गंगटोक से लगभग 78 किमी की दूरी पर स्थित नामची पूर्वोत्तर राज्य सिक्किम का एक खूबसूरती पर्यटन स्थल है। अपनी पहाड़ी सौंदर्यता के बीच यह गंतव्य सिक्किम के सबसे बड़े संतों में से एक गुरु पद्मसंभव (दुनिया में सबसे बड़ी) की विशाल प्रतिमा के लिए जाना जाता है। इसके अलावा राज्य का यह प्रसिद्ध शहर अपने बौद्ध मठों और बर्फ से ढकी पर्वतीय चोटियों के लिए भी काफी प्रसिद्ध है।
1675 मीटर की ऊंचाई पर स्थित, नामची का शाब्दिक अर्थ स्थानीय भूटिया भाषा में 'आकाश का शीर्ष' होता है। आत्मिक और मानसिक शांति के लिए यह स्थान काफी खास है। प्रकृति के बीच शांत वातावरण के खोजी यहां के भ्रमण का प्लान बना सकते हैं।
इसके अलावा यहां एडवेंचर के शौकीन भी रोमांचक आनंद प्राप्त कर सकते हैं। इस खास लेख में जानिए नामची की यात्रा के दौरान कौन-कौन से स्थलों का प्लान आप बना सकते हैं।
मेनम वन्यजीव अभयारण्य
नामची भ्रमण की शुरूआत आप यहां के मेनम वन्यजीव अभयारण्य से कर सकते हैं। ये वन्यजीव अभयारण्य जीव-जन्तुओं के साथ कई औषधीय पौधों और जड़ी बूटियों का घर है। 3500 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले इस अभयारण्य में आप लाल पांडा, भौकने वाली हिरण और लियोपार्ड कैट जैसे जानवरों को आसानी से देख सकते हैं।
जानवरों के अलावा आप यहां विभिन्न पक्षी प्रजातियों को देखने का आनंद प्राप्त कर सकते हैं। पक्षियों में आप कॉमन हिल, मैगी, ब्लैक ईगल, ब्लड फिजेंट आदि यहां खास हैं।
वन्यजीव अभयारण्य के अंतिम छोर में यहां मेनम गुम्पा नाम का एक बौद्ध मठ स्थित है। अगर आप चाहें तो यहां दर्शन के लिए आ सकते हैं। प्रकृति प्रेमियों से लेकर यहां एडवेंचर के शौकीन आस सकते हैं।
रालंग मठ
PC- dhillan chandramowli
नामची आत्मिक-मानसिक शांति के लिए एक खास स्थल है, दूर-दराज से पर्यटक यहां मानसिक आराम पाने के उद्देश्य से भी आते हैं। आप यहां सिक्किम के सबसे प्रसिद्ध रालंग मठ की सैर का प्लान बना सकते हैं। इतिहास के पन्ने बताते हैं कि तिब्बत के चौथे घोग्याल तीर्थयात्रियों के सम्मान में इस मठ का निर्माण करवाया गया था। वर्तमान में यह मठ सौ से भी अधिक बौद्ध भिक्षुओं का घर है।
मठ की संरचना काफी आकर्षक है जिसे देखने मात्र के लिए सैलानी यहां खींचे चले आते हैं। यहां का वार्षिक त्योहार 'पांग ल्हाबसोल' पूर्वोत्तर में काफी प्रसिद्ध है। इस त्योहार के दौरान मठ को खूब सजाया जाता है। यह मठ वास्तव बौद्ध संस्कृति का एक अभिन्न अंग है, जहां की यात्रा व्यर्थ विकल्प नहीं होगा।
मुक्तेश्वर में उठाएं इन समर एडवेंचर का रोमांचक आनंद
गुरु पद्मसंभव प्रतिमा
PC-Chitta.crb
संदरूपत्से (Samdruptse) यहां का सबसे खास स्थान है। भूटिया स्थानीय भाषा में संदरूपत्से का अर्थ होता है 'इच्छा पूरा करने वाला पर्वत'। यह स्थान गुरु पद्मसंभव की विशाल मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है। यह मूर्ति संत पद्मसंभव की दुनिया में सबसे बड़ी मानी जाती है। यह विशाल प्रतिमा तिब्बत के इतिहास का अभिन्न अंग बन चुकी है। यह एक भव्य मूर्ति है जिसकी खूबसूरती की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है।
परिसर में आपको और भी दुर्लभ तस्वीरें देखने को मिलेंगी जो भारत के इतिहास से जुड़ी हुई है। गुरु पद्मसंभव की प्रतिमा पर्यटकों द्वारा नामची में सबसे ज्यादा देखी जाती है। यह एक पवित्र स्थान है जहां हर कोई अपनी आस्था के साथ जा सकता है।
सोलोफोक चरमहम
PC- Appra Singh
नामची में आप पवित्र स्थान सोलोफोक चरमहम की सैर का भी प्लान बना सकते हैं। यह सिक्किम के सबसे पवित्र स्थानों में से एक है जहां भगवान शिव की 87 फीट लंबी प्रतिमा मुख्य आकर्षम का केंद्र है। यह विशाल मूर्ति बारह ज्योतिर्लिंगों की प्रतिकृतियों (रेप्लिका) और भारत चार धामों से घिरा हआ है। यह पवित्र स्थान कई अनय्य छोटे-छोटे मंदिरों से घिरा हुआ है।
परिसर में स्थित संगित फव्वारा सैलानियों को कापई ज्यादा आकर्षिक करता है। यह भव्य मंदिर सोलोफोक पहाड़ी पर स्थित है। यहां साल भर सांस्कृतिक गतिविधियों और संगोष्ठियों का आयोजन किया जाता है। एक अलग अनुभव पाने के लिए आप इस पवित्र स्थल की सैर का प्लान बना सकते हैं।
टेंडोंग पर्वत
PC- yuen yan
उपरोक्त स्थानों के अलावा आप नामची के टेंडोंग पर्वत की सैर का प्लान जरूर बनाएं। टेंडोंग यहां के सबसे लोकप्रिय पर्वतों में गिना जाता है, जिसका शाब्दिक अर्थ है 'उठा हुआ सींग'। सिक्किम के लिए यह पर्वत काफी ज्यादा मायने रखता है, क्योंकि यह विशाल पहाड़ बाढ़ के पानी से नामची शहर को बचाता है।
इसलिए इस शहर को नामची का प्राकृतिक उद्धारक माना गया है। इस पर्वत से स्थानीय लोगों की आस्था जुड़ी है, बाड़ के प्रकोप से बचने के लिए यहां के ग्रामीण लोग टेंडोंग पर्वत से प्राथना करते हैं। इस प्रकार टेंडोंग नामची शहर का संरक्षक है।
दक्षिण भारत : काकीनाडा की सैर के दौरान उठाएं इन स्थानों का आनंद