मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, आंध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के किनारे श्री शैल पर्वत पर स्थित हैं। इसे दक्षिण का कैलाश भी कहा जाता है। 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से ही भक्तों के सभी पाप कट जाते हैं। शिवपुराण की मानें तो मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग में भगवान शिव और माता पार्वती दोनों निवास करते हैं। मंदिर के निकट ही माता जगदंबा का भी मंदिर है जो 51 शक्तिपीठों में से एक है। यहां माता पार्वती ब्रह्मरांबिका के नाम से जानी जाती हैं। कहा जाता है कि यहां माता सती की गर्दन गिरी थी। सावन के महीने में यहां भक्तों की भारी भीड़ लगती है।
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग को लेकर पौराणिक कथा
शिवपुराण की कथा के अनुसार, गणेश जी और कार्तिकेय जी के विवाह को लेकर बात चल रही थी। तब, यह हुआ कि पहले किसका विवाह करवाया जाए? तो ऐसे में भगवान शिव और माता पार्वती ने कहा कि जो पहले पृथ्वी का चक्कर लगाकर आएगा, उसका विवाह पहले कराया जाएगा। कार्तिकेय जी अपनी सवारी लेकर पृथ्वी के चक्कर लगाने के लिए निकल पड़े और गणेश जी बड़े ही चतुर दिमाग वाले थे, उन्होंने पृथ्वी के चक्कर ना लगाकर माता पार्वती और भगवान शिव के सात चक्कर लगा लिए। ऐसे में भगवान शिव और माता पार्वती काफी प्रसन्न हुए और उनका विवाह रिद्धि और सिद्धि से करा दिया गया। इसके बाद जब कार्तिकेय पृथ्वी का पूरा परिक्रमा करने के बाद लौटे तो यह सब देखकर काफी क्रोधित हुए और क्रौंच पर्वत चले गए। पुत्र को मनाने के लिए माता पार्वती वहां पहुंची, तभी भगवान शिव भी दिव्य शिवलिंग के रूप में वहां प्रकट हुए और तभी से यह अर्जुन ज्योतिर्लिंग के नाम से विख्यात हो गया। इसके अलावा भी कई और कथाएं इस मंदिर को लेकर कही जाती हैं। मान्यता है कि भगवान शिव अमावस्या के दिन और माता पार्वती पूर्णिमा के दिन यहां स्वयं आती हैं।
यहां दर्शन करने मात्र से ही अश्वमेध यज्ञ जितना मिलता है फल
हिंदू धर्म के कई धर्म ग्रंथों में इस ज्योतिर्लिंग की महिमा का बखान किया गया है। महाभारत के अनुसार, मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का दर्शन करने मात्र से ही अश्रमेध यज्ञ करने जितना फल प्राप्त होता है। यहां दर्शन करने से भक्तों के सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं, उन्हें अनंत सुखों की प्राप्ति होती है।
घने जंगलों से होकर गुजरता है रास्ता
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग तक पहुंचने के लिए घने जंगलों के बीच से होकर गुजरता है। घने जंगल का करीब 40 किलोमीटर का यह रास्ता शाम 6 बजे के बाद से बंद कर दिया जाता है और फिर सुबह 6 बजे ही खोला जाता है। मंदिर के रास्ते में ही आपको श्री शैलम डैम भी नजर आएगा, जिसका नजारा बेहद खूबसूरत होता है। सावन के महीने में पर्यटकों का यहां जमावड़ा लगा रहता है।
मंदिर में प्रवेश करने का समय
मंदिर के कपाट सुबह 5 बजे से लेकर रात के 10 बजे तक खुले रहते हैं। करीब 3:00 से 4:00 के बीच 1 घंटे के लिए मंदिर को बंद किया जाता है और फिर शाम की आरती के बाद भक्तों के लिए मंदिर परिसर को खोल दिया जाता है।
यहां जाने का सही समय और रूकने की व्यवस्था
मंदिर में दर्शन तो साल भर किए जा सकते हैं लेकिन अक्टूबर से लेकर फरवरी तक का महीना काफी अच्छा माना जाता है। दरअसल, यहां गर्मी बहुत ज्यादा पड़ती है। इसके अलावा यहां सावन के महीने में भी बाबा का दर्शन करना काफी सुखदायी होता है। सावन के महीने यहां मेले का भी आयोजन होता है। वहीं, ठहरने के लिए यहां तमाम होटल है जहां दर्शनार्थी ठहर सकते हैं। यहां नॉन-एसी रूम करीब 700 रुपये में और एसी रूम करीब 1200 रुपये में मिल जाता है।
कैसे पहुंचें मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग
इस मंदिर तक पहुंचने के लिए सबसे पहले आपको हैदराबाद आना पड़ेगा, बात यहां से आप बस पकड़कर मंदिर परिसर तक पहुंच सकते हैं। इसके अलावा आप अपने निजी साधन या प्राइवेट टैक्सी का भी उपयोग कर सकते हैं। यहां का नजदीकी हवाई अड्डा हैदराबाद स्थित राजीव गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट है जो यहां से करीब 150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। वहीं, यहां का नजदीकी रेलवे मार्ग हैदराबाद स्थित सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन है।