भारत में नृत्य-संगीत का इतिहास पौराणिक काल से बताया जाता है। जो अब भारतीय संस्कृति का अनूठा अंग बन चुके हैं। इन पारंपरिक नृत्य-संगीतों की खास झलकियां अकसर भारतीय त्योहारों में देखी जाती है। भारत के सभी राज्य अपनी विविध संस्कृति के लिए जाने जाते हैं। इसलिए कला-संस्कृति के क्षेत्र में भारत विश्व के खास चुनिंदा देशों में गिना जाता है।
नृत्य-संगीत की यह परंपरा कहीं लुप्त न हो जाए इसलिए भारत में कई बड़ी कल्चरल अकादमी व कला भवन इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं। जिनका मुख्य उद्देश्य भारतीय कला-संस्कृति के मूल गुणों को आधुनिक पीढ़ी तक स्थानांतरित करना है, साथ ही विश्व स्तर पर देश की सांस्कृतिक पहचान को बरकरार रखना है।
भारतीय कला से जुड़े अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम
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इस तरह की कल्चरल अकादमी आपको भारत के राजधानी शहर दिल्ली में ज्यादा देखने को मिल जाएंगी। जो समय-समय पर नृत्य - संगीत से जुड़े अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम कराती रहती हैं। कुछ ऐसा ही खास उत्सव दिल्ली के 'इंडिया हेबिटेट सेंटर के स्टेनिन सभागार' में देखने को मिला। जिसमें भारतीय कला-संस्कृति से जुड़ी कई विशेष हस्तियों ने शिरकत की।
इस कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण उस्ताद अकरम खान (अजराडा घराना) और बरूण कुमार पाल (हंस वीणा) रहे । यह खास अंतरराष्ट्रीय क्रार्यक्रम दिल्ली की एक कल्चरल अकादमी के सात वर्ष पूरे होने पर रखा गया था। उत्तराखंड : इस दुर्लभ पशु की नाभि से बहती है सुगंधित धारा
भारतीय संस्कृति की अनोखी झलक
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कार्यक्रम के शुभारंभ के लिए केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले, छत्तीसगढ़ के पूर्व राज्यपाल शेखर दत्त, दिल्ली डीसीपी जितेन्द्रमणि त्रिपाठी और डॉ विनय अग्रवाल को आमंत्रित किया गया था। दीप प्रज्ज्वलन और गणेश वंदना के साथ इस खास सांस्कृतिक उत्सव का शुभारंभ किया गया है। जिसके बाद संस्था की छात्राओं ने भारतीय परंपरा की अनोखी झलक कत्थक के माध्यम से दिखाई गई।
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राग भैरवी और राग वसंत
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कार्यक्रम के दौरान शिव पार्वती के लास्य और ताडंव नृत्यों को भी पेश किया गया। कथक की विशेष प्रस्तुती संगीता मजूमदार और कुमार प्रदीप्तो द्वारा दी गई। साथ ही इस पूरी सास्कृतिक बेला में जुहेब अहमद खान (तबला) हिमांशु दत्त (बांसुरी), नलिनी निगम (गायन), भानू सिसोदिया और मयूख भट्टाचार्य (पखावज) का विशेष योगदान रहा ।
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भारतीय कला को बढ़ावा
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दिल्ली स्थित प्रमुख कल्चरल अकादमी
भारत की लोक कला को विश्व स्तर प्रदर्शित करने के लिए दिल्ली एक अहम भूमिका निभाता है। इस शहर में कई छोटी-बड़ी कल्चरल अकादमी मौजूद हैं जो लंबे समय से पारंपरिक नृत्य संगीत को बढ़ावा देने का काम कर रही हैं। दिल्ली हर साल बड़े स्तर पर अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों की मेजबानी करता है।