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राजस्थान स्थित घाणेराव के चुनिंदा खास पर्यटन स्थल

राजस्थान के घाणेराव स्थित खास पर्यटन स्थान। Tourist destination situated in Gunnaraara of Rajasthan.

कभी मेवाड़ (राजस्थान) के अंतर्गत रहा घाणेराव आज राजस्थान का एक खूबसूरत गांव माना जाता है। ये गांव उदयपुर के राजाओं के नेतृत्व में भी रह चुका है। वर्तमान में यह गांव राजस्थान के पाली जिले में आता है। घाणेराव मेवाड़ शासकों के अधीन एक समृद्ध छोटा आर्थिक केंद्र था। इस स्थान से हिन्दू और जैन धर्म दोनो का प्रचार-प्रसार हुआ इसलिए आप यहां इन दोनों धर्मों से जुड़े धार्मिक स्थल देख सकते हैं।

मूल स्थान में यहां कोई ज्यादा प्रसिद्ध पर्यटन स्थल नहीं हैं लेकिन इसके आसपास ढेरो खूबसूरत स्थल मौजूद हैं, जहां आप एक शानदार समय बिता सकते हैं। इस खास लेख में जानिए राजस्थान के घाणेराव के आसपास मौजूद खबसूरत स्थलों के बारे में।

कुम्भलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य

कुम्भलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य

PC- Ashvij Narayanan

कुम्भलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य घाणेराव गांव से लगभग 5 किमी की दूरी पर स्थित है। यह विशाल वन्य जीव अभयारण्य पाली जिले से लेकर उदयपुर का एक बड़ा क्षेत्र अपने अंदर समेटे हुए है। यहां तक कि यह अभयारण्य अरावली पहाड़ियों को भी पार करता है। कुंभल किले से निकटता होने के कारण इस वन्य क्षेत्र का नाम कुम्भलगढ़ पड़ा।

वव्य जीवन करीब से देखने का एक शानदार मौका प्रदान करता है ये अभयारण्य। कुम्भलगढ़ असंख्य वन्य जीवों के साथ कई दुर्लभ वनस्पतियों को एक सुरक्षित आश्रय प्रदान करने का काम करता है।

अभयारण्य के भ्रमण के लिए हाथी और घोड़े की सफारी की सुविधा उपलब्ध है। इन खास सफारी की मदद से सैलानी जंगल को और करीब से देख सकते हैं। यह अभयारण्य सही मायने पर प्रकृति को करीब से देखने का मौका देता है।

कुम्भलगढ़ का किला

कुम्भलगढ़ का किला

PC- Hemantisbest

राजस्थान का यह खूबसूरत किला महाराजा कुम्भल द्वारा बनाया गया था और तब से अबतक यह स्थान महाराणा प्रताप जैसे बहादुर शासकों का जन्म स्थान रह चुका है। कुम्भलगढ़ का किला एक पहाड़ी चोटी पर स्थित है जो ऊपर से शहर के अद्भुत दृश्यों को देखने का मौका देता है। यह किला काफी विशाल क्षेत्र में बनाया गया है। काफी आकर्षक वास्तुकला और नक्काशी के द्वारा इस किले की सौंदर्यता को निखारा गया है।

राजपरिवार की सुरक्षा के लिहाज से इस विशाल किले का निर्माण करवाया गया था। किले की दीवारे इतनी मजबूत हैं कि किसी अनजान शख्स द्वारा इसे पार नहीं किया जा सकता था। किले के अंदर कुल देवी को समर्पित एक मंदिर भी स्थित है। किले की भव्यता देखने के लिए आप यहां की सैर कर सकते हैं।

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महाविर जैन मंदिर

महाविर जैन मंदिर

PC- Dayodaya

राजस्थान राज्य के पाली जिले के घाणेराव में मुच्छल महावीर मंदिर भगवान महावीर को समर्पित एक जैन मंदिर है। यह स्थान फालना से कुम्भलगढ़ के रास्ते पर है। हर साल यहां चैत्र के महीने के तेरहवें दिन मेले का आयोजन किया जाता है। जैसा की आपको पहले बताया गया कि घनराव हिन्दू धर्म के साथ-साथ जैन धर्म के अनुयायियों के लिए भी एक खास स्थान माना जाता है।

जानकारों की मानें तो इस भव्य जैन मंदिर का निर्माण 1020सीई (कॉमन एरा) में हुआ था। मंदिर की भव्यता देखने पर ही बनती है। काफी खूबसूरत वास्तुकला का प्रयोग कर इस जैन मंदिर को बनाया गया है। स्थानीय लोगों के साथ-साथ यहां दर्शन के लिए दूर-दूर से भक्तगण आते हैं।

नारलाई

नारलाई

इसके अलावा आप घाणेराव से 30 किमी दूर स्थित नारलाई की सैर का आनंद ले सकते हैं। नारलाई पाली जिले की देसुरी तहसील के अंतर्गत एक गांव है। यह स्थान भी अपने धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है। यहां आप कई हिन्दू और जैन मंदिरों के दर्श कर सकते हैं। यहां स्थित आदिनाथ और भगवान शिव जी का मंदिर सबसे ज्यादा प्रसिद्ध माना जाता है। इन मंदिरों की छतों को खूबसूरत चित्रों द्वारा सजाया गया है।

यहां का आदिनाथ जैन मंदिर कई सालों पुराना बताया जाता है। यहां के मुख्य देवता भगवान महावीर हैं। मंदिर के बाहर दो विशाल हाथियों की मूर्तियां बनाई गई हैं। कुम्भलगढ़ घूमने आए सैलानी यहां जरूर आना पसंद करते हैं। आप भी चाहें तो परिवार या दोस्तों के साथ यहां घूमने का प्लान बना सकते हैं।

गजानंद मंदिर

गजानंद मंदिर

उपरोक्त स्थानों के अलावा अगर आप चाहें तो यहां के गजानंद मंदिर के दर्शन का प्लान बना सकते हैं। मंदिर में भगवान गणेश की एक विशाल प्रतिमा है। भगवान गणेश अपनी दोनों पत्नियों रिद्धि और सिद्धि के साथ विराजमान हैं। यह मंदिर न सिर्फ धर्म और आध्यात्मिक में महत्व रखने वालों के लिए खास माना जाता है बल्कि यह मंदिर बहुत हद तक शिल्प और वास्तुकला के प्रेमियों को भी अपनी ओर आकर्षित करता है।

पर्यटन के लिहाज से यह एक खास गंतव्य है। यहां आप वीकेंड के दौरान आ सकते हैं। उदयपुर और जोधपुर जाने वाले सैलानी भी यहां आकर अद्भुत दृश्यों का आनंद ले सकते हैं। अगर आपको राजस्थान की असल संस्कृति देखनी है तो यहां के गांवों का भ्रमण जरूर करें।

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