तालों के शहर के नाम से विखाय्त भोपाल एक बेहद समृद्ध शहर है, जोकि मध्य प्रदेश की राजधानी है। इस राज्य में पर्यटन के बिन्दुओं पर ऐसा बहुत कुछ है जिसके चलते देश दुनिया के पर्यटक इस खूबसूरत राज्य की तरफ आकर्षित हो रहे हैं।
लेकिन आज हम आपको यहां भोपाल के बारे में नहीं बल्कि एक ऐसी भूली हुई विरासत के बारे में बताने जा रहे हैं जो कभी भोपाल की शाही राजधानी हुआ करती थी। दरअसल, हम बात कर रहे हैं, इस्लामनगर की,जो भोपाल से करीबन 13 किमी की दूरी पर स्थित है। खण्डहर में तब्दील हो चुका इस्लाम नगर अपने गौरवशाली इतिहास के लिए जाना जाता है। यहां मौजूद खंडहर को देखने से भी इसका एहसास हो जाता है। यहां आप पर्यटकों को तो नहीं पाएंगे लेकिन, यह जगह धीरे धीरे प्री-वेडिंग फोटोशूट के लिए काफी लोकप्रिय हो रही है। तो इसी क्रम में जानते हैं, भोपाल की भूली हुई विरासत इस्लामनगर में घूमने की कुछ खास जगहों के बारे में
इस्लाम नगर का इतिहास
अफगानों से पहले यहां राजपूतों का शासन हुआ करता था, तब इस जगह को जगदीशपुर के नाम से जाना जाता था, लेकिन 18वीं शताब्दी में अफगान कमांडर दोस्त मोहम्मद खान यहां आए और इस कस्बे को अपने अधीन कर लिया। उन्होंने इसका नाम इस्लामनगर रखा। दोस्त मोहम्मद ने भोपाल शाही राज्य की स्थापना की और इस्लामनगर को उसकी राजधानी बनाया। हालांकि यह शासन काफी संक्षिप्त रहा और 1723 में निजाम-उल-मुल्क ने इस्लामनगर किले को अपने नियंत्रण में ले लिया। अंत में 1806 से 1817 तक यहां सिंधियों ने शासन किया। कभी ये गांव अपने गौरवशाली इतिहास के चलते जाना जाता था,जिसे आज भुला दिया गया है, भोपाल से कुछ ही दूर होने के बावजूद, सरकार का ध्यान इस ओर नहीं है।Pc: Suyash Dwivedi
गेट से होती है एंट्री
जब अप इस जगह पर पहुंचेंगे तो आपको गांव के भीतर जाने के लिए एक गेट से होकर गुजरना होगा जो इसके गौरवशाली इतिहास का बखान करता है, गेट से अंदर आजते ही आपको कच्चे मकान नजर आयेंगे। कभी भोपाल की शाही राजधानी रह चुका इस्लाम नगर आज बदहाली से भरे गांव के रूप में तब्दील हो चुका है।Pc: Suyash Dwivedi
क्या देखें
इस्लाम नगर के महल आज खंडहर में तब्दील हो चुके हैं, लेकिन कहीं ना कहीं आज भी इन महलों की वास्तुकला देख पर्यटक अचंभित हो जाते हैं। यहां देखने के लिए चमन महल ,रानी महल,इस्लाम नगर किला आदि हैं।Pc:Suyash Dwivedi
इस्लाम नगर किला
रानी महल और चमन महल को को मिलाकर बनता है इस्लाम नगर किला। यह वाही जगह है, जहां दोस्त मोहम्मद खान अपने शासनकाल के समय सारे काम निपटाते थे। किले के मेन गेट पर 12 शीशों का दरवाजा देखा का सकता है, जिसे शीश महल भी कहा जाता है। इस महल का मुख्य आकर्षण इसके बीच में बना एक गार्डन है। गार्डन में मौजूद झरना इसकी खूबसूरती को और भी बढ़ा देता है। इस महल में मुगल और मालवा शैली के वास्तुशिल्प की समृद्ध झलक देखी जा सकती है। इस महल के खंभों और मेहराबों को फूलों की बारीक नक्काशी से सजाया गया है।
इस्लामनगर आने वाले पर्यटकों को इस महल की वैभवशाली वास्तुशिल्प का गवाह बनने के लिए एक बार यह महल जरूर घूमना चाहिए। भले ही इस महल में झरने से बहते खूशबूदार पानी की खसियत न हो, फिर भी यहां घूमना कभी बेकार नहीं जाएगा।
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रानी महल
रानी महल को एक कैन्वस के तौर पर भी देखा जा सकता है, जिसमें मुगल, राजपूत और मालवा शैली के वास्तुशिल्प की झलक मिलती है। इस महल में दो तल्ले हैं। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि इस महल को 1720 में दोस्त मोहम्मद खान ने महिलाओं के रहने के लिए बनवाया था। यहां उनकी रानियां रहती थीं। इस खूबसूरत महल में कई बालकोनियां हैं और बीच का स्थान काफी खुला हुआ है। इसके छत पर बनीं छतरियां अपने समय की उत्कृष्ट वास्तुशिल्प शैली का प्रमाण है।
इस महल में स्थित आयाताकार गार्डन इसकी खूबसूरती में और भी इजाफा कर देता है। महल के सामने वाले हिस्से में एक खुला प्रांगण है, लेकिन इसके बालकनी से मिलने वाले भव्य नजारे को देखकर आप रोमांचित हुए बिना नहीं रह सकते हैं।
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चमन महल
चमन महल को गार्डन पैलेस भी कहते हैं। यह एक भव्य महल है, जिसे 1715 में अफगान कमांडर दोस्त मोहम्मद खान ने बनवाया था। यह बगीचा चारबाग स्टाइल में बना हुआ है, यहां लगे नोटिस बोर्ड के मुताबिक, यह बगीचा मध्य भारत में चारबाग शैली के मुगल उद्यान में से एक है।Pc:Vu2sga