मूल रूप से माधोपुर के नाम से प्रसिद्ध, सवाई माधोपुर राजस्थान का एक खूबसूरत पौराणिक शहर है। राज्य की बाकी नामी जगहों की भांति आप यहां भी भारत के गौरवाशाील अतीत को महसूस कर सकते हैं। अगर आप एक इतिहास प्रेमी हैं और रोमांच का भी शौक रखते हैं तो आपको इस स्थान की सैर अवश्य करनी चाहिए। इस प्राचीन शहर के आसपास कई ऐतिहासिक स्मारकें और खंडहर मौजूद हैं, जो पर्यटकों को काफी हद तक रोमांचित करने का काम करते हैं।
यह शहर प्रसिद्ध रणथंभौर नेशनल पार्क के नजदीक है, जो विभिन्न जीव-जन्तुओं के साथ अपने शानदार वन्य जीवन के लिए जाना जाता है। यह शहर भारत के इतिहास के साथ-साथ वाइल्ड लाइफ प्रेमियों के बीच बहुत ही लोकप्रिय स्थान रहा है। इस खास लेख के माध्यम से जानिए सवाई माधोपुर और आसपास सबसे अधिक देखी जाने वाली जगहों में बारे में।
रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान
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रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान भारत में सबसे प्रसिद्ध वन्यजीव पार्कों में गिना जाता है। मुख्य शहर से 11 किमी की दूरी पर स्थित इस पार्क में बाघों की संख्या सबसे अधिक है। बाघों की देखभाल के लिए यहां वन्य अधिकारियों को विशेष रूप से दिशा निर्देश दिए जाते हैं, ताकि उन्हें बाघों को नई नस्ल पैदा करने के लिए स्वस्थ वातावरण मिल सके। टाइगर के अलावा आप यहां अन्य जीवों को भी देख सकते हैं जिनमें नीलगाई, भालू, लकड़बग्गा, चीतल, जंगली सूअर आदि शामिल हैं।
इसके अलावा आप यहां विभिन्न पक्षी प्रजातियों को भी देख सकते हैं। वन्यजीवन को करीब से देखने के लिए यहां वन विभाग द्वारा सफारी के भी व्यवस्था है। इस राष्ट्रीय उद्यान में तीन खूबसूरत झीलें भी मौजूद हैं।
रणथंभौर किला
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वन्यजीव अभयारण्यों के अलावा आप यहां ऐतिहासिक किलों की सैर का भी आनंद ले सकते हैं। रणथंभौर फोर्ट राज्य के सबसे पुराने किलों में से एक है। रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान के अंदर इस किले का निर्माण 8 वीं शताब्दी में चौहानों राजाओं ने करवाया था। चौहानों की हार के बाद यहां कई राजाओं ने शासन किया था।
इतिहास से जुड़े साक्ष्य बताते हैं कि इस किले पर बहादुर शाह, फ़िरोज़ शाह तुग़लक़, कुतुब-उद-दीन और अलाउद्दीन खिलजी जैसे शासकों द्वारा बार-बार हमला किया गया था। भव्य तोरण द्वार,महादेव छत्री और हवेली किले के कुछ महत्वपूर्ण हिस्से हैं।
खांदर किला
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रणथंभौर किले के अलावा आप मुख्य शहर से 40 किमी की दूरी पर स्थित खांदर फोर्ट की सैर कर कर सकते हैं। इतिहास के जुड़े साक्ष्य बताते हैं कि जिस राजा ने इस भव्य संरचना का निर्माण करवाया था उसे युद्ध में कोई हरा नहीं पाया था। अतीत से जुड़े इस तथ्य के कारण यह किला ज्यादा पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। क्षतिग्रस्त दीवारों और संरचनाओं को आज भी देखकर यहां बार-बार हुए हमलों का पता लगाया जा सकता है।
समय के साथ-साथ इस किले पर सिसोदिया राजाओं लेकर मुगलों तक ने राज किया है। इस किले के अंदर सात मंदिर हैं जो इसे सांस्कृतिक रूप से खास बनाने का काम करते हैं।
चौथ माता मंदिर
प्राकृतिक और ऐतिहासिक स्थलों के अलावा आप यहां प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों की सैर भी कर सकते हैं। आप यहां के चौथ मंदिर के दर्शन के लिए जा सकते हैं। मुख्य शहर से 45 किमी की दूरी पर स्थित यह एक पौराणिक मंदिर है, जो हिन्दू आस्था के मुख्य केंद्रों में माना जाता है।
यह मंदिर माता चौथा को समर्पित है। इतिहास से जुड़े साक्ष्य बताते हैं कि इस मंदिर की मूर्ति भरवाड़ा से महाराजा भीम सिंह द्वारा लाई गई थी। महाराजा भीम सिंह से प्रतिमा को एक पहाड़ी चोटी पर स्थापित किया था, जिसने बाद यहां भव्य मंदिर का निर्माण करवाया था। सफेद पत्थरों का इस्तेमाल कर इस मंदिर को राजपूत शैली में बनाया गया था।
यह मंदिर भारी संख्या में श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है। चौथ माता के अलावा मंदिर में, भगवान गणेश और भगवान भैरव की आकर्षक मूर्तियां भी स्थापित हैं। गणेश चतुर्थी के दिन यहां भव्य आायोजन किए जाते हैं।
चमत्कार मंदिर
उपरोक्त स्थानों के अलावा आप यहां के सबसे प्रसिद्ध जैन मंदिर के दर्शन कर सकते हैं। यह जैन मंदिर चमत्कार टेंपल के नाम से जाना जाता है, जिसके पीछे कई दिलचस्प किवदंतियां जुड़ी हुई हैं। यह मंदिर जैन धर्म के सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक है। अतीत में घटी चमत्कारों की एक श्रृंखला के कारण यह मंदिर अस्तित्व में आया इसलिए इसका नाम चमत्कार शब्द से जुड़ा।
किंवदंती के अनुसार किसी यहां के किसी एक किसान को भगवान का आदेश प्राप्त हुआ, भगवान ने किसी स्थल के बारे में उस किसान को बताकर वहां खुदाई करने के लिए कहा। जब किसान ने वहां खुदाई की तो उसे वहां से एक मूर्ति मिली, जिसे उसने जैन समुदाय के दिगंबर संप्रदाय को सौंप दिया।
उसी किसान को एक और सपना आया, जिसमें भगवान ने उसे प्राप्त की गई मूर्ति को किसी घोड़ा गाड़ी में रखने को कहा, भगवान ने आदेश दिया कि जहां यह घोड़ा रूकेगा वहीं इसी मूर्ति को स्थापित किया जाएगा और मंदिर का निर्माण भी यहीं होगा।