कालपी एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक नगर है जहाँ पुराने समय से लगातार राजनीतिक उथल-पुथल होती रही है। साथ ही कालपी हिन्दू-मुस्लिम दोनों की आस्थाओं के लिहाज़ से बहुत महत्त्व रखता है। कालपी और कालपी के आस-पास के लोग 'कालपी' को 'कालपी शरीफ' के नाम से बुलाते हैं। हालांकि यह स्थल बहुत बड़ा नहीं है और ना ही यह आकर्षण स्थलों में आता है, यहाँ की आबादी और संकरी गलियां किसी भी पर्यटक को कालपी आने के लिए सोच में डाल सकती है। परन्तु जो इतिहास प्रेमी हैं वो सारी बाधाओं के बावजूद भी यहाँ आने से खुद को रोक नहीं पाते हैं।
कहते हैं कि अकबर के प्रसिद्ध दरबारी बीरबल भी कालपी के ही थे। अपनी इस ऐतिहासिकता के साथ-साथ कालपी में मनमोहक ऐतिहासिक, धार्मिक दर्शनीय स्थल भी बने हुए हैं, जो कालपी की गौरवगाथा स्वयं सुनाते हैं। व्यास मठ, चौरासी गुम्बज के साथ-साथ कालपी नगर में स्थित लंका मीनार अपने आपमें अद्भुत है। भले ही यह ऐतिहासिक नगर अब अपनी पहचान के लिए तरस रहा हो परन्तु इसका महत्त्व आज भी इतिहास के किसी भी पन्ने में कम नहीं हुआ है। तो आप भी इस पुरातन नगर की सैर अवश्य करें एक पर्यटक व ऐतिहासिक प्रेमी की दृष्टि से।
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कालपी, चौरासी गुम्बद
अद्भुत इतिहास और शिल्पकला का बेजोड़ नमूना है
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लोधी शाह बादशाह की कब्र
चौरासी गुम्बद के अंदर लोधी शाह बादशाह की कब्र
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चौरासी गुम्बद, मकबरे के बाहर
चौरासी गुम्बद में लोधी शाह बादशाह के मकबरे के बाहर का अद्भुत नज़ारा
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चौरासी गुम्बद के पास का स्थल
ब्रिटिश काल की कहानी बयां करती खण्डार होती यह इमारत
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लोधी सुल्तान की निशानी
चौरासी गुम्बद की ललाट पर अपनी पहचान छोड़ती यह मीनार लोधी सुल्तान की निशानी
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चौरासी गुम्बद के बाहर का दृश्य
चौरासी गुम्बद के बाहर का दृश्य दर्शाता यह स्थल
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कालपी के ऐतिहासिक स्थल
कालपी के ऐतिहासिक स्थल जो अब खंडहर बन चुके हैं
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कालपी ऐतिहासिक धरोहर
कालपी इतिहास की वो धरोहर है जिसने ऐतिहासिक स्वतंत्रता संग्राम में बराबरी से योगदान दिया है
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कालपी, उत्तर प्रदेश का एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल
कालपी की ऐतिहासिक विरासत की इमारत का दृश्य
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