वारंगल दक्षिण भारत के तेलंगाना का एक प्यारा सा शहर है। ये चेन्नई-काज़िपेट्ट-दिल्ली राजमार्ग पर स्थित है। ये ऐतिहासिक जगह पर्यटकों को अपनी तरफ खूब आर्कषित करती है। यहां बहुत से प्राचीन खंड हैं जो प्राचीन काल की स्थिति बयान करते हैं। जिन लोगों को इतिहास में रुचि है, उनके लिए ये जगह देखने योग्य है। इतिहास की गवाही देती ये जगह हमेशा सही सलामत रहे और इसे पर्यटकों को यहां आने पर निराशा हाथ ना लगे, इसका पूरा ख्याल रखती है सरकार और इसकी रख-रखाव में कोई कमी नहीं रहने देती। आइये अब जानते हैं कि इस प्राचीन जगह पर देखने के लिए क्या कुछ है।
वारंगल किला
PC: Indupalli Nagabhushana Rao
ऐतिहासिक जगहों का कोी छोर नहीं होता, इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, वारंगल का किला। मज़बूती किसे कहते हैं, ये आप 13वी सदी में बने इस किले को देख कर ही अंदाज़ा लगा सकते हैं। इस किले पर इतिहास में कई हमले हुए, लेकिन अपनी मज़बूती के कारण ही ये आज तक अस्तित्व में है। किले के बीच में खंडहर है जो इसके गौरवशाली इतिहास का सबूत है। वारंगल का ये किला हर दिन सुबह 9 बजा से लेकर शाम 8 बजे तक खुला रहता है। अंदर जाने के लिए आपको टिकट लेना होगा। भारतीय पर्यटकों के लिए टिकट 15 रुपये का है और विदेशी पर्यटकों के लिए 200 रुपये का।
रुद्रेश्वर स्वामी मंदिर
वारंगल के मशहूर पर्यटन स्थलों में से एक रुद्रेश्वर स्वामी मंदिर, हनमकोंडा पहाड़ी पर स्थित है। इस मंदिर में 1000 स्तंभ हैं, इसलिए इसे हज़ार स्तंभों वाला मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। ये मंदिर खासतौर पर भगवान शिव की पूजा के लिए जाना जाता है। इसके अलावा आप चट्टान को काटकर बनाए गए हाथी और नंदी की एक विशाल प्रतिमा आपको देखने को मिलेगी। रुद्रेश्वर स्वामी मंदिर हफ्ते के सातों दिन सुबह 6 बजे से शाम 8 बजे तक खुला रहता है। इस मंदिर के दर्शन करने के लिए कोई टिकट नहीं लगता ।
जैन मंदिर
आपको शायद ऐसा लगे कि वारंगल में मंदिर बहुत सारे हैं लेकिन यकीन मानें तो ऐसा बिल्कुल नहीं है। क्योंकि जब आप एक-एक कर इन मंदिरों को देखना शुरु करेंगे तो आपको पता भी नहीं चलेगा और आप सब मंदिर देख चुके होंगे। लेकिन बाकी मंदिरों से अलग जैन मंदिर एक बेहद खूबसूरत मंदिर है। इसकी दीवारों पर नक्काशियां और लाल पत्थरों से बना इसका ढांचा किसी का भी मन मोह लेगा। अगर आप इस मंदिर का पूरी तरह से भ्रमण करना चाहते हैं वो भी बिना ज्यादा थकान हुए तो सलह है कि आप आरामदायक कपड़े पहन कर ही यहां आएं ताकि आपको गर्मी में भी ज्यादा घूमने से कोई परेशानी ना हो। ये मंदिर हफ्ते के सातों दिन, सुबह 5 बजे से शाम 8 बजे तक खुला रहता है। मंदिर के अंदर प्रवेश करने के लिए कोई टिकट नहीं है।
पाखल झील
शब्दों से ज्यादा तस्वीरें बोलती हैं, ये कहावत यहां एकदम सच्ची सिद्ध होती है। पाखल झील की खूबसूरती को बयान करती ये तस्वीर प्रमाण है कि ये झील पर्यटकों का ध्यान कितनी आसानी से अपनी ओर आकर्षित कर सकती है। ये झील पेड़-पौधों से घिरी रहती है जो सोने पर सुहागे का काम करते हैं। पर्यटक इस झील में बोटिंग किए बिना नहीं रहते। ये झील हर दिन सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक खुली रहती है।
भीमुनी पादम झरना
वारंगल के पर्यटन स्थलों में अगर भीमुनी पादम झरने की चर्चा नहीं की तो चर्चा अधूरी रह जाएगी। शहर से करीब 50 किमी दूर ये झरना पर्यटकों के लिए एक तोहफे की तरह काम करता है। पानी किसी भी रूप में हो दिल और दिमाग को ताज़गी देता ही है। और जब बात झरने केकी हो तो इसका तो आधी थकान तो इसे देखने से ही उतर जाती है। इस तरोताजा कर देने वाले झरने पर जाने के लिए कोई टिकट नहीं है।
कैसे पहुंचे वारंगल
हवाई जहाज से: वारंगल शहर तेलंगाना में स्थित है। वारंगल का सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा तेलंगाना की राजधानी, हैदराबाद में है। हैदराबाद का ये राजीव गांधी हवाई अड्डा, वारंगल से लगभग 160 किमी दूर है। इसलिए एयरपोर्ट पहुंचने के बाद आप यहां से वारंगल तक की टैक्सी कर सकते हैं।
ट्रेन से: वारंगल की रेल कनेक्टिविटी देश के लगभग सभी शहरों से जुड़ी है। हैदराबाद-दिल्ली और चेन्नई-कोलकाता की रेलों में भी ये एक बड़ा जंक्शन है। इसलिए रेल के जरिये भी यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है। एक बार स्टेशन पहुंचने के बाद यहां से ऑटो रिक्षा भी जाता है।
रोड से: सड़कों के लिहाज़ से देखा जाए तो वारंगल की कनेक्टिविटी बहुत अच्छी है। वारंगल के लिए बहुत सी लबी यात्रा तय करने वाली बसें बैंगलोर, चेन्नई, हैदराबाद, हुबली, तिरुपति से चलती हैं। हैदराबाद से सीधे वारंगल जाने के लिए हर 15 मिनट में बस चलती है जो महज़ 3 घंटे में वारंगल पहुंचा देती है।