आप कभी अपने सामानों को या किसी कीमती चीजों के ऐसे ही खुले में छोड़ कर कहीं जाते हो? अगर चले भी गए तो पुरे दिन यही व्यथा सताती रहती है कि कोई हमारा सामान चोरी न कर ले या कहीं कुछ हो न जाये। अपनी चीजों का मोह तो ऐसे भी मानव जाति को बहुत होता है। कहने के लिए लोग कहते हैं की 'इंसान अपना न कुछ लेकर आया है न अपना कुछ लेकर जायेगा', पर सच्चाई तो जग ज़ाहिर है। अपना अपना कह कर लोग किसी भी चीज़ का मोह नहीं छोड़ पाते।
ऐसे ज़माने में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो सब कुछ अपने भगवान जी पर छोड़ कर अपनी दिनचर्या बिता रहे हैं। जी हाँ, आपने बिल्कुल सही सुना ऐसे लोग हैं आज भी, और ये कहीं और नहीं अपने देश भारत में ही हैं। भारत के महाराष्ट्र राज्य में अहमदनगर जिले में ऐसा गाँव है।
शनि शिंगणापुर मंदिर
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अहमदनगर का शनि शिंगणापुर गाँव एक ऐसा गाँव है जहाँ शनि देव हैं, लेकिन मंदिर नहीं है, घर हैं परंतु दरवाज़े नहीं हैं, वृक्ष है लेकिन छाया नहीं है। हमें पता है आपको यह सुनकर थोड़ा अजीब लग रहा होगा पर यही सच्चाई है इस गांव की।
गाँव में शनि देव की महिमा
गाँव के बीचों बीच शनि देव की स्वयम्भू मूर्ति काले रंग की है। यह मूर्ति 5 फुट 9 इंच ऊँची व 1 फुट 6 इंच चौड़ी है जो एक चबूतरे पर ही धूप में विराजमान है। यहाँ शनिदेव अष्ट प्रहर चाहे वह धूप हो, आँधी हो, तूफ़ान हो या जाड़ा हो, सभी ऋतुओं में शनि देवता बिना छत्र धारण किए खड़े होते हैं। पुरे साल रोज़ाना यहाँ हज़ारों की संख्या में भक्त शनि देवता के दर्शन को आते हैं। इन भक्तों में कई प्रभावशाली राजनेता और हस्तियां भी शामिल होती हैं।
शनि देवता के दर्शन को उमड़ी भक्तों की भीड़
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हर शनिवार को तो यहाँ भक्तों का जोश देखने लायक होता है। और अगर किसी शनिवार को अमावस्य वाली रात हो तो उस शनिवार महाराष्ट्र के कोने-कोने से दर्शनाभिलाषी यहाँ आते हैं तथा शनि भगवान की पूजा, अभिषेक आदि करते हैं। यहाँ रोज़ाना सुबह सुबह 4 बजे और शाम के 5 बजे शनि देव की आरती होती है। शनि जयंती के दिन यहाँ का नज़ारा देखने लायक होता है। इस दिन यहाँ जगह-जगह से प्रसिद्ध ब्राह्मणों को बुलाकर 'लघुरुद्राभिषेक' का कार्यक्रम कराया जाता है, जो सुबह के 7 बजे से लेकर शाम के 6 बजे तक चलता है।
गाँव के घर
गांव के लोगों का मानना है कि जो भी चोरी करेगा उसे शनि देवता ज़रूर ही सज़ा देंगे। लगभग तीन हज़ार जनसंख्या वाले इस गाँव में किसी भी घर में दरवाज़ा नहीं है। अब दरवाज़ा ही नहीं तो इसका मतलब कभी किसी घर में कोई कुण्डी या कड़ी लगाकर ताला नहीं लगाया जाता। यहाँ तक की यहाँ के लोग अपने घरों में अलमारी या सूटकेस आदि भी नहीं रखते। ये लोग ऐसा कर अपने शनि देवता की आज्ञा का पालन करते हैं।
शनि शिंगणापुर गाँव में बिना दरवाज़ों के घर
लोग घर की ज़रूरी चीजें, गहने, कपड़े, रुपए-पैसे आदि रखने के लिए थैली, डिब्बे या ताक का इस्तेमाल करते हैं। केवल पशुओं से इन सबकी रक्षा हो, इसलिए बाँस का ढँकना दरवाज़े पर लगाया जाता है।
यह गांव छोटा ज़रूर है पर यहाँ के लोग काफी समृद्ध हैं। यहाँ अनेक घर आधुनिक तकनीक से ईंट-पत्थर तथा सीमेंट का इस्तेमाल करके बनाये गए हैं। फिर भी इन आधुनकि घरों में कोई दरवाज़े नहीं हैं। यहाँ कोई भी मकान आपको दोमंज़िला बना हुआ नहीं मिलेगा। कहा जाता है कि यहाँ कभी चोरी नहीं हुई। यहाँ आने वाले भक्त भी अपने वाहनों में ताला नहीं लगाते। चाहे कितना भी बड़ा मेला हो आज तक यहाँ किसी वाहन की चोरी नहीं हुई।
गांव में बिना दरवाज़े का घर और घर की दीवारों पर की गई चित्रकारी
यहाँ की मान्यता
हिन्दू धर्म में कहा जाता है कि कोबरा का काटा और शनि का मारा पानी नहीं माँगता। शुभ दृष्टि जब इसकी होती है, तो रंक भी राजा बन जाता है। देवता,असुर,मनुष्य,सिद्ध,विद्याधर और नाग ये सब इसकी अशुभ दृष्टि पड़ने पर समूल नष्ट हो जाते हैं। शनि देवता को अत्यंत जाज्वल्यमान और जागृत देवता माना जाता है इसलिए अब यहाँ शनि देव को मानने के लिए प्रत्येक वर्ग के लोग इनके दरबार में नियमित हाजिरी दे रहे हैं।
शनि शिंगणापुर गांव पहुंचे कैसे?
सड़क यात्रा द्वारा: महाराष्ट्र के कई प्रमुख शहरों, पुणे, मुम्बई, नासिक आदि से यहाँ तक के लिए कई बसों की सुविधा उपलब्ध हैं।
रेल यात्रा द्वारा: शनि शिंगणापुर गांव के नज़दीकी रेलवे स्टेशन राहुरी, अहमदनगर, श्रीरामपुर, शिरडी रेलवे स्टेशन हैं जो देश के अन्य रेलवे लाइनों से अच्छी तरह जुड़े हुए हैं। इन स्टेशनों पर पहुँच कर आप किसी टैक्सी या कैब द्वारा यहाँ पहुँच सकते हैं।
हवाई यात्रा द्वारा: यहाँ का नज़दीकी हवाई अड्डा औरंगाबाद हवाईअड्डा है, जो यहाँ से लगभग 90 किलोमीटर की दूरी पर है।
तो अगली बार अपने महाराष्ट्र की यात्रा में इस अनोखे गाँव की यात्रा की योजना को जोड़ना न भूलें और शनि देवता की महिमा को भी यहाँ आकर परखें।
अपने महत्वपूर्ण सुझाव व अनुभव नीचे व्यक्त करें।
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