गिरनार हिल्स की तलहटी में बसा जूनागढ़ भारत के गुजरात राज्य का एक छिपा हुआ नगीना है, जिसके बगैर गुजरात का इतिहास अधूरा है। कभी भारत की बड़ी रियासत रह चुका जूनागढ़ अपने ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। जूनागढ़ की ऐतिहासिक संरचनाएं देखने लायक हैं। राज्य की राजधानी से लगभग 341 किमी की दूरी पर बसा जूनागढ़ अपने नवाबी इतिहास के साथ सैलानियों को यहां आने के लिए मजबूर करता है।
यहां की वास्तुकला प्राचीन शैली को भली भांति प्रदर्शित करती हैं। इतिहास में दिलचस्पी रखने वालों औऱ प्रकृति प्रेमियों के लिए यह स्थल किसी जन्नत से कम नहीं। इस खास लेख में जानिए पर्यटन के लिहाज से यह गुजरात का यह पुराना शहर आपके लिए कितना खास है, जानिए यहां के प्राकृतिक और प्राचीन स्थलों के बारे में।
गिरनार की पहाड़ी
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जूनागढ़ भ्रमण की शुरूआत आप यहां की खूबसूरत गिरनार की पहाड़ी से कर सकते हैं। गिरनार पहाड़ी में पाचं चोटियां हैं जिसमें से एक गोरखनाथ (3,661 फीट) को राज्य की सबसे ऊंची चोटी का दर्जा प्राप्त है। इस पहाड़ी स्थल पर कई जैन और हिन्दू मंदिर मौजूद हैं जो 12शताब्दी के बाद के बताए जाते हैं।
इसके अलावा इस स्थान पर कार्तिक पुर्णिमा के समय भव्य मेले का भी आयोजन किया जाता है। यह मेला नवंबर-दिसंबर के आसपास लगता है जिसमें शामिल होने के के देश भर से नागा साधु यहां आते हैं।
गिर वन
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जूनागढ़ के पास आप गिर वन की रोमांचक सैर का आनंद ले सकते हैं। मुख्य शहर जूनागढ़ से लगभग 65 किमी की दूरी पर स्थित यह अभयारण्य लगभग 1412 वर्ग किमी फैला है जो एशियाई शेरों के लिए जाना जाता है। इस अभयारण्य को 1965 में स्थापित किया गया था।
शेर के अलावा आप यहां चीता, नीलगाय, लकड़बग्घा, जंगली बिल्ली, कोबरा आदि को देख सकते हैं। खूबसूरत वनस्पतियों के देखने के लिए यह एक आदर्श जगह है।
दामोदर कुंड
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जूनागढ़ के दर्शनीय स्थलों में आप दामोदर कुंड की सैर का प्लान कर सकते हैं। गिरनार पहाड़ी की तलहटी में बसा यह एक दुर्लभग जलाशय है। इस कुंड के पास आप प्रसिद्ध जैन मंदिर को भी देख सकते हैं।
माना जाता है कि यह कुंड भगवान शिव, माता पार्वती से जुड़ा है, इसलिए यहां श्रद्धालुओं का आना जाना लगा रहता है। जूनागढ़ भ्रमण के दौरान आप इस खास स्थल की सैर कर सकते हैं।
महाबत मकबरा
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जूनागढ़ में आप अन्य ऐतिहासिक स्थल महाबत मकबरा की सैर का प्लान बना सकते हैं। यह एक प्रसिद्ध मकबरा है जिसका निर्माण जुनागढ़ के नवाबों के शासनकाल के दौरान किया गया था।
इंडो-इस्लामिक शैली में इस मकबरे को 1982 में बनवाया गया था। गुजरात के नवाबी इतिहास के कई महत्वपूर्ण पहलू इस स्थल से जुड़े हैं।
अपरकोट का किला
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उपरोक्त स्थानों के अलावा आप यहां के अपरकोट फोर्ट की सैर का प्लान बना सकते हैं। अतीत से जुड़े पन्ने बताते हैं कि इस किले का निर्माण 319 ईसा पूर्व में चंद्रगुप्त मौर्य द्वारा किया गया था। इस किले में प्रवेश ट्रिपल गेटवे को पार कर किया जाता है,जो 70 फीट ऊंची दीवार से जुड़ा है।
किले परिसर में आप बौद्ध गुफाएं, बावड़ी, मकबरा और मस्जिद देख सकते हैं। यह किला शहर के मुख्य आकर्षणों में गिना जाता है। जूनागढ़ भ्रमण के दौरान आप यहां आ सकते हैं।