आंध्र प्रदेश के राजमुंदरी में स्थित पापीकोंडालू दक्षिण भारत की एक खूबसूरत पर्वत श्रृंखला है जो पश्चिमी गोदावरी के साथ अपना सफर तय करती है। नयनसुख से भरे यहां के नजारे आखों समेत पूरे मन मस्तिष्क को आराम पहुंचाने का काम करते हैं। आप जैसे-जैसे इन पहाड़ियों के करीब बढ़ेंगे, विशाल गोदावरी नदी संकुचित होती नजर आती है। गोदावरी नदी का आकार किसी महिला के सर की मांग समान लगता है। दरअसल पापीकोंडालू दो शब्द पापीदी और कोंडालू से मिलकर बना है, पापीदी एक तेलगू शब्द है जिसका अर्थ होता है महिला के बालों का मध्य वाला भाग यानी मांग।
इस स्थान का नाम स्थानीय तेलगू के नाम पर पड़ा पापीकोंडालू। नदी को संकुचित करते हुए पापी हिल्स के साथ इसके मोड़ आकर्षक प्राकृतिक दृश्य उत्पन्न करने का काम करते हैं। यहां की सुंदरता की अक्सर कश्मीर से साथ तुलना में की जाती है। आइए जानते हैं पर्यटन के लिहाज से यह पर्वतीय गंतव्य आपके लिए कितना खास है।
परंतला पल्ली (PerantalaPalli)
पापीकोंडालू की गोद में बसा परंतला पल्ली एक खूबसूरत मछुआरों का गांव है, जो अपने प्राचीन शिव मंदिर के लिए जाना जाता है। प्राकृतिक सौंदर्यता के बीच यह गांव कुनवारम से राजमुंदरी के मार्ग पर स्थित है, जो वेलेरुपडू मंडल के तहत खम्मम जिले के अंतर्गत आता है। यहां प्राचीन शिव मंदिर होने के कारण इस गांव का सांस्कृतिक महत्व काफी बढ़ गया है। जानकारों की मानें तो इस मंदिर का निर्माण बालनंद स्वामी ने करवाया था।
स्थानीय निवासी बतातें कि मंदिर की स्थापना के शुरूआती समय में यहां कोई पुजार नहीं था, सभी धार्मिक अनुष्ठान भक्तों द्वारा ही किए जाते थे। शिव मंदिर के अलावा यहां श्री कृष्ण (मुनिवाटम) का भी एक मंदिर स्थित है जिसका निर्माण 1927 में करवाया गया था।
पापिकोंडा वन्यजीव अभयारण्य
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पापीकोंडालू की पहाड़ियां अपने वन्य जीवन के लिए भी काफी ज्यादा प्रसिद्ध है। यहां काकीनाडा के पास स्थित पापिकोंडा वन्यजीव अभयारण्य यहां के मुख्य आकर्षणों में गिना जाता है। लगभग 591वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला यह अभयारण्य पश्चिम गोदावरी, पूर्वी गोदावरी और खम्मम जिले को अपने अंदर समेटे हुए है। पूर्वी घाट का यह जंगल क्षेत्र कई जंगली जानवरों के साथ दुर्लभ पक्षी प्रजातियों के लिए भी जाना जाना जाता है।
जंगली जीवों में आ यहां बाघ, गौरों, तेंदुआ, चार सींग वाला एंटीलोप्स, लकड़बग्गा, सियार, भालू और हिरण को आसानी से देख सकते हैं। इसके अलावा यहां मई और अक्टूबर के महीनों के बीच प्रवासी पक्षियों की दुर्लभ प्रजातियां भी यहां देखी जा सकती हैं। इसके अलावा आप गोदावरी नदी में मगरमच्छों को भी देख सकते हैं।
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पट्टिसम नदी द्वीप
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वन्यजीव अभयारण्य के अलावा यहां यहां के पट्टिसम तीर्थस्थान के भ्रमण का प्लान बना सकते हैं। पट्टिसम गोदावरी नदी पर बसा एक खबसूरत द्वीप है जो भगवान वीरभद्र को समर्पित मंदिर के लिए जाना जाता है। वीरभद्र भगवान शिव के एक बाहदूर गण थे जिन्होंने सती के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचने पर आहत भगवान शिव के कहने पर दक्ष प्रजापति को सर धड़ से अलग कर दिया था।
द्वीप पर मौजूद इस भव्य मंदिर के दर्शन के लिए सालाना सैकड़ों तीर्थयात्री यहां तक का सफर तय करते हैं। यह स्थल राजमुंदरी से 35 किमी और पापिकोंडालु से 30 किमी दूरी पर स्थित है। मंदिर के दर्शन के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता है।
किन्नेरसनी वन्य जीव अभयारण्य
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पापिकोंडा के अलावा यहां एक और संरक्षित वन्यजीव अभयारण्य स्थित है। गोदावरी के तट पर पलोनचा से केवल 12 किमी की दूर बसा किन्नेरसनी वन्य जीव अभयारण्य अपनी जैव विविधता के लिए जाना जाता है। आकर्षक दंडकारण्य जंगलों का हिस्सा यह अभयारण्य अपनी प्राकृतिक सौंदर्यता के साथ-साथ असंख्य वन्य जीव प्रजातियों के लिए जाना जाता है।
आप यहां कई जंगली जानवरों के साथ खूबसूरत पक्षी प्रजातियों को देखने का आनंद प्राप्त कर सकते हैं। यहां की किन्नेरसनी झील भी मुख्य आकर्षणों में गिनी जाती है। यह झील इस जगल को जीवंत रूप प्रदान करने करने का काम करती है।
भद्रचल मंदिर
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उपरोक्त स्थानों के अलावा आप यहां भव्य भद्रचल मंदिर के दर्शन भी कर सकते हैं। गोदावरी नदी के किनारे बसा भद्रचलम मंदिर भगवान श्री सीता रामचंद्र स्वामी को समर्पित है। यह भव्य मंदिर भद्रगिरी नाम की पहाड़ी पर बनाया गया था जिसके बाद इस नगर का नाम भद्रचलम पड़ गया।
हिन्दुओं की गहरी आस्था से जुड़ा यह मंदिर अपने पहाड़ी परिदृश्य के साथ मनोरम दृश्यों के लिए काफी प्रसिद्ध है। ये थे पापीकोंडालू स्थित कुछ खास पर्यटन गंतव्य जहां का प्लान आप इन गर्मियों के दौरान कर सकते हैं।