भारत के पूर्वी राज्य मेघालय में स्थित गारो पर्वत श्रृंखला अपने घने जंगल और वन्यजीवन के रहस्यों के लिए जान जाती है। ये पर्वत श्रृंखला राज्य के तीन जिलों में फैली हुई है, पूर्वी, पश्चिम और दक्षिण गारो हिल्स। यह पूरा जंगल इलाका यहां के गारो आदिवासी समाज का निवास स्थान है। प्राकृतिक सौंदर्यता से सराबोर यह पहाड़ी क्षेत्र प्रकृति प्रेमियों और एडवेंचर के शौकीनों को बहुत हद तक आकर्षित करता है।
गारो पर्वत श्रृंखला का ही एक खूबसूरत पहाड़ी गंतव्य है तुरा, जो अपनी पहाड़ी चोटी और कुदरती खजाने के लिए जाना जाना है। शिलांग के बाद तुरा राज्य का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। इस विशेष लेख के माध्यम से जानिए पर्यटन के लिहाज से यह पहाड़ी गंतव्य आपके लिए कितना खास है। साथ में जानिए यहां के सबसे खास पर्यटन स्थलों के बारे में।
तुरा पीक
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गारो हिल्स का एक खूबसूरत पहाड़ी गंतव्य है तुरा पीक जो समुद्र तल से लगभग 872 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। तुरा हिल्स से आप तुरा शहर के खूबसूरत नजारों को आसानी से देख सकते हैं। स्थानीय लोग तुरा हिल्स को तुरा शहर का रक्षक और भगवान का निवास स्थान मानते हैं। स्थानीय मान्यता के अनुसार तुरा हिल्स शहर और शहरवासियों की रक्षा करती है।
चुरा का नाम अंग्रेजों के गलत उच्चारण की वजह से पड़ा। तुरा हिल्स के जंगल को रिजर्व वन घोषित कर दिया गया है। यहां एक वेधशाला भी स्थित है। सिंचोना की खेती यहां मुख्य तौर पर की जाती है। यहां एक फॉरेस्ट बंगला भी स्थित है।
सिजू गुफाएं/ पक्षी अभयारण्य
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गारो पहाड़ियों के बीच स्थित सिजू गुफा प्रकृति की एक अद्भुत संरचना है। गुफा में बनी चुना-पत्थर की संरचनाएं की यहां मुख्य आकर्षण का केंद्र है। जानकारी के अनुसार ये भारत की सबसे लंबी गुफाओं में गिनी जाती है, जिसके अंत का अबतक पता नहीं लगाया जा सका है। सिजू गुआ में प्रवेश करते ही सबसे ध्यान चमगादड़ों के समूह पर पड़ता है, जिन्हें स्थानीय भाषा में डाबोखोल कहा जाता है यानी चमगादड़ों का घर।
गुफा के अलावा आप सिजू पक्षी अभयारण्य की सैर का प्लान बना सकते हैं। यहां पक्षियों की विभिन्न प्रजाति निवास करती है, जिनमें प्राय लुप्त प्रजातियां भी शामिल हैं। प्रकृति के करीब जाने का स्थान एक आदर्श विकल्प है।
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पेल्गा फॉल्स
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तुरा का पेल्गा जलप्रपात भी यहां मुख्य आकर्षणों में गिना जाता है। मुख्य शहर से यह जल प्रपात सात किमी की फासले पर स्थित है। इस जल प्रपात के चारों तरफ फैली कुदरती खूबसूरती इसे एक खास गंतव्य बनाने का काम करती है। पेल्गा फॉल्स एक आकर्षक पिकनिक स्पॉट के रूप में भी जाना जाता है।
राज्य के पर्यटन विभाग ने यहां फूटपाथ और एक व्यूप्वाइंट का निर्माण भी किया है। यहां गानोल नदी से पर बने बांस के पुल से जलप्रपात का नजारा काफी रोमांच पैदा करता है।
नोकरेक नेशनल पार्क और बालपकराम नेशनल पार्क
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तुरा चोटी से लगभग दो किमी दूर, नोकरेक राष्ट्रीय उद्यान तुरा का सबसे आकर्षक स्थान है, जो अपनी समृद्ध जैव विविधता के लिए जाना जाता है। यहां आप साइट्रस फलों की कई दुर्लभ प्रजातियों को देख सकते हैं। यहां की प्रजातियों को संरक्षित करने के लिए यहां विश्व का पहला जीन अभयारण्य बनाया गया है। नोकरेक राष्ट्रीय उद्यान में आप रेल पांडा जैसी दुलर्भ प्रजातियों को भी देख सकते हैं। इसके अलावा यहां जंगली बिल्लियों की भी कई प्रजातियां पाईं जाती हैं।
इस राष्ट्रीय उद्यान के अलावा आप पास स्थित बालपकराम नेशनल पार्क के वन्यजीवन भी करीब से देख सकते हैं। बालपकराम नेशनल पार्क में आप हाथी, बार्किंग हिरण, संभार, तेंदुआ, बाघ, हाथी, काला हिरण और कई अन्य जंगली जानवरों को देख सकते हैं।
ससातग्रे गांव
नोक्रैक पीक की तलहटी पर बसा ससातग्रे गांव एक बेहद खूबसूरत और शांत स्थल है। यह गांव अपनी कुदरती सौंदर्यता के साथ-साथ संतरों के पेड़ों लिए काफी प्रसिद्ध है। तुरा के बाकी स्थानों के साथ आप इस खूबसूरत पहाड़ी गांव की सैर का भी प्लान बना सकते हैं।
यह गांव संतरों की खेती के लिए काफी मशहूर है। यहां से संतरे बाकी जगहों में भी निर्यात किए जाते हैं। आपको यहां हर जगह संतरों के मनमोहक पेड़ अवश्य नजर आ जाएंगे। प्रकृति का एक अद्भुत अनुभव लेने के लिए आप इस गांव की सैर कर सकते हैं।