पूर्वोत्तर भारत के त्रिपुरा राज्य में स्थित अमरपुर एक खूबसूरत नगर हैं, जो सैलानियों के मध्य अपनी प्राकृतिक सौंदर्यता के लिए काफी ज्यादा लोकप्रिय है।आकार के मामले में नॉर्थ ईस्ट के सात राज्यों में त्रिपुरा तीसरा बड़ा राज्य है जहां ज्यादातर आदिवास समुदाय के लोग रहते हैं। इस राज्य में लगभग 19 विभिन्न जनजातियां निवास करती हैं। यहां आने वाले सैलानियों को इनकी विशेष संस्कृति में शामिल होना बहुत ज्यादा पसंद हैं।
विभिन्न लोक नृत्य-संगीतों के द्वारा ये जनजातियां त्रिपुरा को सांस्कृतिक रूप से समृद्ध बनाने का काम करती हैं। यह राज्य प्राकृतिक खजानों से लबालब भरा है, इन्हीं बेशकीमती खजानों में से एक है अमरपुर। अमरपुर गोमती जिले में स्थित एक बंगाली केंद्रित शहर है। इस खास लेख में जानिए पर्यटन के लिहाज से यह नगर आपके लिए कितना खास है।
देवतामुरा
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अमरपुर भ्रमण की शुरूआत आप देवतामुर से कर सकते हैं। यह एक प्रसिद्ध पहाड़ी स्थल है जिसे स्थानीय भाषा में देवतेमुरा या चंबिमूरा कहा जाता है। यह पहाड़ी स्थल यहां की गोमती नदी के तट पर स्थित है। इस स्थल की सबसे खास बात यहां की रॉक-कट मूर्तियां हैं, जिन्हें पहाड़ी पर बड़े की खूबसूरत तरीके से उकेरा गया है। विभिन्न हिन्दू-देवताओं की ये मूर्तियां इस स्थल को खास और एक पवित्र रूप प्रदान करती है।
यहां आप भगवान शिव, दुर्गा, महिषासुर, कार्तिक और विष्णु की मूर्तियां देख सकते हैं। इस स्थल को भगवानों की चोटी कहा जाता है। ये नक्काशियां 16वीं शताब्दी की बताई जाती हैं। यहां तक पहुंचने के लिए आपको नाव का सहारा लेना होगा।
दुमबूर झील
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देवतामुरा पहाड़ी भ्रमण के बाद आप यहां की दुमबूर झील की सैर का प्लान बना सकते हैं। 48 द्वीपों वाली यह झील लगभग 41 वर्ग किलोमीटर तक के क्षेत्र में फैली है। इस विशाल झील में स्थानीय रैम और सुरमा नदी का पानी गिरता है। यह झील तीर्थमुखा नामक शक्तिशाली नदी गोमती का स्रोत भी है। गोमती नदी के जल को हाइडल बांध द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
इस नदी के जल से जलापूर्ति भी की जाती है। यहां वार्षिक उत्सव मकर संक्रांति का त्योहार भी मनाया जाता है। अद्भुत दृश्य पेश करने वाली यह झील पक्षी विहार के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां आसपास के सैलानी पिकनिक मनाने के लिए भी आते हैं।
अमर सागर एंड फटिक सागर लेक
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दुमबूर झील के बाद अगर आप चाहें तो यहां की अमर सागर झील की सैर भी कर सकते हैं। यह एक कृत्रिम झील है जिसका निर्माण 16 वीं शताब्दी के दौरान त्रिपुरी शाही परिवार के राजा अमर माणिक्य देव बर्मन के शासनकाल में करवाया गया था। यह झील लगभग 20 हेक्टेयर क्षेत्र जितनी विशाल है। झील के दक्षिण में मंगल चंडी देवी का एक मंदिर भी स्थित है।
यह झील पिकनिक मनाने और वीकेंड पर सैर-सपाटे के लिए एक आदर्श स्थल है। यहां से आप प्रकृति के शानदार दृश्यों को देख सकते हैं। इस झील के अलावा आप यहां सागर लेक की सैर का भी आनंद ले सकते हैं। यह झील भी एक आदर्श पिकनिक स्पॉर्ट है।
मंगल चंडी मंदिर
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प्राकृतिक स्थानों के अलावा आप यहां धार्मिक स्थानों के दर्शन का प्लान भी बना सकते हैं। अमर सागर झील के दक्षिणी तट के पास प्रसिद्ध मंगल चंडी देवी का मंदिर है। यह एक प्राचीन मंदिर है जिसका निर्माण 15 वीं शताब्दी के दौरान राजा अमर माणिक्य देव बर्मन द्वारा किया गया था। मंदिर की वास्तुकला हिन्दू और बौद्ध दोनों धर्मों से प्रभावित है।
मुख्य देवी के अलावा यहां अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां भी मौजूद हैं। यहां हर साल बसंत पंचमी(फरवरी) में यहां भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। यहां आयोजित होने वाले धार्मिक उत्सवों में श्रद्धालुओं का भारी जमावड़ा लगता है।
जंपुई हिल्स
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उपरोक्त स्थानों के अलावा आप यहां जंपुई हिल्स की सैर का आनंद ले सकते हैं। जंपुई पहाड़ी समुद्र तल से लगभग 1000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और मिजोरम राज्य के साथ फैली हुई है। यहां की सबसे ऊंची चोटी ठाइडव्र है। इस पहाड़ी के आसपास 10 छोटे गांवों हैं जहां मिजो समुदाय के लोग ज्यादा रहते हैं। यहां के लोगों का मुख्य आर्थिक काम कृषि और बागवानी है।
यहां लगभग 15वीं शताब्दी से मिजो समुदाय के लोग रह रहे हैं। यहां नारंगी की बागवानी ज्यादा की जाती है। पहाड़ी से आप प्राकृतिक खूबसूरती और सूर्योदय और सूर्यास्त के अद्भुत दृश्यों का आनंद ले सकते हैं।