उत्तर प्रदेश का प्राचीन और पौराणिक शहर इलाहाबाद प्रयाग के नाम से ज्यादा मशहूर है, जो देश में हिन्दूओं के सबसे महत्वपूर्ण तीर्थस्थलों में से एक है। यह शहर अपने संगम स्थल के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है,जहां पवित्र नदी गंगा, यमुना और सरस्वती का मिलन होता है। यह शहर भारत का दूसरा सबसे पुराना शहर भी है जिसकी उत्पत्ति वैदिक काल के बाद की बताई जाती है। इतिहास पर और गहराई से नजर डालें तो पता चलता है कि शहर का वर्तमान नाम इलाहाबाद 1583 में मुगल सम्राट अकबर ने रखा था, जिसका शाब्दिक अर्थ (उर्दू) होता है 'अल्लाह का बाग'।
इस शहर का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में उस खास स्थल के रूप में किया गया है जहां भगवान ब्रह्मा ने एक बलिदान अनुष्ठान का आयोजन किया था। इस खास लेख में जानिए उन प्रसिद्ध स्थलों के बारे में जो इस शहर को खास बनाने का काम करते हैं, जिनके बिना इलाहाबाद भ्रमण अधूरा है।
त्रिवेणी संगम
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त्रिवेणी संगम इलाहाबाद का सबसे महत्वपूर्ण और प्रमुख स्थल है जिसकी वजह से यह शहर पहचाना जाता है। दूर-दूर से सैलानी इस संगम स्थल को हो देखने के लिए आते हैं। त्रिवेणी संगम भारत की 3 सबसे प्रमुख नदियों गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम स्थल है। तीन पवित्र नदियों का मिलन इस स्थान को दैवीय रूप प्रदान करता है। इन नदियों की पहचान इनके रंग से की जा सकती है।
गंगा का साफ स्वच्छ रंग, यमुना नदी का हरा रंग और सरस्वती की उपस्थिति केवल पानी के नीचे महसूस किया जा सकता है। इस संगम स्थल पर 12 वर्षों में एक बार आयोजित होने वाला महाकुंभ का मेला लगता है। जिसमें असंख्य श्रद्धालु पवित्र स्नान के लिए यहां आते हैं।
इलाहाबाद किला
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जैसा कि बताया गया है कि यह एक ऐतिहासिक शहर है इसलिए यहां अतीत से जुडे़ कई साक्ष्यों को वर्तमान में भी देखा जा सकता है। ऐतिहासिक पर्यटन के लिहाज से आप इलाहाबाद फोर्ट की सैर का आनंद ल सकते हैं। इतिहास के जानकारों का मानना है कि इस किले का निर्माण महान सम्राट अशोक ने करवाया था लेकिन बाद में मुगल सम्राट अकबर ने इस किले पर कब्जा कर इसकी मरम्मत(1583) करवाई थी। यह विशाल किला त्रिवेणी संगम स्थल के पास स्थित है, जिसे अकबर के विशाल किलों में गिना जाता है।
सुरक्षा के लिए अकबर ने यहां तीन वॉच टावर का निर्माण करवाया था जो किले परिसर की निगरानी करते थे। किले के अंदर महत्वपूर्ण स्मारक और भवन मौजूद हैं। आप अंदर महिलाओं के लिए बनवाया गया एक जनाना महल, सरस्वती कूप और तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व अशोक स्तंभ देख सकते हैं।
खुसरो बाग
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अतीत से जुड़े स्थलों में आप यहां स्थित खुसरो बाग की सैर का प्लान बना सकते हैं। खूबसूरत बगीचों वाला यह बाग तीन मकबरो का घर है जिनका निर्माण मुगल शैली में करवाया गया था। यहां मौजूद तीन मकबरे मुगल सम्राट जहांगीर के बड़े बेटे खुसरू मिर्जा और उनकी पहली पत्नी शाह बेगम और बेटी नितर बेगम के हैं।
इस बाग का नाम खुसरू मिर्जा ने नाम रखा गया है, जिसने अपने पिता के खिलाफ विद्रोह किया और जिसे मृत्यु के बाद इन्हीं तीन मकबरों में परिवार के साथ दफन किया गया। इन मकबरों की खूबसूरती देखने लायक है, मुगल वास्तुकला के साथ पत्थर पर की गई नक्काशी सैलानियों को प्रभावित करती है।
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आनंद भवन
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इलाहाबाद की खूबसूरती को और करीब से समझने के लिए आप यहां के आनंद भवन की सैर कर सकते हैं। इस भवन का निर्माण सन् 1930 के दौरान भारतीय नेता मोतीलाल नेहरू द्वारा नेहरू परिवार के निवास स्थान के रूप में किया था। इस भवन को स्वराज भवन के नाम से भी जाना जाता है जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को दान में दिया गया था। 1970 के में यह भवन इंदिरा गांधी ने भारतीय सरकार के हवाले कर दिया था।
आज यह भवन एक महत्वपूर्ण संग्रहालय के रूप में जाना जाता है, जो नेहरू परिवार के जीवन और उस दौर को भलि भांति प्रदर्शित करता है। यहां एक जवाहर नक्षत्र-भवन भी है जो यहां की यात्रा के दौरान देखने योग्य है।
ऑल सेंट्स कैथेड्रल
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उपरोक्त स्थानों के अलावा आप यहां अंग्रेजों द्वारा बनाए गए ऑल सेंट्स कैथेड्रल की सैर का आनंद ले सकते हैं। सभी संतों कैथेड्रल अंग्रेजों द्वारा बनाया गया था और 1887 में पवित्र किया गया था और 4 साल बाद पूरा हो गया था। यह एक विशाल चर्च है जिसे 1887 में पवित्र किया गया था और चार साल बाद इसके निर्माण कार्य को पूरा किया गया था। 31 मीटर ऊंची यह सरंचना 13 वीं शताब्दी के दौरान की गॉथिक पुनरुद्धार वास्तुकला को पदर्शित करती है।
लगभग 1250 वर्ग मीटर का क्षेत्र में बनी यह विशाल चर्च औपनिवेशिक भारत की सबसे मुल्यवान इमारतों में गिनी जाती है। चर्च परिसर में रानी विक्टोरिया को समर्पित एक स्मारक भी शामिल है और एक लालटेन टावर (चर्च के ऊपर बनाई गई ऊची संरचना) के रूप में कार्य करता था।