुंडिया मंदिर वो पौराणिक स्थल है जहां भगवान विश्वकर्मा द्वारा तीन देव प्रतिमाओं का निर्माण किया गया था। आगे जानिए रथ यात्रा में शामिल होने के अलावा आप कौन से अन्य स्थलों का भ्रमण कर सकते हैं।
जगन्नाथ मंदिर
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वैसे तो आप पुरी जगन्नाथ मंदिर किसी समय आ सकते हैं, पर इस मंदिर की भ्व्यता रथ यात्रा के दौरान ज्यादा देखने को मिलती हैस जिस वक्त इस मंदिर को आकर्षक तरीके से सजाया जाता है। इस दौरान विश्व भर से लोग इस महोत्सव में शामिल होने के लिए आते हैं। रात में इस मंदिर की भव्यता देखते ही बनती है, चमचमाती रोशनियों, दिये-चरागों के साथ यह मंदिर अपना दिव्य रूप प्रकट करता है।
जगन्नाथ पुरी मंदिर का निर्माण 11 शताब्दी में करवाया गया था। भारत के चार धामों में शामिल इस मंदिर का भ्रमण आपको जरूर करना चाहिए।
साक्षी गोपाल मंदिर
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जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान आप आसपास के खास मंदिरों और स्थलों की सैर का प्लान बना सकते हैं। आप जगन्नाथ मंदिर से लगभग 20 किमी की दूर पर स्थित साक्षी गोपाल मंदिर के दर्शन कर सकते हैं। यह मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है। पौराणिक मान्यता के अनुसार यहां स्थापित प्रतिमा को भगवान कृष्ण को पोते वज्र ने सालों पहले वृंदावन में रख दिया था, माना जाता है कि जिसके बाद खुद प्रभु वृंदावन से यहां चलकर आए। इस मंदिर की सरंचना काफी हद तक जगन्नाथ मंदिर से मिलती है।
कोणार्क सूर्य मंदिर
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साक्षी गोपाल मंदिर के अलावा आप ओडिशा के प्रसिद्ध मंदिर कोणार्क सूर्य मंदिर की सैर कर सकते हैं। 13वीं शताब्दी में राजा नरसिंह द्वारा निर्मित यह मंदिर अपनी अद्भुत वास्तुकला और नक्काशी के लिए जाना जाता है। यह मंदिर एक विशाल रथ के सामान दिखता है, जिसमें विशाल पहिए भी बनाए गए हैं।
कला की दृष्टि से यह एक खास स्थल है जिसे देखने के लिए दूर-दराज से सैलानी यहां तक का भ्रमण करते हैं। अगर आप इतिहास में दिलचस्पी रखते हैं तो यहां का भ्रमण जरूर करें।
चिल्का झील
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उपरोक्त स्थानों के अलावा आप ओडिशा की प्रसिद्ध चिलका झील का भ्रमण कर सकते हैं। 110 वर्ग किमी में फैली 'चिल्का झील' विश्व की दूसरी सबसे बड़ी समुद्री झील मानी जाती है। यह झील असंख्य जलीय जीवों का निवास स्थान है। यहां लगभग 200 से ज्यादा मछलियों की प्रजाति पाई जाती है। यह एक खास झील है जो कई हजार ग्रामीणों का भरण-पोषण करती है। सुबह होते ही आपको यहां मछुवारों की नाव दिखनी शुरू हो जाएंगी। एक प्रकृति प्रेमी के लिए यह स्थान किसी जन्नत से कम नहीं। यहां से सूर्योदय और सूर्यास्त देखना काफी सुखद एहसास कराता है। ये थे पुरी के नजदीक कुछ खास स्थल जिनका भ्रमण आप जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान कर सकते हैं।