रंगनाथ स्वामी मंदिर, कर्नाटक के श्रीरंगम में स्थित हिन्दुओं का एक पवित्र धार्मिक स्थल है। यह मंदिर हिन्दू देवता भगवान विष्णु को समर्पित है। यहां भगवान विष्णु की पूजा श्री रंगनाथस्वामी के रूप में की जाती है। कावेरी नदी के तट पर स्थित यह रंगनाथ स्वामी मंदिर को भूतलोक का वैकुंठ या भगवान विष्णुजी का धाम माना जाता है।
यह मंदिर मैसूर से 16 किमी की दूरी पर कावेरी नदी द्वारा बने एक द्वीप पर स्थित है। रंगनाथस्वामी मंदिर के नाम पर ही इस कस्बे का नाम श्रीरंगपटना पड़ा है। यह कर्नाटक के मंद्या जिले में है। पहले इसको श्रीरंगपुरी के नाम से जाना जाता था।
रंगनाथस्वामी मंदिर का इतिहास
इस मंदिर के गर्भगृह को 817 ई में एक नर्तकी हंबी ने बनवाया था। सन् 894 ई में गंग वंश के शासन के दौरान राजा थिरुमलायरा जी ने इसके निर्माण में सहयोग दिया। सन् 1117 ई में जब श्री रामानुजाचार्य यहां आए, तो होयसला साम्राज्य में बिट्टदेव नाम के एक जैन शासक थे। उन्हें एक बहस में श्री रामानुजाचार्य द्वारा पराजित किया गया था। बिटिरैया ने श्री वैष्णववाद स्वीकार किया और उन्हें विष्णुवर्धन नाम से सम्मानित किया गया। वह प्रभु के बहुत बड़े भक्त थें।
राजा विष्णुवर्धन ने श्री रामानुजाचार्य को धन और आठ गाँवों की भूमि दान की। रामानुजाचार्य ने प्रभु की सेवा को संचालित करने के लिए कुछ पदाधिकारियों को प्रभु के रूप में नामित किया। 1554 ई में थिनना नामक एक हेब्बर विजयनगर गया और विजयनगर के दरबार में एक अधिकारी बन गया। वह विजयनगर से लौटा और शहर के लिए बाहरी किला और मंदिर के लिए बड़ी दीवार को बनवाया।
सन् 1610 से 1699 तक श्रीरंगपटना मैसूर राज्य की राजधानी थी। उस समय वहां के राजा कृष्णराज वाद्यार ने हैदर अली को अपना सेनापति नियुक्त किया। हैदर अली भी भगवान रंगनाथ के भक्त थे। उन्होंने भी मंदिर के जीर्णोद्धार में अपना योगदान दिया। उनके पश्चात् टीपू सुल्तान ने भी इस मंदिर कि देख-रेख की और सहयोग दिया।
मुख्य मंदिर की बनावट
यह मंदिर वैष्णव का एक प्रमुख तीर्थस्थल है। मंदिर का प्रवेश द्वार अत्यंत भव्य है। इसका गोपुरम अर्थात ऊपर के हिस्से में बहुत अच्छी कारीगरी की गई है। गर्भगृह तक पहुंचने के लिए स्टील के पाईप से बने सकरे रास्ते से गुजरना पड़ता है। गर्भगृह में भगवान रंगनाथ जी को सात मुख वाले शेषनाग के द्वारा बने शैय्या पर लेटा हुआ दिखाया गया है। उनके पास लक्ष्मी जी भी विराजमान हैं। इनके साथ साथ परिसर में भगवान गरुण, भूदेवी, ब्रह्मा, नरसिंह, श्रीदेवी, गोपालकृष्ण, हनुमानजी के मंदिर समेत और भी छोटे छोटे मंदिर भी हैं। यहां पर गरुण देव की एक स्वर्ण परत वाली प्रतिमा भी आकर्षण का केन्द्र है।
मंदिर की अद्भुत शैली
द्रविड़ियन शैली में निर्मित रंगनाथस्वामी मंदिर होयसाला और विजयनगर वास्तुकला का अद्भूत नमूना है। मंदिर की किले जैसी दीवारें और जटिल नक्काशियों वाला गोरूपम बेहद सुंदर हैं। इसमें भगवान विष्णु के 24 अवतारों की नक्काशी के साथ 4 स्तंभ है जिन्हें चतुरविमष्टी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि होयसाला वंश के शासक नक्काशी की कला के बहुत बड़े पारखी थे। अंदर की दीवारों पर अत्यंत भव्य मूर्तिकला है जिसमें हिन्दू पौराणिक कथाओं को दर्शाया गया है।
प्रचलित कथा
पापों से खुद को छुटकारा दिलाने के लिए कई लोग कावेरी नदी में पवित्र स्नान करते हैं। यहां तक कि गंगा नदी भी यहां आकर लोगों के उन पापों से भी छुटकारा पाती थी जिन्हें उसने अवशोषित किया था। कावेरी इन सब पापों से घिर गई। उनके पास एकमात्र शरण भगवान विष्णु का था। कावेरी ने भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए श्रीरंगपटना में तपस्या की। भगवान उसकी तपस्या से प्रसन्न हुए और उसे तीनों वचन दिए।
1) कावेरी नदी की गंगा नदी की तुलना में अधिक पवित्रता होगी।
2) श्रीरंगपट्टन तीर्थस्थल बन जाएगा।
3) भगवान विष्णु भक्तों को आशीर्वाद देने और उनकी इच्छाओं को पूरा करने के लिए भगवान रंगनाथ के रूप में यहाँ प्रकट होंगे।
इन वरदानों से सम्मानित होने के बाद कावेरी ने भगवान की पूजा की। प्रभु ने तब स्वयं को एक बहुत ही सुंदर देवता के रूप में प्रकट किया जो कि नाग आदित्य पर विश्राम कर रहे थे। यह सुनकर लक्ष्मी जी, जो भगवान विष्णु की पत्नी हैं, कावेरी के साथ भगवान के दर्शन के लिए आईं। फिर माता लक्ष्मी पवित्र नदी में स्नान करती हैं और भगवान की पूजा करने के बाद अपने आप को प्रभु के दक्षिण पूर्व की ओर प्रकट कर लेती है।
रंगनाथस्वामी मंदिर का प्रमुख त्यौहार
रंगनाथस्वामी मंदिर मंदिर का मुख्य त्योहार कोटरोत्सव है, जिसे बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसमें भगवान रंगनाथ का अच्छे से श्रृंगार किया जाता है। इस भव्य आयोजन को देखने दूर दूर से बड़ी संख्या में लोग आते है।
मंदिर का समय
रंगनाथस्वामी मंदिर में दर्शन का समय प्रातः 8 बजे से दोपहर 1 बजे तक और संध्या 4 बजे से रात 8 बजे तक।
कैसे पहुंचे
वायु मार्ग द्वारा : यहां से 166 किमी दूर बेंगलुरू में स्थित केंपेगोवड़ा अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट निकटतम हवाई अड्डा है।
रेल मार्ग द्वारा : शहर के केंद्र में स्थित श्रीरंगपटना रेलवे स्टेशन से राज्य के अन्य शहरों और देश के कई हिस्सों से ट्रेनें आती हैं।
सड़क मार्ग द्वारा : श्रीरंगपटना आपको सड़क मार्ग द्वारा जाना चाहिए। इस शहर की सड़क व्यवस्था काफी दुरुस्त है और श्रीरंगपटना के लिए मुख्य शहरों से नियमित बसें भी चलती हैं।