किसी ने सच ही कहा है कि,भगवान के दर्शन ऐसे ही नहीं होते उसके लिए आपको कड़ी तपस्या करनी होती है...तब जाकर कहीं भगवान के दर्शन नसीब होते हैं।आज के समय में वह कड़ी तपस्या तो नहीं की जाती लेकिन आज भी भक्तो को भगवान के दर्शन करने के लिए कई जतन करने होते हैं।
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कहा भी जाता है, जो नसीब वाले होते हैं वही इन जगहों पर पहुंचकर भगवान के दर्शन कर पाते हैं। जैसा की हम सभी जानते हैं, भारत में सबसे कठिन यात्रा कैलाश मानसरोवर की है और उसके बाद अमरनाथ गुफा, लेकिन शायद ही आप उससे भी कठिन यात्रा श्रीखंड के बारे में जानते हो।
शिव भक्त है.....तो जरुर जाएँ अमरनाथ गुफा
श्रीखंड आनी उपमंडल के निरमंड खंड की 18570 फीट की ऊंचाई पर बसे भोले बाबा यहां भी 35 किलोमीटर की कठिनतम,जोखिम भरी लेकिन रोमांचक यात्रा के बाद मिल पाते हैं। श्रीखंड यात्रा के लिए 25 किलोमीटर की सीधी चढाई श्रद्धालुओं के लिए किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं होती है। कई दफा तो इस यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की मौत भी हो चुकी है।
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स्थानीय लोगों के अनुसार, इस चोटी पर भगवान शिव का वास है। इसके शिवलिंग की ऊंचाई 72 फीट है। यहां तक पहुंचने के लिए सुंदर घाटियों के बीच से एक ट्रैक है। अमरनाथ यात्रा के दौरान लोग जहां खच्चरों का सहारा लेते हैं। वहीं, श्रीखण्ड महादेव की 35 किलोमीटर की इतनी कठिन चढ़ाई है, जिसपर कोई खच्चर घोड़ा नहीं चल ही नहीं सकता। श्रीखण्ड का रास्ता रामपुर बुशैहर से जाता है। यहां से निरमण्ड, उसके बाद बागीपुल और आखिर में जांव के बाद पैदल यात्रा शुरू होती है।
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श्रीखंड में भगवान शिव का शिवलिंग हैं। श्रीखंड से करीब 50 मीटर पहले पार्वती, गणेश व कार्तिक स्वामी की प्रतिमाएं भी हैं।
कब होगी?
भारत की सबसे कठिनतम धार्मिक यात्राओं में से एक श्रीखंड महादेव यात्रा इस वर्ष 15 से 30 जुलाई तक आयोजित की जाएगी। 25 जुलाई के बाद किसी को भी यात्रा में जाने की इजाजत नहीं दी जाएगी।
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पंजीकरण फीस 100 रुपए
श्रीखंड महादेव यात्रा के लिए इस बार पंजीकरण फीस बढ़ाकर 100 रुपए की गई है। यात्री पंजीकृत मेडिकल संस्थान से अपना स्वास्थ्य फिटनेस प्रमाणपत्र ला सकते हैं। बिना फिटनेस के श्रद्धालु यात्रा में भाग नहीं ले सकता।
चार बेस कैंप
इस यात्रा के दौरान चार बेस कैम्प बनाये जायेंगे...इन बेसकैंप सिंघगाड में श्रद्धालुओं का पंजीकरण और स्वास्थ्य चैकअप होगा। इसके अलावा बेसकैंप थाचडू, भीमडवारी में डॉक्टर, पुलिस के जवान मौजूद रहेंगे, जबकि अंतिम बेसकैंप पार्वतीबाग में रैस्क्यूदल और पुलिस व होमगार्ड के जवान श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए तत्पर रहेंगे। इसके अलावा क्षेत्रीय रैस्क्यू टीम को भी शामिल किया गया है।
बिना पंजीकृत यात्री को सुविधाएं नहीं
श्रीखंड महादेव की यात्रा के लिए हर श्रद्धालुओं का पंजीकरण अनिवार्य है। यदि कोई बिना पंजीकरण के जाता है तो वो ट्रस्ट द्वारा दी जा रही तमाम सुविधाओं से वंचित रहेगा और उस श्रद्धालु की अपनी जिम्मेदारी होगी।
यात्रा के पड़ाव
यहां की यात्रा जुलाई में प्रारंभ होती है जिसे श्रीखंड महादेव ट्रस्ट द्वारा आयोजित किया जाता है। सिंहगाड, थाचड़ू, भीमडवारी और पार्वतीबाग में कैंप स्थापित हैं। यात्रा के तीन पड़ाव हैं:- सिंहगाड़, थाचड़ू, और भीम डवार है।
पौराणिक कहानी
श्रीखंड की पौराणिक मान्यता है कि भस्मासुर राक्षस ने अपनी तपस्या से शिव से वरदान मांगा था कि वह जिस पर भी अपना हाथ रखेगा तो वह भस्म होगा। राक्षसी भाव होने के कारण उसने माता पार्वती से शादी करने की ठान ली।इसलिए भस्मापुर ने शिव के ऊपर हाथ रखकर उसे भस्म करने की योजना बनाई लेकिन भगवान विष्णु ने उसकी मंशा को नष्ट किया। विष्णु ने माता पार्वती का रूप धारण किया और भस्मासुर को अपने साथ नृत्य करने के लिए राजी किया। नृत्य के दौरान भस्मासुर ने अपने सिर पर ही हाथ रख लिया और भस्म हो गया। आज भी वहां की मिट्टी व पानी दूर से लाल दिखाई देते हैं।
श्रीखंड के आसपास घूमने की जगह
देवदांक -देवदांक वही गुफा है, जहां भस्मामुर भस्मा कंगन के साथ उनका पीछा कर रहा था, लेकिन महादेव इस गुफा से कहीं गायब हो गये।
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थचरु -
सिंघ जौ गांव से लगभग 11 किमी (यात्रा यहाँ से शुरू होती है) और यहां स्थित मंदिर वन देवता या जंगल को समप्रित है। विकास खण्ड द्वारा स्थापित थचरु में तीर्थयात्रियों के लिए एक आराम स्थान भी है।
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नैनी सरोवर
यह एक प्राकृतिक जलाशय है, जो सर्दियोंके दौरान पूरी तरह जम जाता है। कहा जाता है कि,यह जलाशय मां पार्वती के आंसू से बना हुआ है..भक्त यहां आकर इस पवित्र जलाशय में डुबकी लगाते हैं साथ ही इस जल को अपने साथ ले जाते है।
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भीम शीला -
बड़े आकार के पत्थर श्रीखंड महादेव पीक और नैन सरोवर झील के बीच स्थित हैं। स्थानीय लोककथाओं के अनुसार, पांडवों के भाई भीम ने यहां एक सीढ़ी का निर्माण किया था जोकि स्वर्ग की ओर जाती है।
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श्रीखंड महादेव तक कैसे पहुंचे
वायु से - श्रीखंड महादेव का निकटतम हवाई अड्डा जुबर्हट्टी, शिमला में है। यहां से पर्यटक बस द्वारा कुल्लू पहुंच सकते हैं..जिसके बाद आगे की यात्रा शुरू होती है।
रेल द्वारा - श्रीखंड महादेव का निकटतम रेलवे स्टेशन शिमला में है। फिर वहां से आपको सड़क से जाना होगा