दक्षिण भारत का केरल राज्य 'गॉड्स ओन कंट्री' के नाम से जाना जाता है। भारत में यादगार छुट्टियां बिताने के लिहाज से यह राज्य एक आदर्श विकल्प है। नारियल, बैकवॉटर, हाथियों, समृद्ध संस्कृति और परंपराओं के बल पर यह राज्य विश्व स्तर पर अपनी एक अलग पहचान बना पाया है। केरल के एक क्वालिटी टाइम स्पेंड करने के लिए यहां साल भर देश-विदेश से सैलानियों का आना-जाना लगा रहता है।
यहां समुद्री तट और प्राकृतिक हरियाली के बीच समय बिताना पर्यटकों का काफी पसंद है। इसके अलावा यह राज्य कला-संस्कृति, धर्म-दर्शन के लिए भी काफी ज्यादा विख्यात है। अगर आपको दक्षिण भारतीय संस्कृति के बारे में जानना है तो केरल का भ्रमण जरूर करें।
आज के इस विशेष लेख में हम केरल के एक खास मंदिर नगर गुरूवायूर के बारे में बताने जा रहे हैं। यह नगर अपनी मंदिर विशेषता के लिए खास तौर पर जाना जाता है। इसके अलावा जानें इस गंतव्य के अन्य सबसे खास पर्यटन स्थलों के बारे में।
गुरूवायूर मंदिर
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गुरूवायूर खासतौर पर अपने कृष्ण मंदिर के लिए देश-भर में प्रसिद्ध है। माना जाता है कि गुरूवायूर मंदिर का इतिहास कई शताब्दियों पुराना है। अपनी मंदिर विशेषता के चलते यह नगर राज्य के सबसे महत्वपूर्ण स्थानों में गिना जाता है। केवल इस मंदिर के आकर्षण और भगवान कृष्ण के दर्शन करने के लिए यहां देशभर से श्रद्धालु आते हैं। यहां भगवान कृष्ण गुरूवायुरप्पन के नाम से पूजे जाते हैं, जो भगवान कृष्ण का बालरूप हैं।
बता दें कि इस मंदिर में गैर-हिन्दूओं का आना पूर्णता वर्जित है, यहां केवल गुरूवायुरप्पन के अनुयायी और हिन्दू धर्म से जुड़े श्रद्धालु की प्रवेश कर सकते हैं। भगवान कृष्ण के विषय में यह मंदिर बहुत सी जानकारी प्रदान करता है, इसके अलावा कला-संस्कृति के लिए भी यह मंदिर काफी ज्यादा विख्यात है। मंदिर में आयोजित होने वाला शास्त्रीय नृत्य कृष्णनट्टम यहां काफी ज्यादा प्रचलित है।
अन्य दर्शनीय स्थल - एलिफेंट पार्क
गुरूवायूर मंदिर के दर्शन के बाद अगर आप चाहें तो आसपास के प्रसिद्ध स्थानों की सैर का आनंद ले सकते हैं। गुरूवायूर शहर से लगभग 4 किमी की दूरी पर एक अनाकोट्टा नामक स्थान पड़ता है जो अपने हाथियों के पार्क के लिए काफी ज्यादा लोकप्रिय है। गुरूवायूर मंदिर से जुड़े हाथियों को यहां 10 एकड़ के क्षेत्र में रखा जाता है, जिनका यहां अच्छी तरह रखरखाव होता है। यहां लगभग 50 से 80 हाथी रहते हैं। पर्यटक हाथियों को देखने के लिए यहां आते हैं।
यहां हाथियों के खाने से लेकर उनके स्नान, सोने की अच्छी व्यवस्था है। यह पूरा क्षेत्र घने पेड़ों से भरा है जो हाथियों को काफी ज्यादा आराम प्रदान करते हैं। आप यहां आराम से हाथियों को देखने का आनंद उठा सकते हैं। यहां रहने वाले सारे हाथी काफी शांत हैं।
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पलायूर चर्च
केरल में हिन्दू धर्म के साथ-साथ ईसाई धर्म को मानने वाली भी एक बड़ी आबादी रहती है। यहां आपको कई प्राचीन ईसाई घर मिल जाएंगे। इन सब में पलायूर चर्च काफी ज्यादा प्रसिद्ध है। गुरूवायूर घूमने आए सैलानी यहां आना काफी ज्यादा पसंद करते हैं।
मुख्य शहर से इस चर्च की दूरी मात्र 2 किमी की है। यह चर्च सेंट. थॉमस द्वारा बनाई गई थी। यह स्थान केरल में ईसाई धर्म के बढ़ते प्रचलन का सबसे बड़ा प्रतिक चिह्न माना जाता है। हालांकि राज्य में और भी कई प्रसिद्ध चर्च मौजूद हैं, लेकिन यह चर्च अपने ऐतिहासिक महत्व के लिए ज्यादा मशहूर है।
चेत्तुवा बैकवॉटर
घूमने फिरने के लिहाज से गुरूवायूर का चेत्तुवा भी आकर्षक स्थान है जहां आप बैकवाटर का आनंद जी भर कर उठा सकते हैं। चेत्तुवा में आपको नहरों, नारियल और टापूओं का एक अद्भुत मिश्रण मिलेगा। दूर-दूर तक फैला बैकवाटर क्षेत्र यहां का मुख्य आकर्षण है। पलायूर से चेत्तुवा में आकर बोटिंग का मजा अपने आप में ही काफी रोमांचक एहसास है।
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ब्लैंगड बीच
उपरोक्त स्थानों के अलावा आप यहां समुद्र तट का भी आनंद ले सकते हैं। गुरूवायूर से लगभग 7 किमी की दूरी पर स्थित ब्लैंगड बीच यहां के सबसे प्रसिद्ध समुद्री तटों में गिना जाता है। ये बीच चेत्तुवा बैकवॉटर से काफी ज्यादा नजदीक है। हालांकि तैराकी के लिए स्थान उतना उपयुक्त नहीं है पर यहां से सूर्योदय और सूर्योस्त के दृश्य काफी ज्यादा लोकप्रिय हैं।
स्थानीय पर्यटक अकसर यहां शाम के वक्त चहलकदमी करते हुए दिख जाएंगे। शाम के 5 बजे का वक्त यहां आने का सबसे सटीक समय है। शाम के वक्त आपको समुद्र से लौटते मछुवारे भी दिख जाएंगे। आप यहां अपने दोस्तों या पार्टनर के साथ एक शांत समय बिता सकते हैं।
कैसे करें प्रवेश
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गुरूवायूर आप तीनों मार्गों से पहुंच सकते हैं। यहां का नजदीकी हवाईअड्डा कोच्चि एयरपोर्ट है। रेल मार्ग के लिए आप गुरूवायूर रेलवे स्टेशन का सहारा ले सकते हैं। आप चाहें तो यहां सड़क मार्गों से भी पहुंच सकते हैं। बेहतर सड़क मार्गों से गुरूवायूर राज्य के बड़े शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
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