वर्ष 1892 में गठित पलामू भारत के झारखंड राज्य के चौबीस जिलों में से एक है। जिले का प्रशासनिक मुख्यालय दल्तोंगंज है। यह जिला यहां की कोयल नदी पर स्थित है। पलामू अपनी समृद्ध जैव-विविधता के लिए जाना जाता है। ऐतिहासिक परिदृश्य के साथ यहां के प्राकृतिक स्थल ज्ञान का भंडार हैं। यहां आपको नदी, झरनों से लेकर प्राचीन किले तक देखने को मिलेंगे, जो पलामू के इतिहास को बखूबी पेश करते हैं।
इसके अलावा यह जिला विभिन्न वनस्पति भंडार और जीव प्रजातियों के लिए भी जाना जाता है। पर्यटन के लिहाज से यह एक महत्वपूर्ण स्थल है, जहां हर तरह के सैलानी अपना मनोरंजन कर सकते हैं। इस खास लेख में जानिए पलामू के सबसे शानदार दर्शनीय स्थलों के विषय में, जानिए ये पर्यटन स्थल आपको किस प्रकार आनंदित कर सकते हैं।
पलामू टाइगर रिजर्व
पलामू भ्रमण की शुरूआत आप यहां के प्रसिद्ध टाइगर रिजर्व से कर सकते हैं। इस वन्य क्षेत्र को टाइगर प्रोजेक्ट के तहत 1973 में बाघों के लिए आरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया था। लगभग 928 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला यह जंगल एक समृद्ध जैव-विविधता को प्रदर्शित करने का काम करता है। यहां आपको बाघों के अलावा अन्य कई जंगली जीव-जन्तुओं को करीब से देखने का मौका मिलेगा, जिसमें जंगली कुत्ता, जंगली बिल्ली, चार सींगों वाला मृग आदि देखने को मिलेंगे।
इसके अलावा आप यहां कई पक्षी प्रजातियों को भी देख सकते हैं। यह वन्य क्षेत्र औषधीय गुण वाले वनस्पतियों के लिए भी -जाना जाता है।
लोध जलप्रपात
लोध फॉल्स पलामू जिले के अतंर्गत एक शानदार पर्यटन स्थल है। यह झारखंड का सबसे ऊंचा और भारत का 21वां ऊंचा जलप्रपात है। यह झरना राज्य की बुरहा नदी पर स्थित है। जल की कई धाराओं के साथ यह झरना सैलानियों को रोमांचित करने का काम करता है।
यह जलप्रपात लगभग 143 मीटर ऊंचा है। लगभग 10 किमी तक की दूरी से इस विशाल जलप्रपात की आवाज को सुना जा सकता है। अगर आप पलामू आएं तो इस शानदार स्थल की सैर करना न भूलें।
बेतला नेशनल पार्क
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पलामू टाइगर रिजर्व के अलावा आप बेतला नेशनल पार्क की रोमांचक सैर कर सकते हैं। यह उद्यान जंगल और घाटियों से घिरा रांची-दल्तोंगंज सड़क मार्ग पर स्थित है। लगभग 226 किमी के क्षेत्र में फैला यह राष्ट्रीय उद्यान स्तनाधारियों जीवों की 39 और पक्षियों की 174 से ज्यादा प्रजातियों को सुरक्षित आश्रय देने का काम करता है। जंगली जीवों में आप यहां सांभर, चीता, हाथी, बाघ, भारतीय गौर, आदि को देख सकते हैं।
इसके अलावा आप यहां 900 से ज्यादा वनस्पति भंडार को भी देख सकते हैं। यहां औषधीय गुण वाले पौधे भी पाए जाते हैं। संपूर्ण रूप से यह प्राकृतिक खजानों का एक बड़ा भंडार है।
पलामू के किले
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पलामू में प्राकृतिक खजानों के अलावा आप ऐतिहासिक स्थलों की सैर का भी प्लान बना सकते हैं। आप यहां अतीत की जड़ों को पकड़े हुए पलामू के किलो को देख सकते हैं। ये खंडहरनुमा प्राचीन किले हैं जो दल्तोंगंज से लगभग 20 किमी की दूरी पर स्थिति है। इस इलाके में दो प्राचीन किले मौजूद हैं, जो समय के साथ-साथ अपना अस्तित्व खोने की कगार पर हैं।
मुख्य किले का निर्माण रक्सेल राजपूत राजवंश द्वारा किया गया था। और दूसरा किला चेर राजवंश के संबंध रखता है। पलामू के इतिहास को समझने के लिए इन किलों का भ्रमण किया जा सकता है। ऐतिहासिक रूप से यह किले काफी ज्यादा मायने रखते हैं।
कैसे करें प्रवेश
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पलामू झारखंड का एक प्रसिद्ध जिला है,जहां आप परिवहन के तीनो साधनों की मदद से पहुंच सकते हैं। यहां का नजदीकी हवाईअड्डा रांची एयरपोर्ट है। रेल मार्ग के लिए आप निकटवर्ती कजरी/ दल्तोंगंज रेलवे स्टेशन का सहारा ले सकते हैं।
अगर आप चाहें तो यहां सड़क मार्गों से भी पहुंच सकते हैं। बेहतर सड़क मार्गों से पलामू राज्य के बड़े शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।