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अयोध्या के नहीं बल्कि ओरछा के राजा है राम

ओरछा स्थित भगवान राजा राम मंदिर में भगवान राम को राजा समझकर पूजा जाता है और दिन में पांच बार पुलिस द्वारा गार्ड और ऑनर भी दिया जाता है। आपको जानकर हैरानी की, भगवान राम को ऑनर ऑफ़ गार्ड देने की परम्परा

By Goldi

मध्यप्रदेश में स्थित ओरछा एक छोटा सा शहर है, जो जिला टीकमगढ़ के अंतर्गत आता है। यह शहर अपने भव्य मन्दिरों और किलों के विश्व विख्यात है। यहां के भव्य शहरों और किलों को देखने हर रोज हजारों की तादाद में पर्यटक पहुंचते हैं। भव्य किलों और मन्दिरों के अलावा ओरछा की एक और जगह है जो इसे पर्यटकों के बीच अनूठी जगह बनाती है, और वह है राजा राम मंदिर।

जी हां, भगवान राम का मंदिर, जिन्हें यहां राजा समझकर पूजा जाता है और दिन में पांच बार पुलिस द्वारा गार्ड और ऑनर भी दिया जाता है। आपको जानकर हैरानी की, भगवान राम को ऑनर ऑफ़ गार्ड देने की परम्परा करीबन 400 साल पुरानी है।

 राजा राम मंदिर

राजा राम मंदिर

ओरछा में स्थित राजा राम मंदिर को ओरछा मंदिर भी कहा जाता है। मंदिर में भगवान राम को राजा के रूप में पूजा जाता है, और दिन के पांचो पहर उन्हें गार्ड ऑफ़ ऑनर प्रदान दिया जाता है।Pc:Yann

बेहद भव्य है मंदिर

बेहद भव्य है मंदिर

राजा राम को समर्पित यह मंदिर बेहद भव्य और आलिशान बना हुआ है। यह मंदिर देखने में एकदम महल जैसा प्रतीत होता है इसकी वास्तुकला में बुंदेला स्थापत्य का बेजोड़ नमूने को देखा जा सकता है।Pc:YashiWong

क्यों मंदिर से पहले बना महल?

क्यों मंदिर से पहले बना महल?

कहा जाता है कि,मंदिर बनने से पहले यहां महल का निर्माण किया गया था, लेकिन मूर्ति को पहले ही स्थापित कर दी गयी थी, और जब मंदिर बनने के बाद मूर्ति को उस स्थान से हटाने के प्रयास किया गया तो कोई भी असफल ना हो सका और और महल को ही मंदिर के रूप में परवर्तित कर दिया गया इसका नाम रखा गया राम राजा मंदिर।Pc:PRATYUSHMAURYA.ECOHUMAN

रोज आते है राजा राम

रोज आते है राजा राम

कहा जाता है कि, रोज यहां राज राम अयोध्या से अदृश्य रूप में आते हैं। मंदिर में राजा राम, लक्ष्मण और माता जानकी की मूर्तियां स्थापित हैं। इनका श्रंगार अद्भुत होता है। मंदिर का प्रांगण काफी विशाल है।
Pc:Manuel Menal

मंदिर के खुलने और बंद होने का समय

मंदिर के खुलने और बंद होने का समय

गौरतलब है कि, ये राजा का मंदिर है इसलिए इसके खुलने और बंद होने का समय भी तय है। सुबह में मंदिर आठ बजे से साढ़े दस बजे तक आम लोगों के दर्शन के लिए खुलता है। इसके बाद शाम को मंदिर आठ बजे दुबारा खुलता है। रात को साढ़े दस बजे राजा शयन के लिए चले जाते हैं। मंदिर में प्रातःकालीन और सांयकालीन आरती होती है जिसे आप देख सकते हैं।

बेल्ट

बेल्ट

आपको बता दें कि मंदिर परिसर के भीतर बेल्ट पहनकर जाना भी इसलिए मना है क्योंकि राजा के सामने कमर कस कर जाना उनका अपमान माना जाता है इसलिए कोई भी व्यक्ति बेल्ट पहनकर मंदिर में दाखिल नहीं हो सकता।Pc:Angelsharum

फोटोग्राफी है वर्जित

फोटोग्राफी है वर्जित

मंदिर परिसर में फोटोग्राफी निषेध है। मंदिर का प्रबंधन मध्य प्रदेश शासन के हवाले है। पर लोकतांत्रिक सरकार भी ओरछा में राजाराम की हूकुमत को सलाम करती है। यहां पर लोग राजा राम के डर से रिश्वत नहीं लेते और भ्रष्टाचार करने से डरते हैं।

आखिर कैसे बने भगवान राम ओरछा के राजा?

आखिर कैसे बने भगवान राम ओरछा के राजा?

संवत 1600 में तत्कालीन बुंदेला शासक मधुकर शाह की पत्नी महारानी कुंअरी गणेश स्वयं राजा राम की मूर्ति को अयोध्या से ओरछा लेकर आई थीं। एक दिन राजा ने अपनी रानी को कृष्ण उपासना के लिए वृंदावन चलने को कहा लेकिन रानी, जो कि राम की भक्त हो गई थीं, वे उन्हें छोड़कर जाना नहीं चाहती थीं।राजा ने भी क्रोध में कहा कि अगर तुम श्रीराम की इतनी ही बड़ी भक्त हो तो तुम उन्हें ओरछा ले आओ।Pc:Unknown

आखिर कैसे बने भगवान राम ओरछा के राजा?

आखिर कैसे बने भगवान राम ओरछा के राजा?

रानी ने अयोध्या में ही रहते हुए सरयू नदी के किनारे लक्ष्मण किले के पास अपने लिए एक कुटिया बनाई और उसी में रहकर श्रीराम की साधना आरंभ की। उस समय संत शिरोमणि तुलसीदास भी अयोध्या में ही साधना में लीन थे।तुलसीदास ने रानी को आशीर्वाद दिया, लेकिन इसके बाद भी लंबे अर्से तक तप करने के बाद भी रानी को राम के दर्शन नहीं हुए। वह निराश होकर सरयू नदी में ही अपने प्राण त्यागने के उद्देश्य से बहते जल में कूद गईं।उस जल की गहराई के भीतर ही रानी को भगवान राम के दर्शन हो गए और उसी समय रानी ने श्रीराम को अपने साथ ओरछा चलने के लिए कहा।Pc:Jean-Pierre Dalbéra

आखिर कैसे बने भगवान राम ओरछा के राजा?

आखिर कैसे बने भगवान राम ओरछा के राजा?

उस समय भगवान राम ने उनसे एक शर्त रखी थी कि वे तभी ओरछा जाएंगे जब उस राज्य में उन्हीं की सत्ता कायम हो जाएगी और राजशाही का अंत हो जाएगा। रानी ने श्रीराम की यह शर्त मान ली और उन्हें अपने साथ ओरछा लेकर आ गईं। तब से लेकर अब तक सिपाही से लेकर आम जनता तक श्रीराम को भगवान राम नहीं बल्कि राजा राम की तरह सम्मान देते हैं।

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