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कश्मीर की वादियों और इतिहास का संगम, नारानाग!

कश्मीर की वादियों और इतिहास का संगम, नारानाग!

भारत का जम्मू-कश्मीर राज्य अपनी खूबसूरती के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। यहाँ की वादियां, ऊँचे-ऊँचे बर्फ से ढके बर्फ़ के पहाड़ों के नज़ारे हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। राज्य का एक-एक कोना पर्यटकों के अंदर एक अलग उत्साह पैदा करता है। इन्हीं खूबसूरत वादियों में एक है गांदरबल जिले में बसा पर्वतीय पर्यटक स्थल, नारानाग।

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खासकर की प्राकृतिक घास के मैदान, झीलों और पहाड़ों के लिए जाना जाने वाला यह खूबसूरत पर्यटक स्थल, हरमुख पर्वत और गंगाबल झील की ट्रेकिंग का बेस कैंप है। 2128 मीटर की ऊंचाई पर स्थित, यह वंगथ झरने के बाएँ किनारे पर बसा हुआ है, जो आगे चलकर सिन्ध नाले में मिल जाता है। इस खूबसूरत परिदृश्य से वंगथ झील के साथ-साथ गडसर झील, विशनसर झील और किशनसर झील के लिये भी रास्ते निकलते हैं।

चलिए चलते हैं, कश्मीर की वादियों से होते हुए नारानाग में इतिहास और प्रकृति के दर्शन करने!

नारानाग का मूल अर्थ

नारानाग का मूल अर्थ

नारानाग नाम का मूल अर्थ है 'नारायणा नाग'। कश्मीरी भाषा में 'नाग' का अर्थ है 'पानी का चश्मा'। अब आप सोच रहे होंगे कि, यह पानी का चश्मा क्या होता है, आँखों का चश्मा तो सुना था, ये पानी का चश्मा क्या है? हम आपकी यह दुविधा अभी दूर किये देते हैं।

वास्तव में कश्मीर में पानी का चश्मा ऐसी जगह है जहाँ ज़मीन में बनी दरार या छेद से ज़मीन के भीतर के किसी जलाशय का पानी अनायास ही बाहर बहता रहता है।

Image Courtesy:Owais Mushtaq Zargar

नारानाग का मूल अर्थ

नारानाग का मूल अर्थ

चश्मे अक्सर ऐसे क्षेत्रों में बनते हैं, जहाँ धरती में कई दरारें और कटाव हो जिनमें बारिश, नदियों और झीलों का पानी प्रवेश कर जाए। फिर यह पानी जमीन के अन्दर ही प्राकृतिक नालियों और गुफ़ाओं में सफ़र करता हुआ किसी और जगह से ज़मीन से चश्मे के रूप में उभर आता है। जहाँ-जहाँ कश्मीर में यह पानी का चश्मा है, उस जगह के नाम में नाग जुड़ा है।

Image Courtesy:Mehrajmir13

नारानाग के मंदिर

नारानाग के मंदिर

कश्मीर में पाये जाने वाले प्राचीनतम आर्य परंपरा के कई अवशेष आज भी इसके भव्य अतीत की झलक को प्रदर्शित करते हैं। उन्हीं में से कुछ प्राचीन मंदिर समूह के अवशेष नारानाग में भी उपस्थित हैं। प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण इस क्षेत्र की एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत भी है।

यह पर्यटक स्थल प्रसिद्ध धार्मिक यात्रा जो हरमुख पर्वत तक संपन्न होती है का भी शुरुआती स्थल है। खासकर की एक ट्रेकर के लिए ये किसी स्वर्ग से काम नहीं है।

Image Courtesy:Mehrajmir13

नारानाग के मंदिर

नारानाग के मंदिर

रोमांच के साथ-साथ यहाँ का इतिहास एक अलग ही कहानी बुनता है। यहाँ पर स्थित मंदिर के अवशेष भारत के सबसे महत्वपूर्ण पुरातन-स्थलों में गिने जाते हैं। पुरातत्व विभाग के अनुसार इस जगह का प्राचीन नाम सोदरतीर्थ था, जो तत्कालीन तीर्थयात्रा स्थलों में एक प्रमुख नाम था। यहाँ स्थित मंदिर लगभग 200 मीटर की दूरी पर एक दूसरे की तरफ मुख करके स्थित हैं।

मंदिर के ये समूह दो भागों में बंटे हुए हैं। दोनों ही भाग भगवान शिव जी को ही समर्पित थे, पर कहा जाता है कि एक में ही सिर्फ भगवान शिव जी की प्रतिमा है और दूसरे में भगवान भैरव की। इतिहासकारों के अनुसार शिव को समर्पित इन मंदिरों का निर्माण 8वीं सदी में कश्मीर-नरेश ललितादित्य ने करवाया था।

Image Courtesy:Stan546

नारानाग के मंदिर

नारानाग के मंदिर

पहले भाग का द्वार किसी कारण की वजह से हाल में बंद कर दिया गया है, पर दूसरे भाग में मुख्य मंदिर जो प्रतिमाविहीन है, की बाईं ओर पत्थर पर तराशकर बनाया हुआ एक शिवलिंग अभी भी विद्यमान है।

शेष बचे मंदिर के समूह पूरी तरह ध्वस्त हैं, किन्तु आस-पास बिखरे अवशेष ही इसके भव्य और गौरवमयी अतीत की कहानी बयां करते हैं। मंदिर के सामने ही पत्थर से बना जलसंचय पात्र है, जो संभवतः धार्मिक प्रयजनों में प्रयुक्त होता होगा।

Image Courtesy:Mayank Soni

नारानाग के मंदिर

नारानाग के मंदिर

मंदिर के उत्तर-पश्चिम भाग में एक प्राचीन कुंड भी बना हुआ है। पत्थरों से बनाये गए इसके दीवारों पर सुन्दर कलाकृतियां भी बनाई गई होंगी, जिनकी थोड़ी-थोड़ी झलक आज भी दिखाई देती है।

जैसा कि आप सब जानते हैं कि कश्मीर की एक समृद्ध परंपरा रही है। भौगोलिक-ऐतिहासिक कारणों से यहाँ की सभ्यता में विभिन्नता साफ़ दिखाई देती है। खूबसूरत वादियों के साथ इतिहास के ये चिन्ह आपको एक अलग सफ़र में ले जायेंगे, जो आपने शायद ही की हो और यह सफर एक बार करने के बाद बार-बार करने की इच्छा होगी।

Image Courtesy:Mayank Soni

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