ऐतिहासिक पर्यटन के मामले में राजस्थान के शेखावाटी स्थित डुण्डलोद भी काफी प्रसिद्ध है। शेखावाटी अपनी सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है। इस क्षेत्र में बनाए गए भवन आज भी अपनी भव्य सुंदरता के साथ खड़े हैं। यहां के हर एक किले और हवेली के पीछे कोई न कोई खास कहानी जुड़ी है। इतिहास के अधूरे पन्ने बताते हैं कि इन आवासों का निर्माण 15वीं से 16 शताब्दी के आसपास किया गया था। यहां ज्यादातक हवेलियां व्यवसाय वर्ग के लोगों की हैं।
आज भी उनके वंश के लोग यहां रहते हैं जिनके मुंह से आप भारतीय इतिहास की कहानी सुन सकते हैं। वे सुंदर राजकुमारी, बहादुर राजाओं, वीर सैनिकों और शक्तिशाली रानियों की कहानियों का वर्णन करते हैं। इस खास लेख में जानिए यह नगर पर्यटन के लिहाज से आपके लिए कितना खास है।
डुण्डलोद का किला
डुण्डलोद भ्रमण की शुरआता आप डुण्डलोद किले से कर सकते हैं। यह ऐतिहासिक किला राजपूत और मुगल शैली की मिश्रित वास्तुकला का बखूबी चित्रण करता है। इस किला का सबसे खूबसूरत भाग यहां का दीवान खाना है जो मुगल शैली में बनाया गया है और फ्रेंच एंटीक फर्नीचरों से सजाया गया है। किले के कुछ हिस्से अभी भी यहां शाही परिवार के अंतर्गत है जिनके पूर्वज यहां राज किया करते थे।
किले के एक भाग को हैरिटेज हॉटल में तब्दिल कर दिया गया है, जहां आप एक दिन रूककर शादी अंदाज का आनंद उठा सकते हैं। किला के अंदर आप प्राचीन फर्नीचर, हथियार, हथियार और अन्य प्राचीन वस्तुओं को देख सकते है। एक शाही ट्रिप के लिए आप यहां आ सकते हैं।
बादलगढ़ किला
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डुण्डलोद फोर्ट को देखने के बाद आप यहां के बादलगढ़ किले की सैर का प्लान बना सकते हैं। यह किला नेहरा पहाड़ी पर स्थित है जो लगभग 900 वर्ग किमी के क्षेत्र को कवर करता है। यह किला खास रणनीतिक तरीके से बनाया गया था जिससे की कोई भी बाहरी आक्रमणकारी किले के अंदर दाखिल न हो सके। शाही परिवार को पूर्ण सुरक्षा देने के उद्देश्य के इसे एक विशाल संरचना का रूप दिया गया था।
इस ऐतिहासिक किले का निर्माण नवाब फैजाल खान द्वारा करवाया गया था। बाद में इस किले पर महाराव शारदुल ने कब्जा कर लिया था। वर्तमान में इसे एक हेरिटेज होटल में तब्दील कर दिया गया है। आप यहां कुछ समय बीता कर यहां के शाही तौर-तरीकों को समझ सकते हैं।
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तुगन राम गोयनका हवेली
किलों को देखने के अलावा आप यहां की खूबसूरत हवेलियों को भी देख सकते हैं। आप यहां तुगन राम गोयनका हवेली को देखने का प्लान बना सकते हैं। इस हेवली को यहां के किसी धनी व्यापारी ने बनाया था। तुगन राम गोयनका हवेली कई खूबसूरत पेंटिंग्स द्वारा सजाई गई है, जो यहां की दीवारों को जीवंत रूप प्रदान करती हैं। ये आम चित्रकारियां नहीं हैं बल्कि कई कहानियों को प्रदर्शित करती हैं। इन पेंटिंग्स में आप प्रसिद्ध ढोला-मारू या युद्ध से लौटने वाले योद्धाओं की वीर कहानियों को खूबसूरत तरीके से दर्शाया गया है।
हेवली के कई हिस्सों को राजस्थानी डिजाइनों से भी सजाया गया है। हवेली के आतंरिक भागों के साथ-साथ आंगन को भी आकृतियों को भी सजाया गया है। राजस्थानी कला-संस्कृति को देखने के लिए आप यहां आ सकते हैं।
सत्यनारायण मंदिर
किले-हवेलियों के अलावा आप यहां धार्मिक स्थलों के दर्शन भी कर सकते हैं। आप गोयनका हवेली परिसर में स्थित सत्यनारायण मंदिर के दर्शन कर सकते हैं। हेवली की तरह ही यह मंदिर भी काफी आकर्षक है। यह मंदिर ब्रह्मांड के संयोजक भगवान विष्णु को समर्पित है। यहां रोज सुबह-शाम दैनिक आरती की जाती है।
हवेलियों और किलों में मंदिर का होना प्राचीन परंपरा को दर्शता है। आपको शायद ही कोई बड़ी हवेली बिना मंदिर के मिले। अकसर ये मंदिर स्थानीय देवी या देवता को समर्पित होते है। ऐसी मान्यता है कि भविष्य में समस्याएं आने पर भगवान आगाह कर देते हैं।
जगथिया हवेली
उपरोक्त स्थानों के अलावा आप यहां की जगथिया हवेली की खूबसूरती का आनंद उठा सकते हैं। जगथिया हवेली की दीवारों को भी सुंदर कलाकृतियों से सजाया गया है। इस हवेली के प्रवेश द्वार खुलते ही मानो ऐसा लगता है जैसे किसी आर्ट गैलरी में प्रवेश कर रहे हों। हवली की आतंरिक सौंदर्यता की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है। यहां बनाए गए चित्र कारीगर की दक्षता को भली भांति दर्शाते हैं।
यहां जानवरों के चित्रों का ज्यादा स्थान मिला है। इसके अलावा कहीं-कहीं मानव मूर्तियों भी बनाई गईं हैं। यह वास्तुकला बहादुर राजपूतों की कहानियों को प्रदर्शित करता है। कुछ खास अनुभव के लिए आप राजस्थान के इस खास ऐतिहासिक कोने का सफर कर सकते हैं।
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