तिरुमकुडालू नरसिपुरा को टी नरसिपुरा भी कहा जाता है। कर्नाटक के मंदिरों के शहर मैसूर जिले में स्थित नरसिपुरा प्रसिद्ध मंदिर है। तिरुमकुडालू और संगम का अर्थ है तीन नदियों का संगम। यहां पर तीन नदियों का कावेरी, काबिनी और स्पतिका सरोवर का संगम होता है। प्रसिद्ध गुंजा नरसिम्हा स्वामी मंदिर से इसे नरसिपुरा नाम मिला है। ये मंदिर काबिनी नदी के तट पर स्थित है।
टी नरसिपुरा को दक्षिण काशी के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यहां भी काशी की तरह तीन नदियों गंगा, जमुना और सरस्वती का संगम होता है। यहां हर तीन साल में एक बार धूमधाम से कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है।
बैंगलोर से टी नरसिपुरा का रूट
पहला रूट : एनआईसीई रोड़ बैंगलोर - मैसूर एक्सप्रेसवे - एनएच 209 - मलावल्ली में कोलेगला मेन रोड़ - तलाकाडू - मलावल्ली रोड़ - बेलाकावड़ी - टी नरसिपुरा रोड़ - टी नरसिपुरा (142 किमी - 3 घंटे 15 मिनट)
दूसरा रूट : एनआईसीई रोड़ बैंगलोर - मैसूर एक्सप्रेसवे - एनएच 275 - मद्दुर में मलावल्ली मेन रोड़ - मलावल्ली - मैसूर रोड़ - टी नरसिपुरा - श्रीरंगपट्टना रोड़ - टी नरसिपुरा (149 किमी - 3 घंटे 20 मिनट)
तीसरा रूट : एनआईसीई रोड़ बैंगलोर - मैसूर एक्सप्रेसवे - एनएच 275 - एनएच 766 - टी नरसिपुरा (176 किमी - 4 घंटे)
कग्गालिपुरा
बार हेडेड गीज़ के लिए मशहूर है कग्गालिपुरा में स्थित बन्नेरघट्टा नेशनल पार्क। शहर से कग्गालिपुरा 25 किमी दूर है।
इसके अलावा यहां पर पक्षियों की प्रजातियां जैसे यूरेशियन केस्ट्रेल, ब्लैक ईगल, रैड नेप्ड आइबिस आदि मिलती हैं। अगर आपको पक्षियों को देखना पसंद है तो आपको यहां जनवरी से फरवरी के मध्य आना चाहिए। इस दौरान यहां प्रवासी पक्षी भी आते हैं।PC: Vaibhavcho
नेट्टिगेरे गुरुवायुरप्पन मंदिर
अगर आप केरल शैली के मंदिर देखना चाहते हैं तो नेट्टिगेरे में गुरुवायुरप्पन मंदिर जरूर देखें। बैंगलोर से 35 किमी दूर नेट्टिगेरे छोटा सा गांव है जो कि गुरुवायुरप्पन मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर में भगवान विष्णु के ही स्वरूप गुरुवायुरप्पन की पूजा होती है।
बनावट के मामले में ये मंदिर केरल के गुरुवयूर मंदिर जैसा दिखता है। यहां पर भी मंदिर में प्रवेश के लिए पुरुषों को शाल्य और धोती पहननी होती है। हालांकि, महिलाओं के लिए यहां कोई नियम नहीं है।
कनकपुरा
बैंगलोर से 62 किमी दूर है कनकपुरा शहर। से शहर रेशम और ग्रेनाइट के उत्पादन के लिए भी मशहूर है। ट्रैकर्स और वन्यजीव प्रेमियों के लिए ये जगह प्रसिद्ध है। कनकपुरा में बिलिकल रंगास्वामी बेट्टा एक प्रसिद्ध ट्रैकिंग स्पॉट है। यहां पर कई लोकल सर्विस द्वारा ट्रैकिंग पैकेज भी उपलब्ध हैं।
शिवान समुद्रा
बेंगलुरू शहर से 130 किमी की दूरी पर मंडया जिले में स्थित है प्रसिद्ध झरना शिवानसमुद्रा। कावेरी नदी से यहां पर दो झरने गंगनचक्की और बाराचक्की बहते हैं। ये दोनों ही मुख्य धाराएं हैं। कावेरी नदी दो भागों में बंटकर यहां पर एक द्वीप के दोनों तरफ बहती है और इन जगहों को गगनचक्की और बाराचक्की कहा जाता है। ये दोनों ही शानदार झरने शिवानसमुद्र में बहते हैं। मॉनसून के दौरान यहां का नज़ारा बेहद मनोरम होता है। शिवानसमुद्रा को कर्नाटक का नायग्रा भी कहा जाता है क्योंकि ये देखने में बिलकुल कनाडा के नायग्रा फॉल जैसा ही है।
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गुंजा नरसिम्हा स्वामी मंदिर
टी नरसिपुरा में काबिनी नदी के तट पर स्थित गुंजा नरस्मिहा स्वामी मंदिर भी बहुत लोकप्रिय है। इस मंदिर को 16वीं शताब्दी में द्रविड़ शैली में विजयनगर राजवंश द्वारा बनवाया गया था। तीन नदियों के संगम स्थल के पास होने के कारण इस जगह को पवित्र माना जाता है।
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अगस्थेश्वर मंदिर
कावेरी नदी के तट पर स्थित अगस्थेवर मंदिर में भगवान शिव की पूजा होती है। मान्यता है कि इस मंदिर में मुनि अगस्तया द्वारा शिव जी की मूर्ति की स्थापना की गई थी, उन्हीं के नाम पर इस मंदिर का नाम रखा गया है।
यहां पर स्थापित भगवान शिव की मूर्ति की खास बात है कि शिव की मूर्ति से जल होते हुए मंदिर में पहुंचता है। मंदिर के परिसर में कई राजवंशों से संबंधित वस्तुएं भी रखी गईं हैं।
भिक्शेश्वरा मंदिर और आनंदेश्वरा मंदिर भी यहां के दर्शनीय स्थलों में शामिल हैं।PC:Nvvchar