जंगल को देखकर एडवेंचर का मज़ा लेने का मन हो उठता है। हम सभी ने जंगलों और वन्यजीवों को बस दूर से ही देखा होगा लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आप खुद भी जंगल की लाइफ का मज़ा ले सकते हैं।
हम सभी ने मोगली के लाइफस्टाइल को तो देखा ही है। कैसे वो जंगल में रहता था दूसरों जानवरों के साथ।
हमारे देश में ऐसे कई जंगल हैं जहां पर आप एडवेंचर का मज़ा ले सकते हैं। भारत के जंगलों के बारे में लोग बहुत कम ही जानते हैं। जंगल में आप ट्रैकिंग, कैंपिंग और फॉरेस्ट बाथिंग का आनंद उठा सकते हैं। एडवेंचर के शौकीन लोगों को हाइकिंग और ट्रैकिंग का लुत्फ उठाने का मौका भी इन जंगलों में ही मिलता है।
आज हम आपको देश के ऐसे 10 जंगलों के बारे में बताने जा रहे हैं जहां की हरियाली वाइल्डनेस और एडवेंचर को पसंद करने वाले लोगों के दिल को छू जाएगी।
कान्हा नेशनल पार्क, मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश के कान्हा नेशनल पार्क में स्तनपाई जीवों की 22 से भी ज्यादा प्रजातियां मौजूद हैं। यहां पर आप शेर, स्लोथ बीयर, माउस डीयर आदि देख सकते हैं। यहां की सबसे खास बात है सिओनी के जंगल का ट्रैक। ये नेशनल पार्क ट्रैकर्स और वाइल्डलाइफ पसंद करने वाले लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय है। इसे भारत के शीर्ष जंगल ट्रैकिंग डेस्टिनेशन में शामिल किया गया है।
समयावधि: 2 से 3 घंटे
लेवल: बिगीनर
लेवल: इस ट्रैक पर जाने का सबसे सही समय अक्टूबर के मध्य से जून के अंत तक है। मॉनसून के मौसम में कान्हा नेशनल पार्क बंद रहता है।
छेंब्रा ट्रैक, केरल
केरल के वायनाड में स्थित छेंब्रा पीक ट्रैक दक्षिण प्रायद्वीप के सबसे लोकप्रिय जंगल ट्रैक में से एक है। समुद्रतट से 2100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित छेंब्रा पार्क पश्चिमी घाट की सबसे ऊंची चोटियों में से एक है। ये जगह पर्यटकों के बीच अपनी हरियाली और प्राकृतिक सौंदर्य के कारण भी मशहूर है।
वायनाड अपने घने जंगलों के लिए मशहूर है और छेंब्रा ट्रैक पहाड़ों पर बना है। इससे गुज़रते हुए आपको कई हरी-भरी जगहों से होकर जाना पड़ेगा। इस ट्रैक को पूरा करने में चार घंटे का समय लगता है जिसमें आपको कई तरह की प्राकृतिक छटाएं देखने को मिलेंगी। इस ट्रैक की चोटि के पास दिल के आकार की झील स्थित है जिसे लव लेक के नाम से जाना जाता है।
समयावधि: 4 से 5 घंटे
लेवल: बिगीनर
कब जाएं: छेंब्रा ट्रैक जाने का सबसे सही समय मॉनसून के बाद दिसंबर से फरवरी तक का होता है। इस समय यहां का मौसम सुहावना रहता है।
कुंजखड़क ट्रैक, उत्तराखंड
उत्तराखंड में कुंजखड़क ट्रैक की शुरुआत पंगोट से होती है जोकि हिमालय की तलहटी में कोर्बेट के पास स्थित है। अगर आपको दूरगम स्थानों पर जाना पसंद है तो इस ट्रैक पर एक बार आपको जरूर आना चाहिए। इसके रास्ते में आकाशकंदा के हरे-भरे घने जंगल हैं जिसमें देवदार के पेड़ देखने को मिलेंगे। इसके अलावा रास्ते में कोसी नदी भी पड़ती है जोकि भारत और नेपाल की सीमा तय करती है। पूरे रास्ते आपको इस नदी से बनी सीमा का साथ मिलेगा।
