भारत में हिन्दू धर्म से जुड़े लोगों की आस्था और भक्ति अनेक रूपों में देखी जा सकती है। अमूमन यहां लोग पूजा-अर्चना व दर्शन के लिए मंदिर जाते हैं, जबकि कुछ लोग ध्यान-साधना को ही इश्वर के करीब जाने का मार्ग समझते हैं। इसलिए भारत में मंदिरों के अलावा कई आश्रम भी मौजूद हैं।
लेकिन आज हम आपको भारत के एक ऐसी अनोखी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां के लोगों की भक्ति-साधना इन सब से परे हैं। यहां के लोग न मंदिर जाते हैं और न ही आश्रम, लेकिन फिर भी कहलाए जाते है भगवान के सच्चे भक्त। जानिए इसके पीछे की रोचक कहानी।
भगवान राम के सच्चे भक्त
भारत के छत्तीसगढ़ राज्य का रामनामी समाज लगभग 100 सालों से एक अनोखी परंपरा का अनुसरण करते आ रहा है। आपको जानकार आश्चर्च होगा कि यहां के लोग न ही मंदिर जाते हैं और न ही किसी आश्रम। यहां तक की रामनामी समाज के लोग मूर्ति पूजा भी नहीं करते हैं।
लेकिन ऐसा नहीं है कि ये लोग नास्तिक हैं। इनकी भक्ति का अंदाज कुछ अलग है। यहां के लोगों ने अपने शरीर को ही मंदिर बना रखा है। जी हां, रामनामी समाज के लोग अपने पूरे शरीर में राम का नाम गुदवाते हैं। आगे जानिए इसके पीछे का कारण...
बगावत से जुड़ी कहानी
राम का नाम गुदवाने की प्रथा लंबे समय की चली आ रही है, जिसके पीछे एक सामाजिक बगावत की कहानी जुड़ी है। कहा जाता है, कभी यहां ऊंची जाति के लोगों ने इस समाज का मंदिर में प्रवेश निषेध कर दिया था। जिसका विरोध जताने के लिए इन लोगों ने अपने पूरे शरीर में राम का नाम गुदवाना शुरू कर दिया। जिसके बाद से यह प्रथा निरंतर बिना किसी विरोध के चली आ रही है।
रामनामियों की पहचान
यह जानना बड़ा दिलचस्प है कि राम का नाम गुदवाने के मामले में यहां के लोग अलग अलग नामों से पहचाने जाते हैं। जैसे अगर कोई अपने शरीर के किसी एक भाग में राम का नाम गुदवाता है तो उसे रामनामी कहते है, और जो अपने माथे पर राम का नाम लिखवाता है तो उसे शिरोमणि कहते हैं। पूरे माथे पर राम नाम गुदवाने वाले को सर्वांग रामनामी कहा जाता है। और जो अपने पूरे शरीर में राम का नाम लिखवाता है उसे नखशिख रामनामी कहा जाता है।
समाज के अपने नियम
रामनामी समाज ने अपने लिए कुछ खास नियम बनाए हैं। जैसे कि इस समाज में जन्मा हर एक इंसान को अपने शरीर पर राम का नाम गुदवाना जरूरी है। इसके साथ ही राम नाम लिखवाने वाला व्यक्ति शराब को बिलकुल हाथ नहीं लगाएगा। और रोजान राम नाम का जाप करेगा। खासतौर पर छाती पर राम लिखवाना जरूरी है। यहां के लोग नमस्ते की जगह राम-राम कहना पसंद करते हैं।
कैसे करें प्रवेश
रामनामी समाज छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले के 'जमगहन' गांव में रहता है। जो एक बहुत ही पिछड़ा इलाका है। यह गांव बिलाईगढ़ तहसील के अंतर्गत आता है। यहां तक पहुंचने के लिए आप रायपुर से बिलाईगढ़ और फिर स्थानीय परिवहन के सहारे इस गांव तक पहुंच सकते हैं। रायपुर एक बड़ा शहर और राज्य की राजधानी है, जहां आप रेल/हवाई मार्ग से आसानी से पहुंच सकते हैं। हवाई मार्ग के लिए आप रायपुर एयरपोर्ट और रेल मार्ग के लिए रायपुर जंक्शन का सहारा ले सकते हैं।