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क्या पहले कभी जानते थे नमक की इन झीलों के बारे में ये चौंका देने वाले तथ्य

देश के अलग-अलग राज्यों में स्थित ये नमक की झीलें किसी का भी ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर सकती हैं। Located in different states of the country, these saline lake can drag anyone's attention to them selves.

By Cheenu Verma

यूं तो भारत की खूबसूरती शब्दों में बयान नहीं की जा सकती, क्योंकि ये अनंत है। इसका कोई तोल नहीं, तभी तो कहते हैं इसे, 'अतुल्य भारत'। अलग-अलग धर्मों को मानने वाले इस धर्मनिर्पेक्ष देश में आपको बहुत सी चीज़ों के बारे में जानकारी होगी। तो वहीं कुछ चीज़ों से अभी आप अंजान भी होंगे, जैसे भारत में नमक की झीलें। नमक की इन झीलों के बारे में आपने सुना बेशक होगा लेकिन शायद आपको इसकी विस्तार में जानकारी नहीं होगी।

भारत में नमक की झीलों की कुल संख्या 6 है। ये झीलें हैं - राजस्थान की सांभर झील, महाराष्ट्र की लोनार झील, ओडीशा की चिल्का झील, तमिलनाडु की पुलीकट झील, लद्दाख की पैंगोंग झील, राजस्थान की पचपदरा झील। इन सभी झीलों में नमक पाया जाता है और इसी कारण ये पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने में बहुत सफल रहती हैं। नमक की इन झीलों के बारे में विस्तार से बहुत कम ही लोग जानते होंगे, तो चलिए हम आपको इन झीलों की खासियत से अवगत कराते हैं।

लोनार झील

लोनार झील

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लोनार झील, इसे लोनार क्रेटर भी कहते हैँ। क्रेटर का अर्थ है, गड्ढा। अब आप सोच रहे होंगे कि एक झील, गड्ढा कैसे हो सकती है, तो आपको बता दें कि ऐसा कहा जाता है कि ये झील कोई प्राकृतिक तरीके से बनी झील नहीं, बल्कि सदियों पहले एक उल्का पिंड के गिरने से इसका निर्माण हुआ।

ये झील महाराष्ट्र के बुलढाणा जिला में स्थित है।लोनार झील महाराष्ट्र के लोनार शहर में स्थित हा और ये समुद्र तल से 1,200 मीटर ऊँची सतह पर लगभग 100 मीटर के घेरे में फैली हुई है। लोनार झील में खारा पानी 5 से 8 मीटर तक भरा हुआ है।

साल 2006 में लोनार झील में एक बेहद अजीब और चौंका देने वाली बात हुई। साल 2006 में लोनार झील का सारा पानी भाप बनकर उड़ गया। किसी को समझ नहीं आया ऐसा होने के पीछे का कारण। इतना ही नहीं, गांव वालों का दावा था कि उन्होंने झील में पानी की जगह नमक और अन्य खनिजों को चमकते देखा था।

सांभर झील

सांभर झील

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राजस्थान की सांभर झील भी नमक की अद्भुत झीलों में से एक है। जयपुर से करीब 80 कीमी दूर ये झील एक टूरिस्ट स्पॉट है। यहां हर रोज़ अलग-अलग जगहों से पर्यटक आते हैं। इस झील की खासियत सिर्फ ये नहीं कि ये महज़ एक नमक की झील है, बल्कि ये भारत की सबसे ज्यादा खारे पानी की झील है। इससे भी खास बात ये कि इस झील में नमक की मात्रा इतनी है कि नमक उत्पादन के लिए अब यहां परियोजना चलाई जा रही है। नमक उत्पादन की इस परियोजना का नाम है, ‘सांभर नमक परियोजना'।

चिल्का झील

चिल्का झील

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ओडिशा एक बहुत ही प्यारा राज्य है। इसकी सुंदरता छुपाए नहीं छुप सकती, और इसी राज्य को और कीमती बनाती हुई चिल्का झील, जिसका पानी बाकी नमक की झीलों की तरह खारा है। इस झील के खारा होने का कारण है कि ये एक समुद्री झील है। चिल्का झील भारत की सबसे बड़ी, और दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी समुद्री झील है। यही बात इसे बाकी झीलों से अलग बनाती है और पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। अजीब बात ये है कि दिसम्बर से जून तक इस झील का पानी खारा रहता है लेकिन मानसून में ये झील मीठे पीन से भर जाती है।

पुलिकट झील

पुलिकट झील

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पुलिकट झील, भारत की दूसरी सबसे बड़ी खारी झील है। ये झील तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश की बीच में स्थित है। दोनों राज्यों की सीमा पर स्थित होने के कारण ये झील, दक्षिण के आधे भाग को अपनी ओर आकर्षित करती है। पुलिटक झील में तीन नदियों का पानी आता है- अरनी नदी, कलंगी नदी और स्वर्णमुखी नदी। यूं तो इस झील में कई दुर्लभ प्रजाती वाले पक्षी, मछलियां, सांप, मगरमच्छ सब हैं, लेकिन ज़्यादातर पर्यटक यहां साइबेरियन पक्षी- पेलिकन, ही देखने आते हैं।

पैंगोंग झील

पैंगोंग झील

क्या कभी आपका मन लद्दाख घूमने का किया है? किया ही होगा, आखिर इतनी खूबसूरत जगह पर कौन नहीं घूमना चाहेगा। पहाड़ों से घिरे लेह-लद्दाख में हर एक चीज़ देखने लायक है। खासकर पैंगोंग झील। जी हां, ये झील भारत की नमक की 6 झीलों में से एक है।

पैंगोंग झील दुनिया की सबसे ऊंची, लंबी और गहरी झील मानी गई है। लद्दाख के पहाड़ों में घिरी इस झील का पानी खारा है। पर्यटकों के हिसाब से इस झील की सबसे दिलचस्प बात ये है कि इसके पानी का कोई निकास स्थान नहीं, और इसी कारण किनारे पर नमक की पर्तें देखी जा सकती है।

पचपदरा झील

पचपदरा झील

पचपदरा झील राजस्थान के बाड़मेंड़ में पचपदरा नाम के एक गांव में स्थित है। इस झील का पानी भी खारा है क्योंकि इसमें नमक की मात्रा ज्यादा है। इस झील में खारवाल जाति के लोग मोरली झाड़ी (एक प्रकार का पौधा) की टहनी के उपयोग से नमक के स्फटिक बनाते हैं।यही नहीं, लोगों की मान्यता है कि 400 साल पहले इस झील के आस-पास पड़ी दलदल को सुखाकर बस्तियों को बनाया गया। कहा था ना ‘अतुल्य भारत'!

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