हिमालय की पहाड़ी खूबसूरती के साथ बसा उधम सिंह नगर भारत के उत्तराखंड राज्य का एक खूबसूरत जिला है जहां से नेपाल कुछ ही दूर रह जाता है। वर्तमान का उधम सिंह नगर कभी नैनीताल का हिस्सा हुआ करता था लेकिन बाद इसे अलग जिले का रूप दे दिया गया। यह शहर राज्य के बाकी पर्वतीय स्थलों की तरह अपने प्राकृतिक खजाने और मनमोहक आबोहवा के लिए काफी लोकप्रिय है।
खासकर गर्मियों के दौरान एक शानदार अवकाश के लिए यह स्थान काफी ज्यादा उपयुक्त है। आज के इस खास लेख में जानिए पर्यटन के लिहाज उत्तराखंड का यह पर्वतीय गंतव्य आपको किस प्रकार आनंदित कर सकता है। जानिए यहां के चुनिंदा सबसे लोकप्रिय दर्शनीय स्थलों के बारे में।
नानक मट्टा
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उधम सिंह नगर भ्रमण की शुरूआत आप यहां के धार्मिक स्थानों से कर सकते हैं, नानक मट्टा यहां का प्रसिद्ध सिख तीर्थस्थल है, दूर-दूर से श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं। ऐसा माना जाता है कि गुरु नानक ने अपने पवित्र चरणों से इस स्थल को पवित्र किया था। तब से स्थल सिख समुदाय के लोगों के लिए एक तीर्थस्थल माना जाता है। पूरे भारत से यहां सिख अनुयायी इस स्थल का दिव्य स्पर्श पाने के लिए आते हैं।
धार्मिक महत्व के अलावा यह स्थान बांध के लिए भी जाना जाता है। पर्यटकों द्वारा नौकायन और मछली पकड़ना यहां आम गतिविधियां हैं। इसके अलावा यह स्थान एक पिकनिक स्पॉट के रूप में भी काफी लोकप्रिय है।
पूर्णागिरि टेम्पल
नानक मट्टा के अलावा आप प्रसिद्ध पूर्णागिरि मंदिर के दर्शन भी कर सकते हैं। यह मंदिर देवी पार्वती के ही एक रूप पूर्णागिरि को समर्पित है। यह मंदिर भारत के शक्ती पीठों में भी गिना जाता है। शक्ति पीठ वो स्थान हैं जहां देवी सती के शारीरिक अवशेषों के पूजा की जाती है। भारत में मौजूद इन शक्ति पीठों के पीछे पौराणिक किवदंतियां जुड़ी हुई हैं, माना जाता है कि सती के पिता को भगवान शिव के संग विवाह मंजूर नहीं था, वे भोलेनाथ को पसंद नहीं किया करते थे।
माना जाता है कि सती के पिता राजा दक्ष ने एक बड़े कार्यक्रम का आयोजन किया था जिसमें समस्त देवों को आमंत्रित किया गया लेकिन अपनी पुत्री सती और दामाद शिव को जानबूझकर आमंत्रण नहीं दिया गया। लेकिन पिता मोह के कारण देवी सती भोलेनाथ के मना करने पर भी उस आयोजन में शामिल होने चली गईं।
जहां उन्हें लज्जा और अपमान की अनुभूति हुई और उन्होंने खुद को समाप्त करने का फैसला किया। पत्नी के वियोग में भगवान शिव ने तांडव किया। विनाश को रोकने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के मृत शरीर को टुकड़ों में विभाजित कर दिया। जहां-जहां से टुकड़े गिरे वहां आज सती को समर्पित शक्ति पीठ मौजूद हैं। माना जाता है कि इस स्थान पर भी कोई अवशेष गिरा था।
गिरि सरोवर
धार्मिक स्थानों के अलावा आप यहां के आसपास के प्राकृतिक स्थलों की सैर का प्लान बना सकते हैं। गिरि सरोवर उधम सिंह नगर के अंतर्गत काशीपुर की एक लोकप्रिय झील है, जो अपनी खूबसूरती और शांत वातावरण के बल पर दूर-दराज से सैलानियों को आकर्षित करती है।
झील का पानी काफी साफ है जिसमें आप नौकायन का आनंद उठा सकते हैं। गिरि सरोवर के पास एक और झील द्रोणा सागर स्थित है। ये दोनों झील इस स्थल को खास बनाने का काम करती हैं। उद्यम सिंह नगर के भ्रमण के दौरान आप इस स्थान का प्लान बना सकते हैं।
काशीपुर
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उधम सिंह नगर के अंतर्गत काशीपुर एक ऐतिहासिक शहर है जहां आप अतीत से जुड़े कई साक्ष्यों को आज भी देख सकते हैं। इतिहास से जुड़े कई पहलुओं को यहां आकर समझा जा सकता है। माना जाता है कि काशीपुर किसी जमाने में एक समृद्ध शहर हुआ करता था, जो एक व्यस्त व्यापार जाल के साथ एक जीवंत अर्थव्यवस्था थी। इन खासियतों के चलते यहां कई बड़ा व्यापारिक वर्ग और यात्री आकर्षित हुए।
देखा जाए तो आज भी इस शहर ने अपनी ऐतिहासिक गुणवत्ता को बरकरार रखा है। इस औद्योगिक शहर ने अपनी विरासत को संरक्षित करके रखा है। यह शहर आधुनिकता और मध्ययुगीन अतीत का एक सही मिश्रण है।
जसपुर
उपरोक्त स्थानों के अलावा आप उद्यम सिंह नगर के जसपुर स्थल की सैर का प्लान बना सकते हैं। यह एक खास स्थल जो बौद्ध, सिख, हिंदू और मुस्लिम धर्म को लोगों का सामंजस्यपूर्ण सहअस्तित्व प्रदर्शित करता है। इस स्थान पर आप इन चार समुदायों के पवित्र स्थानों को देख सकते हैं। यह एक महत्वपूर्ण शहर इसलिए भी है क्योंकि यहां समय-समय पर विभिन्न समुदायों के उत्सव आयोजित होते रहते हैं।
इस स्थान पर भी आप इतिहास से जुड़े साक्ष्यों को देख सकते हैं। यहां कुछ खूबसूरत ग्रोव और बगीचे भी मौजूद हैं। इन सब के अलावा आप इस शहर से त्रिशूल पर्वत के अद्भुत दृश्यों का आनंद भी ले सकते हैं।