तेलंगाना के वारंगल के समीप स्थित रुद्रेश्वर मंदिर है, जो 13वीं शताब्दी के अनुपम स्थापत्य कला का प्रतीक माना जाता है। इस मंदिर को रामप्पा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल, इस मंदिर के निर्माण करीब 40 साल का समय लगा था और इस मंदिर को एक रामप्पा नाम के कारीगर द्वारा बनाया गया था, इसीलिए इस मंदिर का नाम उसके नाम पर रामप्पा मंदिर पड़ा।
मंदिर में दिखता है काकतीय मूर्तिकला का प्रभाव
वास्तुकला का अनूठा संकलन इस मंदिर में आपको देखने से मिल जाएगा। इस मंदिर का निर्माण साल 1213 ई. में काकतीय साम्राज्य के राजा गणपति देव के एक सेनापति रेचारला रुद्र ने करवाया था। यहां के स्वामी रामलिंगेश्वर स्वामी हैं, जो भगवान शिव के अवतार माने जाते हैं। इस मंदिर परिसर की विशिष्ट शैली, तकनीक और सजावट काकतीय मूर्तिकला के प्रभाव को दर्शाती हैं। रामप्पा मंदिर छह फुट ऊंचे तारे जैसे मंच पर खड़ा है, जिसमें दीवारों, स्तंभों और छतों पर जटिल नक्काशी देखने को मिलती है, जो पर्यटकों का ध्यान आकर्षित करती है।
फोटो साभार - PIB दिल्ली
मंदिर के बनावट से प्रभावित हुए थे यूरोपीय व्यापारी
मंदिर को लेकर ऐसा कहा जाता है कि कई सौ साल पहले जब भारत में यूरोपियन आया करते थे तब यूरोपीय व्यापारियों और यात्रियों ने मंदिर की सुंदरता को लेकर काफी बखान किया करते थे और वे इसकी बनावट और स्थापत्य शैली से मंत्रमुग्ध हो गए थे।
विश्व धरोहर की लिस्ट में शामिल रामप्पा मंदिर
साल 2019 में वर्तमान सरकार द्वारा यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के रूप में एकमात्र नामांकन के लिए रामप्पा मंदिर को प्रस्तावित किया गया था, जिसे स्वीकार करते हुए 25 जुलाई 2021 को यूनेस्को द्वारा एक ट्वीट किया गया, जिसमें लिखा था कि भारत के तेलांगना में रामप्पा मंदिर को विश्व धरोहर स्थल के रूप में शामिल किया गया है। यूनेस्को द्वारा काकतीय रामप्पा मंदिर को विश्व धरोहर स्थल घोषित किए जाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रसन्नता भी जाहिर की थी।
फोटो साभार - PIB दिल्ली
रामप्पा मंदिर को लेकर कुछ तथ्य
रामप्पा मंदिर, विश्व का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जिसका नाम किसी भगवान के नाम पर ना होकर उसके शिल्पकार के नाम पर पड़ा है। मंदिर परिसर से लेकर प्रवेश द्वार तक काकतीयों की विशिष्ट शैली का प्रमाण मिलता है। पुरातत्व वैज्ञानिकों ने भी मंदिर की जांच करने के बाद कहा था कि मंदिर जितना पुराना है, उतना ही मजबूत भी है, समय का इस पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा है।
पानी में तैरता है रामप्पा मंदिर का पत्थर
विशेषज्ञों द्वारा जब जांच किया गया, तब पाया गया कि इस मंदिर के पत्थर का वजन बहुत हल्का है। इसके बाद उन्होंने उस पत्थर के टुकड़े को पानी में डाला तो वह तैरने लगा। विशेषज्ञों का कहना है कि इस मंदिर के पत्थरों का वजन बेहद कम है, जिससे इस मंदिर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
फोटो साभार - PIB दिल्ली
कैसे पहुंचे रामप्पा मंदिर
रामप्पा मंदिर पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी हवाई अड्डा हैदराबाद में स्थित है, जो यहां से करीब 215 किमी. दूरी पर स्थित है। वहीं, यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन वारंगल में स्थित है, जो यहां से करीब 70 किमी. की दूरी पर स्थित है। इसके अलावा यहां सड़क मार्ग से भी पहुंचा जा सकता है।