मालदा पश्चिम बंगाल के उत्तर में स्थित भारत का एक प्राचीन शहर है। जो अपने अतीत के बेशकीमती मूल्यों के लिए जाना जाता है। यहां की यात्रा आपको विशाल समृद्ध संस्कृति और उत्कृष्ट वास्तुशिल्प की ओर ले जाएगी। पश्चिम बंगाल का यह जिला इतिहासकारों और कलाकारों के लिए अवसरों और ज्ञान का भंडार है। अगर आप भारतीय इतिहास में दिलचस्पी रखते हैं तो आपको यहां की यात्रा अवश्य करनी चाहिए। अपनी ऐतिहासिक विरासत के अलावा मालदा आम, रेशम, और जूट उत्पादों के लिए काफी जाना जाता है।
जिले के नाम पर पर आधारित यहां विशेष आम की किस्म 'मालदा आम' पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। यह आम दुनिया भर के देशों में निर्यात किया जाता है। मालदा की यात्रा प्राचीन और मानवविज्ञान अभियानों में रुचि रखने वालों के काफी जरूरी है। अपनी इन खासियतों की वजह से मालदा पर्यटक के क्षेत्र में भी काफी लोकप्रिय है। इस खास लेख में जानिए घूमने-फिरने के लिहाज से यह शहर आपके लिए कितना खास है।
कदम रसूल मस्जिद
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मालदा भ्रमण की शुरुआत आप यहां की प्रसिद्ध कदम रसूल मस्जिद से कर सकते हैं। यह मस्जिद स्थल पैगंबर मुहम्मद से जुड़ा एक पाक स्थान है। इस स्थल से एक किवदंती भी जुड़ी है, माना जाता है कि जब भी मुहम्मद चट्टान पर चलते थे तो उनके पदचिह्नों के निशान छूट जाता करते थे।
इन निशानों के आसपास कई पवित्र स्थलों का निर्माण करवाया गया था। एक ऐसा ही स्थल है कदम रसूल मस्जिद। यहां श्रद्धालु बड़ी संख्या में प्रार्थनाओं की पेशकश और महान भविष्यद्वक्ता को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए मस्जिद में आते हैं।
दाखिल दरवाजा
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कदम रसूल मस्जिद के बाद आप यहां के अन्य दर्शनीय स्थल दाखिल दरवाजा की सैर का प्लान बना सकते हैं। 1425 में बनाया गया दाखिल दरवाजा टेराकोटा और छोटे लाल ईंटों से बना एक विशाल प्रवेश द्वार है। यह राजसी संरचना 34.5 मीटर चौड़ीऔर 21 मीटर ऊंची है।
इस संरचना के चारों कोने पांच मंजिला ऊंची इमारतों से घिरे हैं। इस द्वार को कभी तोप के स्थान के रूप में इस्तेमाल किया जाता था, इसलिए इसे सलामी दरवाजा के नाम से भी जाना जाता है।
फिरोज मीनार
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दाखिल दरवाजा के पास स्थित आप प्राचीन फिरोज मीनार को भी देख सकते हैं। यह मीनार 26 मीटर ऊंची है और दाखिल दरवाजा के दक्षिणपूर्व दिशा में है। यह एक स्वतंत्र संरचना है जो इस स्थान पर बिना किसी सहायक इमारत के खड़ी है। मीनार की ऊपरी दो पंक्तियों का आकार गोलाकार है, जबकि निचले वाले बहुभुज आकार के हैं।
कुछ अनुमानों के मुताबिक इसका निर्माण मस्जिद के लिए एक मीनार के रूप में किया गया था। इसे विजय स्मारक भी कहा जाता है। यह भी कहा जाता है कि इसका शीर्ष प्रारंभ में समतल था और यहां एक गुंबद भी बना हुआ था।
एकलाखी मकबरा
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मालदा स्थित ऐतिहासिक इमारतों में आप प्रसिद्ध एकलाखी मकबरा भी देख सकते हैं। माना जाता है कि यह सरंचना सुल्तान जलाल-अद-दीन (1431) का मकबरा है, जो राजा घनेश का पुत्र था, जलाल-अद-दीन एक हिन्दू राजा था जिसने बाद में इस्लाम धर्म अपना लिया था। पत्थरों की बनी यह संरचना चारों ओर से शानदार गुंबद से बनी हुई है और जिसके चारों ओर खड़े स्तंभों पर आकर्षक नक्काशी देखी जा सकती है।
मकबरे की अपनी अलग सांस्कृतिक और ऐतिहासिक प्रासंगिकता है और कई इतिहासकारों और मानवविज्ञानी को आकर्षित करती है।
मालदा संग्रहालय
उपरोक्त स्थानों के अलावा आप मालदा के मुख्य आकर्षणों में से एक मालदा संग्रहालय की सैर का प्लान बना सकते हैं। मालदा समेत पश्चिम बंगाल का इतिहास जानने के लिए यह एक आदर्श स्थल है। इस संग्रहालय में स्थानीय मानव विज्ञान के नमूने और स्थानीय वास्तुकला का भंडार है। यह संग्रहालय राज्य के पुरातत्व निदेशालय के अंतर्गत है। इसमें दुर्लभ शिलालेख, प्राचीन मूर्तियां, टेराकोटा वस्तुओं और चीनी मिट्टी के बरतनों का अच्छा खास संग्रह है।
माना जाता है कि ये वस्तुएं गौर और पांडुरा के करीबी क्षेत्रों से संबंधित हैं और लगभग 1500 वर्ष पुराने हो सकते हैं। ये प्राचीन वस्तुएं और खंडहर प्राचीन बंगाल के सबसे महत्वपूर्ण शहरों के बारे में काफी ज्यादा जानकारी देते हैं।