भारत का तेजी से बढ़ता और विकसित होता शहर है जबलपुर। जबलपुर में कई खूबसूरत झरने और संगमरमर के पत्थर से बने स्थल हैं। प्राकृतिक सौंदर्यता के अलावा जबलपुर प्राचीन मंदिरों और ऐतिहासिक स्थलों के लिए भी मशहूर है। वैदिक काल में इस जगह भगवान शिव ने तीन असुरों का संहार किया था और यहां पर मनुष्यों के जीवन को आरंभ किया था। किवदंती है कि महाभारत काल में छेदी साम्राज्य का भी इस शहर से संबंध था।
हालांकि बाद में इस पर कई राजवंशों का राज रहा है और मध्यकालीन इतिहास भी बहुत रोचक है। मध्य प्रदेश में स्थित ये जगह भोपाल से वीकेंड पर घूमने के लिए बेहतरीन है। अगर आप भोपाल की गर्मी से कुछ समय दूर कहीं जाना चाहते हैं तो जबलपुर आपके लिए आदर्श विकल्प है। तो चलिए जानते हैं भोपाल से जबलपुर की यात्रा और इसके दर्शनीय स्थलों के बारे में।
जबलपुर आने का सही समय
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आर्द्र उपोष्णकटिबंधीय जलवायु के कारण जबलपुर में बहुत गर्मी पड़ती है इसलिए गर्मी के मौसम में यहां पर पर्यटक कम ही आते हैं। हालांकि, ऑफबीट ट्रैवलर्स और स्थाुनीय पर्यटक वीकएंड पर यहां झरने और झीले देखने आ सकते हैं। अगर आप जबलपुर में सुहावना मौसम देखना चाहते हैं तो यहां अक्टू बर से फरवरी के बीच आएं।
भोपाल से जबलपुर कैसे पहुंचे
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वायु मार्ग द्वारा : मध्य प्रदेश का प्रमुख शहर है जबलपुर और इसलिए आपको भोपाल से जबलपुर के लिए सीधी फ्लाइट मिल जाएगी।
रेल मार्ग द्वारा
रेल मार्ग द्वारा जबलपुर अन्यम शहरों और राज्योंए से जुड़ा हुआ है और आप भोपाल से जबलपुर जंक्शान की सीधी ट्रेन ले सकते हैं। इस सफर में लगभग 6 घंटे का समय लगेगा।
सड़क मार्ग द्वारा
भोपाल से जबलपुर 320 किमी दूर है और इसलिए आप सड़क से आसानी से जबलपुर पहुंच सकते हैं।
पहला रूट : सांची - सागर - जबलपुर
दूसरा रूट : भोपाल - नारवार - बारकुंडा - जबलपुर
पहला रूट छोटा है और इसमें 6 घंटे, 30 मिनट का समय लगेगा जबकि दूसरे रूट पर 7 घंटे 30 मिनट का समय लग जाएगा। इसलिए आपको पहले रूट से ही जाना चाहिए। रास्तेस में आप सांची और सागर भी घूम सकते हैं।
सांची
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भोपाल से जबलपुर के रास्ते में सांची सबसे पहला गंतव्य है। ये जगह ऐतिहासिक के साथ-साथ धार्मिक महत्वी भी रखती है। यहां का प्रमुख पर्यटन स्थमल बौद्ध परिसर है। माना जाता है कि इसकी स्थावपना मौर्य काल के दौरान किया गया है और यहां सालभर विदेशी और देशी पर्यटकों का तांता लगा रहता है। भारत की सबसे प्राचीन संरचनाओं में से एक सांची स्तूपन सांची के सबसे प्रमुख और खूबसूरत आकर्षण है।
सांची के स्तूनप के हर कोने में आपको प्राचीन युग के कलाकारों की निपुणता दिखाई देगी। बौद्ध भिक्षु इस स्थान पर ध्याकन किया करते थे। भोपाल से सांची 50 किमी और जबलपुर से 270 किमी दूर है।
अंतिम गंतव्य जबलपुर
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इसके बाद आप जबलपुर में प्रवेश करेंगें जोकि झरनों, पहाड़ों और ऐतिहासिक धरोहरों के लिए मशहूर है। ये सफर 320 किमी का रहेगा। जबलपुर शहर में इतिहास के कई खूबसूरत स्थंल देखने को मिलेंगें और यहां पर कई प्राकृतिक स्थ ल भी मौजूद हैं।
एक बार इस शहर में आने के बाद आप यहां के खूबसूरत और दर्शनीय स्थिल आदि देख सकते हैं।
मदन महल
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जबलपुर का सबसे लोकप्रिय ऐतिहासिक स्थिल है मदन महल। हर साल यहां हज़ारों पर्यटक घूमने आते हैं। इसे 11वीं शताब्दीक में राजगोंड शासकों ने पर्वत की चोटि पर बनवाया था और यहां से पूरा जबलपुर शहर देख सकते हैं। हालांकि, अब इस किले के अवशेष ही बचे हैं लेकिन आज भी ये ऐतिहासिक महत्वब रखता है।
भेड़ाघाट
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जबलपुर का भेदाघाट गांव देखे बिना आपकी ये यात्रा अधूरी रहेगी। यहां पर धुआंधार झरने का मज़ा ले सकते हैं। पहाड़ी रास्ते से घिरा ये झरना बहुत ही खूबसूरत दिखाई देता है। रानी दुर्गावती संग्रहालय एक खूबसूरत स्थील है जो कई प्राचीन संरचनाओं से घिरा है। इसे 1976 में बनवाया गया था और ये भी ऐतिहासिक धरोहर मानी जाती है।
यहां पर कई भाग रानी दुर्गावती को समर्पित हैं। प्राचीन शहर होने के कारण यहां पर कई मंदिर और धार्मिक स्थंल भी हैं। इन खूबसूरत मंदिरों में हनुमानतल बाड़ा जैन मंदिर, चौंसठ योगिनी मंदिर, नंदीश्वीर दीप और ओशो आश्रम आदि शामिल हैं।
बांध-जलाशय और अन्य स्थल
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यहां पर जबलपुर शहर के किनारों पर कई छोटी झीलें और बांध भी है। ये खूबसूरत झीलें प्राकृतिक छटाओं से सराबोर हैं जो पर्यटकों के मन को तरोताजा कर देती हैं। इनमें बार्गी बांध भी शामिल है जहां पर आप बोटिंग का मजा भी ले सकते हैं और हनुमानतल झील भी फोटोग्राफी के लिए खूबसूरत जगह है। अगर आप इन जगहों को देखकर थके नहीं हैं और जबलपुर के और दर्शनीय स्थोल देखना चाहते हैं तो आप पिसानहारी की मदिया, गुरुद्वारा ग्वाऔरी घाट साहेब, दुम्ना नेचर रिज़र्व पार्क, कंचार में भगवान शिव की विशाल मूर्ति और नर्मदा नदी के घाट देख सकते हैं जिनमें लमहेटा घाट, तिलवारा घाट और कोसाम घाट शामिल है।