उत्तर भारत के हरियाणा राज्य में स्थित नरौल एक ऐतिहासिक स्थल है, जो सन् 1857 में अंग्रेजों और रेवाड़ी के रावा तुला राम के बीच हुई महत्वपूर्ण लड़ाई के लिए जाना जाता है। यह वो दौर था जब पहली बार अंग्रेजों के अत्याचारों का सामना भारत के वीर सपूतों द्वारा बड़े स्तर पर किया गया था, जिसकी गूंज इंग्लैंड तक पहुंची थी। दिल्ली के निकट हरियाणा का यह स्थल ऐतिहासिक व धार्मिक पर्यटन के लिए काफी खास माना जाता है।
यहां की एक यात्रा आपको भारतीय इतिहास की ओर ले जाएगी। यहां देखने के लिए कई प्राचीन संरचनाएं मौजूद हैं, जो अपने अंदर कई राज समेटे हुए हैं। इस लेख के माध्यम से जानिए पर्यटन के लिहाज से यह नगर आपको किस प्रकार आनंदित कर सकता है।
खलदा वाले हनुमान
नरौल भ्रमण की शुरूआत आप यहां के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल खलदा वाले हनुमान मंदिर से कर सकते हैं। भगवान हनुमान को समर्पित यह धार्मिक स्थर नरौल-सिंगाड़ा मार्ग पर स्थित है। इस स्थल का सबसे मुख्य आकर्षण हनुमान भगवान की प्रतिमा है, जो अरावली पर्वत के चट्टानी सतह पर स्थित है। खलदा वाले हनुमान मंदिर यहां के सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में गिना जाता है, यहां सालान सैकड़ों की तादाद में श्रद्धालुओं और पर्यटकों का आगमन होता है। पर्यटक यहां से दोशी हिल्स का भी भ्रमण कर सकते हैं। मंदिर के आसपास रहने और खाने की भी सुविधा उपलब्ध है।
जल महल
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नरौल में आप यहां के मुख्य आकर्षण जल महल की सैर का भी प्लान बना सकते हैं। यह महल यहां की पुरानी मंडी में स्थित है। यह पैलेस यहां के खान सरोवर में स्थित है, जिसका निर्माण नवाब शाह कुली खान ने करवाया था। इस महल के प्रवेश द्वार पर आप फारसी में लिखे गए शिलालेखों को देख सकते है।
महल की चारो दिशाओं में सीढ़ियां बनाई गई हैं, महल की आंतरिक संरचना देखने लायक है। इस महल का निर्माण अकबर के शासनकाल के दौरान किया गया था। बता दें कि इस जलाशय का निर्माण बाद में करवाया गया था।
चोर गुंबद
नरौल स्थित ऐतिहासिक संरचनाओं में आप यहां की चोर गुंबद को भी देख सकते हैं। शहर के मुख्य आकर्षणों में शामिल यह गुबंद यहां की पहाड़ी के ऊपर स्थित है। चोर गुंबद अपनी चार मीनारों के साथ एक प्रसिद्ध धरोहर भी है, जिसका निर्माण अफगान जमाल खान के करवाया था। जानकारी के अनुसार मूल धरोहर का इस्तेमाल एक मकबरे के रूप में किया जाता था।
माना जाता है कि चोर गुंबद का निर्माण फिरोज शाह तुगलक के शासन काल के दौरान किया गया था, हालांकि इसके अंदर कोई कब्र मौजूद नहीं है। इतिहास की बेहतर समझ के लिए आप यहां आ सकते हैं।
मिर्जा अलीजान की बावली
जैसा की आपको बताया गया था नरौल हरियाणा का एक प्राचीन शहर है, और यहां कई ऐतिहासिक संरचनाओं को देखा जा सकता है। मिर्जा अलीजान की बावली भी यहां के मुख्य आकर्षणों में गिनी जाती है, जिसे आप नरौल भ्रमण के दौरान देख सकते हैं। यह एक पुरानी बावली है, जिसका इस्तेमाल जालपूर्ति के लिए किया जाता था। अकबर के शासनकाल के दौरान इसे एक महत्वपूर्ण स्थल के रूप में जाना जाता था।
मुख्य संरचना मेहराब की तरह है जिसके स्तंभों पर तख्थ और छतरी भी बनी हुई हैं। यह बावली शहर के छोटा-बड़ा तालाब क्षेत्र में स्थित है। माना जाता है कि इस बावली का निर्माण 1556-1605 ईस्वी के आसपास किया गया था।
बीरबल का छाता
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उपरोक्त स्थलों के अलावा आप यहां एक और प्राचीन संरचना बीरबल का छाता देख सकते हैं। माना जाता है कि इस संरचना का निर्माण रायन मुकुंद दास ने करवाया था, जो शाहजहां के शासनकाल(1628) के दौरान नरौल के दीवान थे। कई कक्षो, बड़े हॉल के साथ एक शहर की खास प्राचीन आकर्षणों में गिना जाता है। परिसर में आप संगमरमर का बना एक पानी का फुव्वारा भी देख सकते हैं।
इस ऐतिहासिक सरंचना के पीछे कई कहानियां भी जुड़ी हुई हैं, माना जाता है कि यहां कोई सुरंग है जिसका अंत छोर जयपुर तक है, माना जाता है कि इस सुरंग का इस्तेमाल अकबर और बीरबल द्वारा किया जाता था। बीरबल के नाम पर इस संरचना का नाम बीरबल का छाता पड़ा।