समयावधि: 2 से 3 दिन
लेवल: मध्यम
कब जाएं: इस ट्रैक पर अक्टूबर से अप्रैल के बीच जाना सही रहता है।
पाली वॉटरफॉल ट्रैक, गोवा
गोवा का नाम सुनते ही समुद्र की लहरे और खूबसूरत समुद्रतट, पार्टियां याद आ जाती हैं लेकिन गोवा में इससे ज्यादा बहुत कुछ है। पाली वॉटरफॉल को शिवलिंग झरने के नाम से भी जाना जाता है। इसका रास्ता देश के सबसे ऑफबीट जंगल ट्रैक में से एक है।
इस राज्य के सबसे घने जंगल के क्षेत्र से ये झरना ढका हुआ है। आपको बता दें कि शिवलिंग झरना छोटे से वलपोई गांव में बहता है। यहां पर सांप और कोबरा भी रहते हैं इसलिए अपना रास्ता ज़रा इनसे बचाकर रखें। ट्रैकिंग का रास्ता थोड़ा मुश्किल और चुनौतीपूर्ण हो सकता है लेकिन अनुभवी लोगों को यहां ट्रैकिंग करने में बहुत मज़ा आएगा। ये ट्रैकिंग ट्रेल 6 किमी लंबी और ये वलपोई गांव से शुरु होती है। सड़कों, बहते पानी और घनी वनस्पतियों से होकर इस ट्रैकिंग का रास्ता पूरा होता है।
समयावधि: 2 से 3 घंटे
लेवल: मध्यम
कब जाएं: पाली वॉटरफॉल ट्रैक पर जाने का सबसे सही समय मॉनसून के बाद है क्योंकि इस समय यहां गर्मी कम होती है और मौसम भी साफ रहता है। अगस्त के अंत से लेकर सिंतबर तक यहां आना सही रहता है।
टल्ले घाटी, अरुणाचल प्रदेश
अरुणाचल प्रदेश में देवदार के पेड़ों के कई जंगल हैं जिनमें केले के पेड़ और हरी-भरी घाटियां भी शामिल हैं। प्राकृतिक सौंदर्य से सराबोर इस जगह पर कई तरह के वनस्पित और वन्यजीव आपको देखने को मिल जाएंगे। भारत के सभी राज्यों में अधिकतम वन आवरण है यहीं का है। जंगल ट्रैकिंग के लिए अरुणाचल प्रदेश की टल्ले घाटी बहुत मशहूर है।
ये ट्रैक प्राकृतिक वनस्पतियों ही नहीं बल्कि घने बांस के क्षेत्र के रूप में भी जाना जाता है। हालांकि, इस जंगल में अब तक शहरीकरण की छाया नहीं पड़ी है इसलिए यहां पर जंगल ट्रैकिंग और फॉरेस्ट कैंपिंग का मज़ा लिया जा सकता है।
समयावधि: 2 से 3 दिन
लेवल: मध्यम
कब जाएं: वसंत और पतझड़ यानि अक्टूबर से अप्रैल तक का समय यहां आने के लिए सही रहता है। इस दौरान इस ट्रैक का मौसम बहुत सुहावना रहता है।
बिंसार जीरो प्वॉइंट ट्रैक, उत्तराखंड
बिंसार, उत्तराखंड राज्य का एक छोटा सा गांव है। ये जगह खूबसूरत नज़ारों, प्राकृतिक सौंदर्य और मेहमाननवाज़ी के लिए मशहूर है। बिंसार जीरो प्वाइंट ट्रैक बिंसार वन्यजीव अभ्यारण्य से होकर गुज़रता और ये काफी आसान ट्रैक माना जाता है।
बिंसार के जंगलों में कई बंदर, कई तरह के पक्षी, लंगूर और अन्य जानवर देखने को मिलते हैं। इस ट्रैक की शुरुआत टूरिस्ट गेस्ट हाउस से होती है और ये बिंसार की सबसे ऊंची चोटि पर जाकर खत्म होता है। इस ट्रैक में ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों से गुज़रना पड़ता है।
समयावधि: 2 से 3 घंटे
