देश के पश्चिम में बसा राज्य गुजरात अपनी स्थलाकृतिक और सांस्कृतिक विविधता के लिए जाना जाता है। आज गुजरात का शुमार देश के उन राज्यों में है जो पिछले कई वर्षों से देश के अलावा विदेश के पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित कर रहा है। ज्ञात हो कि गुजरात वो राज्य है जहां से सिंधु घाटी सभ्यता की शुरुआत हुई। गुजरात हमेशा भारत के इतिहास में सांस्कृतिक और व्यापार का केंद्र माना जाता रहा है। यूं तो इस खूबसूरत राज्य में ऐसा बहुत कुछ है जिस कारण हर साल यहां भारी संख्या में पर्यटक आ रहे हैं।
अब अगर हम आपसे कहें कि वन्यजीवन के क्षेत्र में भी गुजरात किसी से काम नहीं है तो हो सकता है ये बात आपको अचरज में डाल दे लेकिन ये सच है। गुजरात के राष्ट्रीय उद्यानों और वन्य जीव अभयारण्यों में 40 से अधिक जानवरों की प्रजातियों को संरक्षण देते है जैसे की दुर्लभ एशियाई शेर, जंगली गधा और कृष्णमृग। तो इसी क्रम में आज अपने इस लेख के जरिये हम आपको अवगत कराएंगे गुजरात के वन्यजीवन से।
भारतीय जंगली गधा अभ्यारण्य
गुजरात के कच्छ के रण में स्थित जंगली गधा अभ्यारण्य भारत का सबसे बड़ा वन्यजीव अभ्यारण्य है। यह अभ्यारण्य 4954 किमी क्षेत्र में फैला है और इसमें विभिन्न प्रजाति के जन्तु और पक्षी पाये जाते हैं जिनमें भारतीय जंगली गधे की लुप्तप्राय प्रजाति के साथ-साथ चिंकारा, कैराकल्स और ऐशिया के विशालतम नीलगाय देखे जा सकते हैं। अभ्यारण्य में इनकी संख्या लगभग 3000 है और ये जानवर अक्सर झुण्ड में देखे जा सकते हैं, खासतौर से प्रजनन काल में।
गिर राष्ट्रीय उद्यान
गिरनार जंगल के करीब है गिर राष्ट्रीय उद्यान। निश्चित तौर पे जब लोग गिरनार पहाड़ियों का दौरा कर रहे हों तो गिर जंगल को अपने कार्यक्रम में शामिल कर सकते हैं। यह राष्ट्रीय उद्यान आरक्षित वन है और एशियाई शेरों के लिए एकमात्र घर है। जैसे की महत्वपूर्ण प्रजातियों का यहाँ संरक्षण किया जाता है यह एशिया की सबसे महत्वपूर्ण आरक्षित वनों में से एक है। यहाँ पारिस्थितिक तंत्र काफी विविध है और सात नदियाँ जैसे हिरन, शेत्रुंजी,दतार्दी, शिन्गोदा मछुन्दरी, गोदावरी और रावल लगातार बहती रहती है। विभिन्न जानवर जैसे एशियाई शेर , जंगल बिल्लियाँ , भारतीय चीते , स्लॉथ भालू , धारीदार हाइना , रतेल्स , भारतीय कोबराज , स्वर्ण सियार , भारतीय पाम सिवेट्स , भारतीय नेवला और डेजर्ट बिल्लियों और विभिन्न बिल्लियाँ जैसे रसतेद धब्बेदार बिल्ली और डिजर्ट बिल्ली यहाँ इस जंगल में पाए जाते है। सर्पणशील जंतु जैसे मॉनिटर छिपकली , मार्श मगरमच्छ , भारतीय स्टार कछुआ को यहाँ देखा जा सकता है।
नारायण सरोवर अभ्यारण्य
नारायण सरोवर वन्यजीव अभ्यारण्य उन अभ्यारणों में शामिल है जिनमें विभिन्न प्रजातियों के साथ-साथ 15 लुप्तप्राय प्रजातियाँ भी पाई जाती हैं। चूँकि यहाँ केवल कठोर वातावरण के अभ्यस्त जीव ही रह सकते हैं इसलिये इस अभ्यारण्य में कुछ ऐसे जन्तु पाये जाते हैं जो कहीं और नहीं पाये जाते। आप यहाँ दुर्लभ स्तनपाइयों जैसे कि जंगली बिल्ली से लेकर मरूस्थलीय लोमड़ी तक और चित्तीदार हिरण से लेकर जंगली भालू तक देख सकते हैं। गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में सबसे निडर जानवर के रूप में दर्ज शहद वाले बिज्जू भी यहाँ रहते हैं।
कच्छ वन्यजीव अभयारण्य
इस रेगिस्तान अभयारण्य के पूरे क्षेत्र में आश्चर्यजनक दृश्य हैं। इसे वर्ष 1986 में एक अभयारण्य घोषित किया गया, करामाती कच्छ के रेगिस्तानी वन्यजीव अभयारण्य में स्तनधारी वन्य जीव की विशाल विविधता और पक्षियों की दुर्लभ प्रजातियां पायी जाती हैं। कच्छ के विशाल रण में मौजूद यह जगह मौसमी खारा झीलों का सबसे बड़ा स्थान है, जहां 0.5 से 1.5 मीटर की गहराई तक पानी रहता है। और अक्टूबर व नवंबर के महीनों के दौरान, यहां वर्षा का पानी पूरी तरह सूख जाता है, तब अभयारण्य का यह पूरा इलाका खारे रेगिस्तान में बदल जाता है।
बरदा हिल्स वन्यजीव अभयारण्य
यह आकृषक वन्यजीव अभ्ययारण्य दो जिलों पोरबंदर और जामनगर के अंतर्गत आता है। हालांकि, अभयारण्य पोरबंदर से केवल 15 किलोमीटर की दूरी पर है, इसलिए यह जामनगर के मुकाबले पोरबन्दर के ज्यादा नजदीक पड़ता है। यह इलाका जोकि एक आरक्षित वन क्षेत्र है और इसे वर्ष 1979 में एक अभयारण्य का दर्जा प्रदान किया गया था। यह पहाड़ी इलाकों, समतल मैदानों वाली भूमि और हरे जंगलों एवं कृषि क्षेत्रों से घिरी आकर्षक जल स्रोतों से भरा एक बेहद खूबसूरत स्थल है। अरब सागर से 15 किमी की दूरी पर स्थित, यह वन क्षेत्र, इस क्षेत्र की लवणता विसर्जन को रोकने के लिए एक ढाल के रूप में कार्य करता है। लुप्तप्राय पशु पक्षी एवं सरीसृपों के साथ-साथ इस अभ्यारण्य में भेड़िया, तेंदुआ, रैटल, मगरमच्छ, गिरगिट, विषैला सांप, कलगी बाज़, ईगल और स्पाटेड ईगल भी दिखाई पड़ते हैं।