उड़ीसा राज्य की सांस्कृतिक और वाणिज्यिक राजधानी कटक, वर्तमान राजधानी भुवनेश्वर से 28 किमी. की दूरी पर स्थित है, जो पहले उड़ीसा की मूल राजधानी हुआ करती थी। मध्यकालीन युग से अभिनाबा बारानासी कटक के रूप में लोकप्रिय कटक राज्य के सबसे पुराने और बड़े शहरों में से एक है।
महानदी और कठजोरी नदियों के मिलने से बने एक उपजाऊ डेल्टा पर स्थित कटक,अपने भव्य स्मारकों और सांस्कृतिक जीवन की जीवंतता के लिए जाना जाता है। पर्यटक यहां घूमते हुए मंदिर, किले, पहाड़ आदि सब देख सकते हैं, तो आइये जानते हैं कि, एक ट्रैवलर के लिए अपनी गोद में क्या क्या समेटे हुए है उड़ीसा का प्राचीन शहर कटक
बाराबती किला
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कटक के प्रसिद्ध आकर्षणों में से एक बाराबती किला महानदी के किनारे स्थित है, जो अपने खबसूरत वास्तुकला और तराशे गए दरवाज़ों और नौ मंज़िला महल के लिए प्रसिद्ध है। बाराबती क़िले का निर्माण गंग वंश ने 14वीं शताब्दी में करवाया था। ऐसी मान्यता है कि युद्ध के समय नदी के दोनों किनारों पर बने क़िले इस क़िले की रक्षा करते थे। वर्तमान में इस क़िले के साथ एक अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम है, जो पांच एकड़ में फैले इस स्टेडियम में लगभग 30000 से भी ज्यादा लोग बैठ सकते हैं। यहां खेल प्रतियोगिताओं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का अयोजन होता रहता है। आपको बता दें कि बाराबती क़िले को राजा मुकुंद देव ने सन 1560-1568 में निर्माण करवा कर विशाल क़िले का रूप दिया। सन 1568 से 1603 तक यह क़िला अफ़ग़ानियों, मुगलों और मराठा के राजाओं के अधीन था उसके बाद सन 1803 में अंग्रेजों ने इस क़िले कों मराठों से छीन लिया।
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कटक चंडी मंदिर
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महानदी के तट पर स्थित देवी चंडी को समर्पित कटक चंडी मंदिर 3 हजार साल पुराना बताया जाता है। यह मंदिर, भक्तों के बीच खास रूप से प्रसिद्ध है। यहां हजारों श्रद्धालु दर्शन करने आते है। मंदिर में हर साल देवी दुर्गा की भव्य पूजा होती है। प्रतिवर्ष, दुर्गा पूजा को धूमधाम से मनाया जाता है। यह एक त्यौहार 16 का मनाया जाता है जो अश्विनी कृष्णा अष्टमी से शुरू होकर विजयदशमी तक चलता है। यहां की देवी को मां कटक चंडी के नाम से जानते है।
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धाबलेश्वर मंदिर
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कटक से 37 किमी. की दूरी पर स्थित धाबलेश्वर मंदिर का निर्माण 16 वीं शताब्दी में सम्पन्न हुआ था। भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर की वास्तुकला और परिसर भी काफी प्रभावशाली है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन हजारों की संख्या में पर्यटक यहां दर्शन करने आते है। इस मंदिर में पंचकुला त्यौहार को भी धूमधाम से मनाया जाता है। कटक के इस मंदिर तक पहुंचने के लिए नियमित रूप से बस और टैक्सी सेवाएं हमेशा चलती रहती है।
धाबलेश्वर तट
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अगर आप कटक में समुद्री लहरों का मजा लेना चाहते हैं, तो धाबलेश्वर तट जाना कतई ना भूले, जोकि कटक से महज चार किमी की दूरी पर स्थित है। धाबलेश्वर एक शानदार द्वीप है जो महानदी नदी के किनारे पर स्थित है। इस तट की सुंदरता, यहां का शांत वातावरण है, यहां का निर्मल जल है। यह स्थान पर्यटकों के बीच यहां के सुंदर और सौम्य वातावरण के कारण जाना जाता है, जो उन लोगों में उत्साह और रोमांच भर देता है। इस स्थान पर धाबरेश्वर वॉटर स्पोर्ट सेंटर एक अन्य आकर्षक स्थल है। यहां भारत और अन्य देशों से कई सैलानी दौर पर आते ही रहते है।
परमहंसनाथ मंदिर
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कटक के बाहरी हिस्स्से में स्थित परमहंसनाथ मंदिर भगवान महादेव को समर्पित है। मंदिर के पास में एक छिद्र है, जहां एक बहुत बड़ा छिद्र है जहां से स्वयं पानी निकलता है। यह विशाल छिद्र इस मंदिर की मुख्य विशेषता है। इसे अनंत गर्व कहा जाता है।
कदम-ई-रसूल
यूं तो भारत में कई मस्जिदें हैं, जिनकी अद्भुत वास्तुकला पर्यटकों को हैरत में डालती हैं, लेकिन कटक में स्थित ये मस्जिद अन्य मस्जिदों से बेहद अलग है, इस धार्मिक स्थान का निर्माण मुसलमानों की धार्मिक आस्था को ध्यान में रखकर करवाया था। मस्जिद के मुख्य परिसर के भीतर तीन खूबसूरत मस्जिदें हैं। इनके गुंबद और कमरे बहुत ही आकर्षक हैं। यहां नवाबत खाना नाम का एक कमरा भी है जिसका निर्माण 18वीं शताब्दी में किया गया था। एक गुबद के पर पैगंबर मोहम्मद के पद चिह्न एक गोल पत्थर पर अंकित किए गए हैं।
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कैसे पहुंचे कटक
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वायु मार्ग
यहां का नजदीकी हवाई अड्डा भुवनेश्वर का बीजू पटनायक हवाई अड्डा 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पर्यटक हवाई अड्डे भुवनेश्वर से बस या कैब के जरिये कटक पहुंच सकते हैं।
रेल मार्ग
कटक का अपना रेलवे स्टेशन है, जो देश के अन्य भागों दिल्ली, कोलकता, मुंबई समेत सभी प्रमुख शहर से जुड़ा है।
सड़क मार्ग
कटक सड़क के रास्ते आसानी से पहुंचा जा सकता है, यह भुवनेश्वर, कोणार्क, पुरी, कोलकता और देश के बाकी हिस्सों से सड़कों के जरिए जुड़ा है।