लेवल: बिगीनर
कब जाएं: इस ट्रैक पर अक्टूबर से नवंबर और फरवरी-मार्च के बीच जाना सही रहता है। इस समय यहां बारिश और बर्फ भी कम रहती है और मौसम सुहावना होता है।
मुदुमलई, तमिलनाडु
तमिलनाडु के मुदुमलई नेशनल पार्क के बारे में तो सभी जानते हैं। जंगल ट्रैकिंग के लिए इससे बेहतर जगह आपको कहीं और नहीं मिलेगी। एडवेंचर प्रेमियों और एड्रेनलाइन जंकियों के बीच ये जगह बहुत लोकप्रिय है।
ये ट्रैक ज्यादा मुश्किल नहीं है और यहां पर आपको रहने के लिए हॉस्टल, होटल, रिजॉर्ट और गांव के घरों में रहने की सुविधा भी मिल जाएगी। आसपास के गांवों से ही ट्रैक की शुरुआत होती है। ट्रैकिंग के इस रास्ते में आपको मुदुमलई के कई खूबसूरत नज़ारे देखने को मिलेंगे।
समयावधि: 2 से 3 घंटे
लेवल: बिगीनर
कब जाएं: मॉनसून के खत्म होने पर मुदुमलई आना ज्यादा बेहतर रहता है। नवंबर के अंत से फरवरी के अंत तक आप मुदुमलई आ सकते हैं।
कोडाचाद्रि ट्रैक, कर्नाटक
समुद्र तट से 4,406 फीट की ऊंचाई पर स्थित कोडाचाद्रि चोटि मूकांबिका नेशनल पार्क के पास कर्नाटक के शिवमोगा क्षेत्र में स्थित है। ट्रैकिंग के लिए इस जगह पर लोगों की भारी भीड़ देखने को मिलती है। पश्चिमी घाट की गोद में बसे झरनों और हरे-भरे जंगलों और वनस्पितयों और जीवों से ये ट्रैकिंग ट्रैक होकर गुज़रता है।
समयावधि: 2 से 3 दिन
लेवल: मध्यम
कब जाएं: कोडाचाद्रि ट्रैक पर जाने का सबसे सही समय अक्टूबर से जनवरी तक का है।
नेत्रवली वन्यजीव अभ्यारण्य, गोवा
हरे-भरे जंगलों से ढका नेत्रवली वन्यजीव अभ्यारण्य ट्रैकिंग के लिए बेहतर माना जाता है। यहां पर आपको कई तरह की वनस्पतियां और वन्यजीव भी देखने को मिलेंगे। गोवा के अन जंगलों में 30 मीटर ऊंचे पेड़ हैं जो इस जगह और भी ज्यादा रोमांचक बनाते हैं। जंगल ट्रैकिंग के लिए ये जगह एकदम परफैक्ट है।
मिनापि झरने से होते हुए इस ट्रैक का रास्ता गुज़रता है और मॉनसून के मौसम में तो इस झरने की खूबसूरती दोगुनी हो जाती है। इस जगह पर बिगीनर्स रॉक क्लाइंबिंग भी कर सकते हैं।
समयावधि: 2 से 3 दिन
लेवल: बिगीनर
कब जाएं: अक्टूबर से मार्च तक इस अभ्यारण्य जाने का सही समय रहता है। यहां आने के लिए सर्दी का मौसम ठीक रहता है लेकिन इस दौरान झरनों में पानी ज्यादा नहीं मिलता है।
सीताबनी ट्रैक, उत्तराखंड
उत्तराखंड के जिम कोर्बेट में सीताबनी ट्रैक भी बिगीनर ट्रैकर्स और ट्रैवलर्स के लिए बहुत खास माना जाता है। इस ट्रैक की शुरुआत सीताबनी मंदिर से होती है और ये भोला मंदिर पर जाकर खत्म होता है। सीताबनी मंदिर से भोला मंदिर घने जंगलों में 8 से 9 किमी की दूरी पर स्थित है। भोला मंदिर तक के रास्ते में पड़ने वाले घने जंगलों में जंगली जानवर जैसे हाथी, शेर और भालू रहते हैं।
समयावधि: 3 से 4 घंटे
लेवल: बिगीनर - मध्यम
कब जाएं: अक्टूबर से अप्रैल तक का समय यहां आने के लिए बेहतर रहता है। इस समय बारिश नहीं होती और मौसम भी सुहावना रहता है।