'सिटी ऑफ हिल्स' के नाम से मशहूर डूंगरपुर राजस्थान का एक खूबसूरत ऐतिहासिक स्थल है, जो 13वीं शताब्दी के दौरान अस्तित्व में आया। इस स्थल को सबसे ज्यादा प्रसिद्धि गुहिलोत अहारा सूर्यवंशी राजपूतों के अधीन प्राप्त हुई। अतीत की कई घटनाओं का साक्षी रह चुका यह महल आज भी अपने ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। अरावली पहाड़ियों के परिदृश्य के साथ स्थित यह महल ऐतिहासिक पर्यटन के लिहाज से एक खास स्थल है।
डूंगरपुर में पर्यटकों के लिए आकर्षण की विस्तृत विविधता मौजूद है। यहां पर्यटक ऐतिहासिक, धार्मिक और सुंदर प्राचीन संरचनाएं देख सकते हैं। डूंगरपुर विशेष रूप से विदेशी पर्यटकों के बीच अपने शांतिपूर्ण माहौल और सुंदरता के कारण लोकप्रिय बनते जा रहा है। इस लेख के माध्यम से जानिए उन खास स्थलों के विषय में जिनके बारे में जानने के बाद आप यहां जरूर आना चाहेंगे।
उदय बिलास पैलेस
डूंगरपुर भ्रमण की शुरूआत आप यहां की ऐतिहासिक महल उदय बिलास पैलेस की सैर से कर सकते हैं। यह एक प्राचीन महल है जिसका निर्माण महाराजा उदय सिंह-द्वितीय 1883-87 ईस्वी के दौरान अपने शाही निवास के तौर पर करवाया था। यह महल यहां की ऐतिहासिक झील गैब सागर के निकट बनाया गया था। यह एक विशाल महल है जिसके निर्माण में स्थानीय बलवारिया और पारेवा पत्थर का इस्तेमाल किया गया है।
महल की संरचना तीन भागों में विभक्त है, एक उदय बिलास, रानीवास और कृष्णा प्रकाश। महल की आंतरिक सरंचना को आकर्षक चित्रकारी और खूबसूरत नक्काशी के साथ सजाया गया है। वर्तमान में इस महल को हेरिटेज होटल के रूप में तब्दील कर दिया गया है।
जुना महल
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डूंगरपुर के ऐतिहासिक स्थलों में आप यहां के प्रसिद्ध जुना महल की सैर का प्लान बना सकते हैं। यह प्राचीन महल पास की धनमता पहाड़ी की तलहटी पर स्थित है। अतीत से जुड़े पन्नों के मुताबिक यह महल 700 साल से भी पुराना है, जो अपने ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। इस महल को बड़ा महल या पुराना महल भी कहा जाता है। जानकारी के अनुसार इस महल को बनाने की शुरूआत रावल वीर सिंह देव जी ने 1939 में की थी।
इस महल के महत्व को समझने के बाद उनके बेटे रावल भुचंद ने इस महल में डुंगरपुर राज्य की राजधानी स्थानांतरित कर दी थी। जिसके बाद यह डूंगरपुर की सभी गतिविधियों का केंद्र बन गया था। इतिहास की बेहतर समझ के लिए आप इस महल की सैर का प्लान बना सकते हैं।
बादल महल
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गैब सागर झील के नजदीक स्थित बादल महल अपने अपनी अद्भुत वास्तुकला के लिए जाना जाता है। इस महल का निर्माण दो चरणों में किया गया था। बरामदा और जमीन तल का निर्माण महारावल गोपीनाथ ने करवाया था। दूसरे चरण में मराहावल पुंजराज ने कुछ नवीनीकरण के साथ पहली मंजिल और गुंबद के सामने बरामदा बनवाया था। इस महल के निर्माण में दावरा पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है।
यह महल कुछ इस प्रकार बनाया गया है कि कहीं से भी खड़े होकर आप महल की पूरी संरचना को आसानी से देख सकते हैं। इस महल का निर्माण अवकाश भवन के रूप में किया गया था। राजा-महाराजाओं के अलावा बाद में इस महल का निर्माण क्रांतिकारी नेताओं की गुप्त चर्चाओं के लिए भि किया जाता था।
गैब सागर झील
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यहां के ऐतिहासिक स्थलों में आप प्राचीन संरचनाओं के अलावा यहां की प्रसिद्ध झील को देख सकते हैं। गैब सागर झील डूंगरपुर आने वाले पर्यटको के मध्य काफी ज्यादा लोकप्रिय है। अतीत के पन्ने बताते हैं कि इस झील का निर्माण महाराज गोपीनाथ ने करवाया था। यह मात्र जलाशय नहीं है बल्कि पूरे जिले के लिए भी गर्व का प्रतीक मानी जाती है। प्राचीन साक्ष्यों के अनुसार गैब सागर झील का निर्माण 1428 ईसवी में किया गया था, जिसका सबूत यहां के हनुमान मंदिर के पास मौजूद एक शिलालेख से पता चलता है।
यह प्राचीन झील इतिहास, साहित्य, आध्यात्मिकता के लिए काफी ज्यादा प्रसिद्ध है। एक शानदार अनुभव के लिए आप यहां की सैर कर सकते हैं।
भुवनेश्वर शिव मंदिर
उपरोक्त ऐतिहासिक स्थलों के अलावा आप यहां के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों के दर्शन भी कर सकते हैं। जिला मुख्यालय से 12 किमी की दूरी पर स्थित भुवनेश्वर शिव मंदिर यहां के प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर के रूप में जाना जाता है। भुवनेश्वर शिव मंदिर आकर्षक नक्काशीदार सरंचना के साथ लोगों की गहरी आस्था के लिए प्रसिद्ध है।
यहां रोजाना श्रद्धालुओं के साथ-साथ पर्यटकों का भी आगमन होता है। मंदिर परिसर में मौजूद शिवलिंग काफी हद तक यहां आने वाले आगंतुकों को प्रभावित करता है। आम दिनों की तुलना में यहां विशेष मौकों पर भक्तों का अच्छा खासा जमावड़ा लगता है।