भारत के पूर्वी राज्य ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर एक प्राचीन शहर है जिसका संबंध महाभारत काल से बताया जाता है। महाभारत में इस स्थान का उल्लेख खेडी साम्राज्य के राजा शिशुपाल के अधीन क्षेत्र के रूप में किया गया है। शिशुपालगढ़ के खंडहरों में की गई खुदाई में बहुत से ऐसे प्राचीन साक्ष्य मिले हैं जिन्हें मौर्य साम्राज्य और कलिंग से जोड़कर देखा गया है।
इतिहास से जुड़े प्रमाण बताते हैं कि भुवनेश्वर कभी कलिंग राजवंश की राजधानी हुआ करता था। जिसका इतिहास कई हजार साल पुराना है। वर्तमान शहर की बात करें तो इस शहर की रूपरेखा बड़े ही व्यवस्थित तरीके से बनाई गई है।
यह शहर चंडीगढ़ और जमशेदपुर के साथ उन शहरों में गिना जाता है, जिसे जर्मन आर्किटेक्ट ओटो कोनिग्सबर्गर द्वारा डिजाइन किया गया है। ऐतिहासिक पर्यटन के लिहाज से यह भारत का एक महत्वपूर्ण गंतव्य है। इस खास लेख में जानिए यह शहर अपने विभिन्न प्राचीन स्थलों के साथ आपका किस तरह मनोरंजन कर सकता है।
मुक्तेश्वर मंदिर
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भुवनेश्वर स्थित ऐतिहासिक खजानों को तलाशने की शुरूआत आप यहां के प्राचीन मंदिर मुक्तेश्वर देवला से कर सकते हैं। अतीत से जुड़े पन्ने बताते हैं कि इस मंदिर का निर्माण 10वीं शताब्दी के दौरान किया गया था। यह खूबसूरत मंदिर ओडिशा वास्तुकला को भली भांति प्रदर्शित करता है।
मंदिर का प्रसिद्ध तोरणद्वार इसे राज्य के अन्य मंदिरों से अलग बनाता है। मंदिर की आंतरिक वास्तु और शिल्प कला अद्वितीय है। मंदिर की शोभा बढ़ाता गुंबद 10.5मीटर लंबा है जिसपर आकर्षक नक्काशी साफ देखी जा सकती है।
परशुरामेश्वर मंदिर
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भुवनेश्वर स्थित परशुरामेश्वर मंदिर भारत के सबसे प्राचीन मौजूदा मंदिरों में से एक है जिसका निर्माण 7 वीं और 8 वीं शताब्दी के मध्य करवाया गया था। इस आकर्षक मंदिर को प्राचीन नागारा शैली में बनाया गया है। यह भारत के उन सबसे प्राचीन और खास मंदिरों में से एक है जो भगवान शिव को समर्पित है। मंदीर की दीवारों पर उकेरी गईं नक्काशी और मूर्तिकाल दक्ष कारीगरों की निपुणता का साफ पता चलता है।
इस अद्भुत मंदिर को हिंदू देवताओं की सबसे जटिल नक्काशीदार मूर्तियों से सजाया गया है। ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए आप यहां की यात्रा का प्लान बना सकते हैं।
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लिंगराज मंदिर
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उपरोक्त दो मंदिरों के साथ भुवनेश्वर स्थित लिंगराज मंदिर भी शहर और राज्य के सबसे प्राचीन मंदिरों में गिना जाता है। यह मंदिर कलिंग शैली और वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण है जिसका निर्माण 11 वीं शताब्दी मे करवया गया था।
यह भव्य मंदिर भी देवो के देव महादेव को समर्पित है। भगवान शिव को यहां हरिहर रूप में पूजा जाता है। महादेव के अलावा आप यहां भगवान विष्णु की छवियों को देख सकते हैं। आध्यात्मिक शांति के लिए आप यहां की यात्रा का प्लान बना सकते हैं।
उदयगिरि और खंडगिरि की गुफाएं
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प्राचीन मंदिरों के अलावा आप यहां प्राचीन गुफा स्थलों की सैर का प्लान बना सकते हैं। उदयगिरि और खंडगिरि की गुफाएं भुवनेश्वर के महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों में गिनी जाती हैं। ये स्थान कई प्राकृतिक और कृत्रिम गुफाओं का घर है।
इन गुफाओं का निर्माण पहली शताब्दी ईसा पूर्व के बाद के वर्षों के दौरान चेडी राजवंश द्वारा करवाया गया था। गुफाओं में कई जैन मंदिर स्थित हैं और माना जाता है कि यहां मौजूद मठों का निर्माण राजा खरावेला द्वारा करवाया गया था। इस पूरे क्षेत्र में कुल 33 गुफाए हैं।
धौली हिल
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उपरोक्त स्थानों के अलावा आप धौली हिल की सैर का प्लान बन सकते हैं। दया नदी के तट पर स्थित धौली पहाड़ी वो ऐतिहासिक जगह है जहां प्राचीन कालिंग युद्ध लड़ा गया था। प्राचीन युद्ध का वर्णन करने वाले अशोक के शिलालेखों के साथ रॉक-कट हाथी की मूर्तियां यहां से प्राप्त की गई हैं।
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