महाराष्ट्र स्थित रत्नागिरी एक प्राचीन शहर है जो राज्य के सबसे महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों में गिना जाता है। ऐतिहासिक विरासतों के साथ रत्नागिरी राजा-महाराजाओं का शहर कहा जाता रहा है। शुरू में यह शहर मराठा शासक छत्रपति शिवाजी के अंतर्गत रहा, लेकिन 1800 के दशक में यह अंग्रेजों द्वारा अधिग्रहित कर लिया गया।
यह प्राचीन शहर महाराष्ट्र के तटीय इलाके में स्थित है और तीनो ओर से अरब सागर से घिरा हुआ है। रत्नागिरी की भौगोलिक स्थित इसकी प्राकृतिक भव्यता के पीछे का सबसे महत्वपूर्ण कारक है। समुद्री तटों, किलों, मंदिरों और लजीज व्यंजनों के अलावा इस शहर को वनस्पतियों और जीवों की एक विस्तृत श्रृंखला का भी कुदरती आशीर्वाद प्राप्त है।
अगर आप प्रकृति प्रेमी के साथ एक साहसिक ट्रैवलर हैं तो यह स्थान आपके लिए एक आदर्श गंतव्य है। इस खास लेख में जानिए पर्यटन के लिहाज से रत्नागिरी आपको किस प्रकार आनंदित कर सकता है।
गणपतिपुले बीच
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रत्नागिरी भ्रमण की शुरूआत आप शहर से 28 किमी दूर गणपतिपुले बीच की सैर से कर सकते हैं। यह समुद्री तट शहर में सबसे ज्यादा देखे जाने वाले स्थानों में से एक है। इस तट का नाम हिन्दू देवता भगवान गणेश के नाम पर रखा गया है, उनको समर्पित एक प्राचीन मंदिर भी यहां स्थित है। गणपतिपुले बीच आस्था और रोमांच का एक अद्वितीय मिश्रण है।
समुद्री तटों के प्रेमियों के अलावा यह स्थान बड़ी संख्या में हिंदू भक्तों को भी आकर्षित करता है। इन सब के अलावा यहां सूर्यास्त के दृश्य भी देखने लायक होते हैं। आप यहां स्वादिष्ट व्यंजनों का भी आनंद उठा सकते है।
गुहागर बीच
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गणपतिपुले बीच के अलावा आप रत्नागिरी से लगभग 8 किमी की दूरी पर स्थित राज्य के सबसे शांत समुद्री तटों में से एक गुहागर बीच की सैर का प्लान बना सकते हैं। पूर्व में सह्याद्री पर्वत श्रृंखला और पश्चिम में अरब सागर इस समुद्री तट को भौगोलिक रूप से संवारने का काम करते हैं। गुहागर समुद्र तट अपने सुहावने मौसम और शांत पानी के लिए जाना जाता है।
अपनी इन खासियतों की वजह से यहां तैराकी करने के लिए बहुत से पर्यटक आते हैं। आप यहां अन्य वाटर एक्टिविटी का भी आनंद ले सकते हैं। एक आरामदायक सफर के लिए आप यहां का प्लान बना सकते हैं।
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मार्लेश्वर मंदिर
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समुद्री तटों से हटकर आप रत्नागिरी में धार्मिक स्थानों के दर्शन का भी प्लान बना सकते हैं। आप यहां के प्रसिद्ध शिव तीर्थ मारलेश्वर मंदिर के दर्शन कर सकते हैं,जो शहर के बाहरी इलाके में स्थित है। यह प्राचीन धार्मिक स्थल सदाबहार जंगलों के बीच एक अलग पहाड़ी पर स्थित है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का 'शिवलिंग' पूरे साल नागों से घिरा रहता है।
दिलचस्प बात यह है कि इन सांपों ने कभी यहां आने वाले शिवभक्तों को हानी नहीं पहुंचाई इसलिए यहां आने वाले श्रद्धालु बिना डरे शिवलिंग पर जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक करते हैं। यहां का प्राकृतिक वातावरण बहुत हद तक प्रभावित करता है। यहां कई जगह झरने भी मौजूद हैं।
श्री देवी भगवती मंदिर
मार्लेश्वर मंदिर के साथ आप मां दुर्गा को समर्पित श्री देवी भगवती मंदिर के दर्शन का प्लान बना सकते हैं। माता का यह मंदिर रत्नागिरी के प्राचीन किले के अंदर स्थित है। एक वीरान किले के अंदर होने के बावजूद यह मंदिर स्थानीय लोगों के लिए धार्मिक आस्था का एक प्रमुख केंद्र है। यह एक अद्भुत मंदिर है जिसकी वास्तुकला आश्चर्यचकित करती है।
चित्रित दीवारें, मूर्तियां और पत्थर पर की गई नक्काशी यहां आने वाले सैलानियों का ध्यान अपनी ओर खींचती हैं। नवरात्रि के दौरान यहां का नजारा देखने लायक होता है, जिसका हिस्सा बनने के लिए दूर-दूर से भक्त और पर्यटक आते हैं।
रत्नागिरी लाइटहाउस
उपरोक्त स्थानों के अलावा आप मुख्य शहर से लगभग 10 किमी दूर स्थित रत्नागिरी लाइटहाउस की सैर का प्लान बना सकते हैं। इसे रत्नागिरी के छिपे हुए ऐतिहासिक स्थल के रूप में वर्णित किया जा सकता है। लाइटहाउस स्थल एक तरफ से रत्नादुर्ग के प्राचीन किले और दूसरी तरफ अरब सागर से घिरा हुआ है। यह लाइटहाउस 16 मीटर लंबा टावर है जो जहाजों को मार्गदर्शन देने के लिए रेडियो सेंसर, सोडियम लैंप और तूफान सेंसर जैसी सुविधाओं से लैस है।
रत्नागिरी लाइटहाउस एक शांतिपूर्ण स्थान है जो अरब सागर का 360 डिग्री दृश्य प्रदान करता है। एक अलग अनुभव के लिए आप यहां की यात्रा का प्लान बना सकते हैं।