काशी एक ऐसा शहर है, जो किसी भी राज्य के त्योहार, खान-पान, आचार-विचार को दिल से गले लगाता है। उसे इस तरीके से अपनाता है कि जैसे वो यही का हो। 1 जुलाई से शुरू होने वाला जगन्नाथ जी का रथ यात्रा महोत्सव काशी में भी मनाया जाता है। पुरी के बाद काशी दूसरा शहर है, जो रथ यात्रा महोत्सव को काफी धूमधाम से मनाता है। यहां इसे लक्खा मेले के नाम से जाना जाता है।
काशी में मनाया जाता है तीन दिवसीय मेला
काशी में रथ यात्रा के मेले में काफी भीड़ देखी जाती है, जिस जगह पर प्रभु के रथ निकलते हैं, उस स्थान को भी रथयात्रा के नाम से ही जाना जाता है। तीन दिवसीय चलने वाले इस मेले के दौरान इस रास्ते से गुजरना जैसे किसी पहाड़ को पार के बराबर हो जाता है। यहां भक्तों की इतनी ज्यादा भीड़ हो जाती है कि यहां मार्ग परिवर्तन करना पड़ता है। इस समय इस रास्ते से कोई भी वाहन नहीं गुजरता।
काशी में रथ यात्रा महोत्सव का इतिहास
काशी में रथ यात्रा महोत्सव की शुरुआत साल 1802 के पहले ही करा दी गई थी। इसका श्रेय पं. बेनीराम और उनके परिवार को जाता है। आज भी पं. बेनीराम की पीढ़ी काशी के जगन्नाथ मंदिर में सेवा कर रही है। हालांकि, मंदिर की नींव पुरी धाम के पुजारी पं. ब्रम्हचारी ने रखी थी, जो वहां के तत्कालीन राजा के व्यवहार से नाराज होकर काशी आए थे। पुरी में जिस प्रकार से रथ यात्रा महोत्सव मनाया जाता है, उसी प्रकार से काशी में इस महोत्सव को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।
कैसे पहुंचे काशी
काशी पहुंचने के लिए यहां का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट है, शहर से करीब 20 किमी. दूर है। इसके अलावा यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन कैंट रेलवे स्टेशन है, जो शहर में स्थित है। इसके अलावा सड़क मार्ग से भी आसानी से काशी पहुंचा जा सकता है।