असम पूर्वोत्तर भारत का एक खूबसूरत राज्य है, जो अपने वृहद इतिहास, सांस्कृतिक और प्राकृतिक महत्व के लिए विश्व भर में जाना जाता है। यहां मौजूद नदी, पहाड़ियां , घाटियां, चाय के बागान, प्राचीन मंदिर, घने जंगल आदि इस राज्य को खास बनाने का काम करते हैं। यहां से गुजरती ब्रह्मपुत्र नदी असम का कुदरती श्रृंगार करती है। पर्यटन के लिए पूर्वोत्तर का यह राज्य काफी खास माना जाता है, जहां आप एक शानदर अनुभव के लिए अपने परिवार या दोस्तों के साथ आ सकते हैं। असम की मनमोहक आबोहवा का आनंद लेने के लिए विश्व भर से सैलानियों का आगमन होता है। इस राज्य का अपना अलग इतिहास रहा है जिसे आप यहां मौजूद प्राचीन संरनचाओं के माध्यम से समझ सकते हैं। इस लेख में हमारे साथ जानिए असम के चुनिंदा कुछ खास किले-महलों के बारे में जानिए ये आपको कितना आनंदित कर सकते हैं।
गर्चुक लचित गढ़
असम के प्राचीन किलो में आप गर्चुक लचित गढ़ की सैर का प्लान बना सकते हैं। यह एक प्राचीन किला है जो लचित गढ़ के नाम से लोकप्रिय है। यह फोर्ट गुवाहाटी के दक्षिण पश्चिम में और अहोमगांव के पश्चिम में स्थित है। जानकारी के अनुसार इसका निर्माण 1670 में लचित बोरफुकन के समय में किया गया था। किल परिसर लगभग 3 कि.मी की लंबाई में फैला हुआ है। यह अपने समय का एक मजबूत किला था, जो शाही निवास के साथ-साथ दुश्मनों से सुरक्षा के उद्देश्य से भी बनवाया गया था। किले के पास आप नहर भी देख सकते हैं, जो उस समय जलापूर्ति के लिए बनवाई गई थी। इतिहास की बेहतर समझ के लिए आप यहां की यात्रा कर सकते हैं।
बादरपुर फोर्ट
गर्चुक लचित गढ़ के अलावा आप असम के बादरपुर फोर्ट की सैर का प्लान बना सकते हैं। यह एक प्राचीन किला है जो राज्य के करीमगंज जिले में स्थित है। अतीत से जुड़ा जानकारी के अनुसार इस किले का निर्माण भारत में मुगल शासक के दौरान किया गया था । इस किले का निर्माण शाही निवास और रणनीतिक तौर पर बराक नदी के पास किया गया था। हालांकि यह किला वर्तमान में मात्र एक खंडहर के रूप में मौजूद है, लेकिन इसकी मजबूर दीवारों को आज भी देखा जा सकता है। यह अपने जमाने का एक मजबूर किला है, जिसकी आकर्षक वास्तुकला इतिहास और कला-संस्कृति में दिलचस्पी रखने वालों के लिए काफी आकर्षित करती है। इतिहास की बेहतर समझ के लिए आप इस प्राचीन किले का भ्रमण कर सकते हैं। यहां आने का आदर्श समय अक्टूबर से लेकर फरवरी के मध्य का समय है।
करेंग घर
असम स्थित प्राचीन किले-महलों की श्रृंखला में आप करेंग घर की सैर का प्लान बना सकते हैं। यह एक प्राचीन शाही महल है, जिसे गढ़गांव महल के नाम से भी जाना जाता है। यह प्राचीन संरचना शिवसागर से 15 कि.मी की दूरी पर गढ़गांव में स्थित है। यह एक आकर्षक महल है जिसका निर्माण अहोम वास्तुकला शैली में किया गया था। पर्यटकों यह किला काफी ज्यादा प्रभावित करता है। एक खूबसूरत बगीचे के मध्य बड़ा यह महल भवन निर्माण कला का बेहतरीन उदाहरण है। पैलेस के निर्माण में लकड़ और पत्थर का इस्तेमाल किया गया है। माना जाता है कि 1747 में रूद्र सिंहा के पुत्र प्रमत्त सिन्हा ने 5 कि.मी लंबी पत्थर की दीवार बनवा कर किले की घेरेबंदी की थी। माना जाता है कि पुरानी सरंचना के ढहने के बाद 1752 में इस महल का पुन निर्माण करवाया गया था। इतिहास और कला-संस्कृति में दिलचस्पी रखने वालो के लिए यह एक आदर्श स्थल है।
मटियाबाग राजबारी
असम स्थित प्राचीन महलों में आप मटियाबाग राजबारी की सैर का प्लान बना सकते हैं। यह एक प्राचीन महल है जिसे मटियाबाग पैलेस के नाम से भी संबोधित किया जाता है। यह एक आकर्षक संरचना है जो गोदाधार नदी के पास मटियाबाग हिल्स पर स्थित है। जानकारी के अनुसार इस महल का इस्तेमाल गौरीपुर शाही परिवार एक हवाखाना के रूप में करता था । बाद में यह महल स्वतंत्रता पूर्व के कलाकार और निर्देशक प्रमथेश चंद्र बरुआ का निवास स्थान बना। यह किला इस क्षेत्र की अद्बुत कला और वास्तुकला को प्रदर्शित करता है। एक शानदार सफर के लिए आप यहां आ सकते हैं।
तलातल घर
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उपरोक्त संरचनाओं के अलावा आप असम के रंगपुर स्थित तलातल घर की सैर का प्लान बना सकते हैं। यह एक प्राचीन महल है जिसे रंगपुर पैलेस के नाम से भी संबोधित किया जाता है। यह महल शिवसागर से मात्र चार कि.मी की दूरी पर स्थित है। यह ताई अहोम वास्तुकला का सबसे उत्कृष्ट उदाहरण है। इस आकर्षक महल को देखने के लिए यहां सालभर पर्यटकों का आगमन लगा रहता है। तलातल घर को पहले एक आर्मी बेस के रूप में बनाया गया था, जिसमें दो गुप्त सुंरग भी मौजूद हैं। रंगपुर महल सात मंजिला इमारत है, जिसे देखने के लिए आप यहां आ सकते हैं।