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राखीगढ़ी और उसके आस-पास के क्षेत्रों में क्या है खास? यहां देखें

प्राचीन राखीगढ़ी का इतिहास जितना दिलचस्प है उतने ही दिलचस्प हैं इसके आस-पास की ये जगहें। ऐतिहासिक विरासतों के हालत बयान करती हैं या जगहें।history of ancient rakhigarhi is similarly interesting to the

By Cheenu Verma

PC: Nomu420

प्राचीन काल के भारत के बारे में बचपन में हमने बस हड़प्पा सभ्यता जैसी मशहूर जगहों के बारे में ही पढ़ा है। हमारी नज़र में आज तक प्राचीन भारत की शक्ल यही रही है। हड़प्पा सभ्यता के बारे में हमने स्कूल की किताबों में पढ़ा है लेकिन इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं कि भारत का इतिहास बस यहीं तक सीमित है।

हरियाणा के हिसार जिले में राखीगढ़ी नाम का एक गांव है जो सिंधु घाटी सभ्यता के 5 बड़े नगर-क्षेत्रों में से एक है। इन 5 बड़े नगर-क्षेत्रों में हड़प्पा, मोहनजोदड़ो और गनवेरीवाल भी शामिल है। रिपोर्ट के अनुसार भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के इतिहासकारों में से एक अमरेंद्र नाथ ने राखीगढ़ी साइट की खुदाई करवाई थी। एक विशाल इलाके में फैले 5 टीलों की खोज के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने राखीगढ़ी को एशिया की सबसे बड़ी हड़प्पन साइट होने का दावा किया।

राखीगढ़ी की खोज

राखीगढ़ी की खोज

विश्व की सबसे पुरानी और सबसे बड़ी सिंधु घाटी सभ्यता, राखीगढ़ी की खोज 1963 ई. में कुछ इतिहासकारों ने की थी। तेज़ी से विकास होने की वजह से ये नगर-क्षेत्र अब विलुप्ति की कगार पर है। विश्व विरासत कोष की एक रिपोर्ट में 10 स्थानों को ख़तरे में बताया था। रिपोर्ट में इन 10 जगहों को क्षति और विनाश का केन्द्र कहा गया है। इन 10 जगहों में से एक हिसार का राखीगढ़ी भी है। भारतीय पुरातत्व विभाग को खुदाई के दौरान एक पुराने शहर और करीब 5000 साल पुरानी कई वस्तुएं मिली थी । लोगों के आने जाने के लिए रास्ते, जल निकासी की प्रणाली, पानी इकट्ठा करने की बड़ी जगह, तांबा और कई अन्य धातुओं से बनी चीज़ें मिली थी।

राखीगढ़ी और उसके आस-पास घूमने वाली जगहें

राखीगढ़ी का इतिहास ही तो है जो इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाता है। छोटा सा है, लेकिन हमेशा पर्टकों का आना जाना लगा रहता है। लेकिन राखीगढ़ी के आस-पास भी बहुत सी ऐसी जगहें हैं जो पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती है।

असीगढ़ किला

असीगढ़ किला

PC: Amrahsnihcas

असीगढ़ किला हिंदू राजा पृथ्वीराज चौहन ने हरियाणा के हांसी में बनवाया था। 1798 में ज़ॉर्ज थॉमस ने हांसी को अपनी रियासत की राजधानी बताया, साथ ही उसमें रोहतक और हिसार भी शामिल किए। इसके बाद ज़ॉर्ज थॉमस नें हांसी को दोबारा बनवाया। ज़ॉर्ज थॉमस को हराने के बाद ब्रिटिश सरकार ने किले को एक छावनी का रूप दे दिया। 1857 के विद्रोह के बीच ब्रिटिश सरकार ने किले पर से अपना अधिपत्य हटा लिया। 30 एकड़ में फैला ये किला चौकोर आकार का है। किले की ऊंचाई 52 फुट और बाहरी दीवारों की मोटाई 37 फुट है। इसमें एक मस्जिद भी है जो पृथ्वीराज चौहान की हार के बाद बनाई गई थी।

बरसी गेट

बरसी गेट

PC: Official website

बरसी गेट हांसी शहर के दक्षिण में है और हिसार से 26 किलोमीटर पूर्व में है। इस गेट के अलावा हांसी में चार प्रमुख गेट और हैं - दिल्ली गेट, हिसार गेट, उमरा गेट और गोसोई गेट। पुराने समय में बरसी गेट हांसी का प्रवेश द्वार था। 1304-1305 ई. में इस गेट का निर्माण हुआ। क्षतिग्रत होने के कारण इसकी कई बार मरम्मत करानी पड़ी। दिसंबर 1801 में मराठा और ब्रिटिश सेनाओं के बीच युद्ध के चलते इस गेट को काफी क्षति पहुंची थी। इसकी मरम्मत ज़ॉर्ज थॉमस ने उस वक्त कराई थी जब हांसी को उसने राजधानी बना लिया था। अभी तक की आखिरी मरम्मत 2001 में हुई थी।

फिरोज़ शाह महल

फिरोज़ शाह महल

PC: Madhaverma

हिसार का फिरोज़ शाह महल 1354 ई. में तुगलक ने बनवाया था। इसमें चार दरवाज़े थे - दिल्ली गेट, मोरी गेट, नागौरी गेट और तलाकी गेट। इसके अलावा इसमें ‘लाट की मस्जिद' नाम से एक मस्जिद है। कहते हैं इस मस्जिद को 20 फुट ऊंचे बलुआ पत्थर के स्तंभों पर बनाया गया है।

गुजरी महल

गुजरी महल

PC: Navneel neeraj

फिरोज़ शाह महल के परिसर में भूमिगत अपार्टमेंट है जिसको दीवाने आम भी कहा जाता है। फिरोज़ शाह महल परिसर के पास है गुजरी महल। ये महल फिरोज़ शाह ने अपनी पत्नी गुजरी के लिए बनवाया था। कहा जाता है कि गुजरी सम्राट की मालकिन थी।

फिरोज़ शाह ने अपनी पत्नी गुजरी के सामने दिल्ली के सिंहासन का प्रस्ताव रखा तो गुजरी ने प्रस्ताव ठुकरा दिया। इसके बाद फिरोज़ ने हिसार में ही एक मंदिर बनवाना शुरू करवा दिया।

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