जयपुर से 160 किमी की दूरी पर स्थित करौली राजस्थान के सबसे प्रसिद्ध ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों में से एक है। यह स्थल अपने कैला देवी वार्षिक मेले के लिए ज्यादा लोकप्रिय है, जिसमें शरीक होने के लिए देशभर से पर्यटक यहां तक का सफर तय करते हैं। करौली एक प्राचीन शहर है जहं समय के साथ-साथ कई शासकों ने राज किया और इसे मजबूत बनाते गए। यह शहर कई महलों की मजबूत लाल बलुआ पत्थर की दीवार से घिरा हुआ है।
करौली की राजा गोपाल दास ने 1533 से 1569 तक यहां शासन किया, और शहर में कई अपने रहते कई बदलाव भी किए। करौली पर्यटन के मामले में बहुत ही समृद्ध माना जाता है, यहां आगंतुको के देखने के लिए कई आकर्षण मौजूद हैं। इस लेख के माध्यम से जानिए पर्यटन के लिहाज से यह शहर आपको किस प्रकार आनंदित कर सकता है।
कैला देवी मंदिर
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करौली मुख्यत: अपने कैली देवी मंदिर के लिए जाना जाता है। मुख्य शहर से दूर यह धार्मिक स्थल यहां की कैली देवी को समर्पित है। कैला देवी का यह मंदिर देवी दुर्गा के 9 शक्ति पीठों में से एक माना जाता है। माना जाता है कि यह मंदिर करीब 1100 ईस्वी में बनाया गया था। यह एक प्रसिद्ध मंदिर है जो इस नगर का प्रतिनिधित्व करता है। आम दिनों में भी यहां श्रद्धालुओं का अच्छा खास जमावड़ा लगता है। यहां 15 दिनों की चैत्र नवरात्र की पूर्व संध्या पर, बड़ी संख्या में भक्त मंदिर में प्रवेश करते हैं। थोड़ा आध्यात्मिक अनुभव के लिए आप यहां आ सकते हैं।
मदन मोहन जी मंदिर
कैला देवी मंदिर के अलावा आप यहां के दूसरे प्रसिद्ध मदन मोहन जी मंदिर के दर्शन कर सकते हैं। शहर के करौली किले में स्थित यह मंदिर भगवान कृष्ण के एक रूप मदन मोहनजी को समर्पित है। तीर्थयात्री मंदिर में भगवान कृष्ण और देवी राधा की 3 फीट और 2 फीट ऊंची प्रतिमाओं को देख सकते हैं। किवदंती के अनसार दलाबाद की लड़ाई पर विजय प्राप्त करने के बाद, महाराजा गोपाल सिंह ने सपना देखा कि भगवान कृष्ण चाहते हैं कि उनकी एक मूर्ति आमेर से लाकर करौली में स्थापित कि जाए। यह एक खूबसूरत मंदिर है जिसकी वास्तुकला बहुत हद तक आगंतुकों को प्रभावित करने का काम करती है।
भंवर विलास पैलेस करौली
धार्मिक स्थलों के अलावा आप करौली में ऐतिहासिक स्थलों का भी भ्रमण कर सकते हैं। आप यहां के प्राचीन भंवर विलास पैलेस को देख सकते हैं। इस महल का निर्माण 1930 के दशक में यहां के महाराजा गणेश पाल देव बहादूर ने करवाया था। इस महल का निर्माण राजा ने अपने शाही निवास के लिए करवाया था।
महल की आतंरिक सरंचना में आप औपनिवेशिक शैली का प्रभाव देख सकते हैं। हालांकि इस महल को अब एक हेरिटेज होट में तब्दील कर दिया गया है। शाही अनुभव के लिए आप यहां आ सकते हैं।
सिटी पैलेस, करौली
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भंवर विलास पैलेस के बाद अगर आप चाहें तो यहां के आलिशान सिटी पैलेस की सैर का आनंद ले सकते हैं। शहर में स्थित इस महल का निर्माण 14 वीं शताब्दी में करवाया गया था। यह प्राचीन संरचना अपनी क्लासिक पेंटिंग्स, पत्थर की नक्काशी, वास्तुकला और जाली के कामों के लिए काफी ज्यादा प्रसिद्ध है। इसके अलावा आप यहां के दरबार हॉल में 600 साल पुरानी कलाकृति आज भी देख सकते हैं।
जानकारी के अनुसार यह महल 1938 तक शाही परिवार का आधिकारिक निवास बना रहा। माना जाता है कि भंवर विलास पैलेस के निर्माण के बाद, शाही परिवार इस महल से वहां स्थानांतरित हो गया था। कुछ अलग अनुभव और राजस्थानी कला-संस्कृति को समझने के लिए आप यहां आ सकते हैं।
कैला देवी वन्यजीव अभयारण्य
उपरोक्त स्थलों के अलावा आप यहां के प्रसिद्ध कैला देवी वन्यजीव अभयारण्य की रोमांचक सैर का आनंद भी ले सकते हैं। केलादेवी वन्यजीव अभयारण्य 676.40 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला एक शानदार वन क्षेत्र है जहां आप विभिन्न वनस्पतियों के साथ असंख्य जीव-जन्तुओं को आसानी से देख सकते हैं। इस अभयारण्य से आप बनास नदी और दक्षिण-पूर्व दिशा में चम्बल नदी को देख सकते हैं। ये दो नदियां इस जंगल क्षेत्र को अद्भुत बनाने का काम करती है।
यह वन्यजीव अभयारण्य प्राकृतिक सौंदर्य से घिरा हुआ है और जिसका नाम कैलादेवी के नाम पर रखा गया है। जंगली जीवों में आप यहां चिंकारा, जंगली सूअर, सियार, बाघ, तेंदुआ, भालू आदि जीवों को देख सकते हैं।