पठानमथिट्टा दक्षिण भारत के केरल राज्य का एक खूबसूरत शहर है, जो राज्य के दक्षिणी हिस्से में स्थित है। प्राकृतिक और सांस्कृतिक दृष्टि से पठानमथिट्टा काफी समृद्ध माना जाता है। इस शहर का नाम दो मलयालम शब्दों, पथनाम और थिट्टा के संयोजन से बना है जिसका शाब्दिक अर्थ है 'नदी के किनारे घरों की श्रृंखला। इतिहास पर नजर डालें तो पता चलता है कि जो क्षेत्र इस जिले के रूप में बना वो कभी पांडलम राजवंश के अधीन था, जिनका पांड्य साम्राज्य के साथ अच्छा संबंध था।
जब 1820 में पांडलम को त्रावणकोर की रियासत में जोड़ा गया था, तो यह क्षेत्र त्रावणकोर प्रशासन के अधीन आया। और बाद में 1 नवंबर 1982 को इसे एक जिले का रूप दिया गया। इस जिले को बनाने के लिए कोल्लम,आलप्पुषा और इडुक्की जिलों के कई हिस्सों को इसमें शामिल किया गया। वर्तमान में पठानमथिट्टा अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए जाना जाता है। इस खास लेख में जानिए पर्यटन के लिहाज से यह शहर आपके लिए कितना खास है।
सबरीमाला
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केरल के पठानमथिट्टा में स्थित सबरीमाला सबसे अधिक देखा जाने वाला स्थान है। हिंदू तीर्थयात्रियों के लिए यह एक पवित्र स्थान है। यहां आने वाली तीर्थयात्रियों की आस्था को हल्के में नहीं लिया जा सकता है। प्रारंभिक उपवास के साथ 4 किमी से अधिक की चढ़ाई और जंगलों के बीच से होकर यहां तक पहुंचा जाता है। यहां तीर्थयात्रा करने का समय नवंबर से जनवरी के बीच होता है।
मंदिर इस पवित्र मौसम के दौरान केवल 41 दिनों के लिए खुलता है। लाखों भक्त पहाड़ी रास्तों का सफर कर देवता श्री अयप्पा के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। शेष वर्ष के दौरान, मंदिर हर मलयालम महीने के पहले कुछ दिनों में भी खुला रहता है। इस मंदिर में गैर हिन्दू भी जा सकते हैं लेकन 10 से 50 वर्ष की महिलाएं इस मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकती हैं।
चारालकुन्ना
धार्मिक स्थानों के साथ-साथ आप यहां के प्राकृतिक स्थलों की सैर का भी प्लान बना सकते है। चारालकुन्ना पठानमथिट्टा स्थित एक खूबसूरत हिल स्टेशन है। मनोरम दृश्यों से भरा यह स्थान अपने अनोखे अनुभव के लिए जाना जाता है। मुख्य शहर से इस पहाड़ी गंतव्य की दूरी मात्र 17 किमी की है। इस पर्वतीय गंतव्य को यहां की पंबा नदी रोमांचक स्थान बनाने का काम करती है।
आसपास से शहरों के लिए यह एक शानदरा वीकेंड गेटवे है। यहां एक ग्रीष्मकालीन आवास त्रावणकोर के राजा द्वारा बनवाया गया था जिसे अब एक गेस्ट हाउस में परिवर्तित कर दिया गया है। इसके अलावा यह स्थान धार्मिक महत्व भी रखता है।
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काक्की जलाशय
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पठानमथिट्टा से लगभग 20 किमी की दूरी पर काक्की नाम का एक खूबसूरत प्राकृतिक जलाशन मौजूद है। यह स्थान दो बांधों काकी और अनाथोड से बना है। शहर के बिलकुल करीब यह स्थान जंगल के करीब है जहां आप वन्यजीवन को देखने का रोमांचक अनुभव ले सकते हैं। काक्की की अच्छी यात्रा के लिए आप नौकायन का सहारा ले सकते हैं।
यहां आप कई जंगली जीवों को भी देख सकते हैं, जिसमें हाथी, बंदर, हिरण आदि शामिल हैं। अगर आपकी किस्मत अच्छी रही तो यहां बाघ के भी दर्शन हो सकते हैं। इसके अलावा यह स्थान कई पक्षी प्रजातियों को सुरक्षित आश्रय देने का भी काम करता है।
कोन्नी हाथी प्रशिक्षण केंद्र
कोन्नी का मसालों और वृक्षारोपण का क्षेत्र और भी आकर्षक स्थलों के लिए जाना जाता है। यहां एक बहुत ही शानदार हाथी प्रशिक्षण केंद्र है। इस स्थान को अब एक हाथी कल्याण केंद्र के रूप में विकसित कर दिया गया है। यहां उन बेबी हाथियों को प्रशिक्षित दिया जाता है जो जंगल में अपने परिवार समूह से बिछड़ गए होते है या खो जाते हैं।
दिलचस्प बात यह है कि यहां प्रशिक्षक हाथियों के द्वारा ही अन्य हाथियों के ट्रेन किया जाता है । यह जगह लगभग 9 एकड़ के क्षेत्र में फैली है जहां छह लकड़ी के पिंजरे हैं जहां नए हाथियों को रखा जाता है। आप यहां परमिशन लेकर हाथियों को प्रशिक्षित होते देख सकते हैं।
कवियूर रॉक मंदिर
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उपरोक्त स्थानों के अलावा आप पठानमथिट्टा के कवियूर रॉक मंदिर के दर्शन के लिए जा सकते हैं। कवियूर रॉक मंदिर एक ऐतिहासिक धार्मिक स्थल है जो पल्लव वास्तुशिल्प शैली में बनवाया गया है। इस गुफा में शिवलिंग अन्य प्रतिमाओं के साथ विराजमान हैं। यहां गणेश भगवान की भी एक मूर्ति स्थापित है।
यह जिले का एक अद्भुत गुफा मंदिर है जिसका संबंध 8वीं शताब्दी से बताया जाता है। वर्तमान में यह भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अंतर्गत संरक्षित है। आप यहां से तिरूवल्ला की सैर का प्लान बना सकत हैं यहां से 5 किमी की दूरी पर स्थित यह एक धार्मिक शहर है।
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