दक्षिण भारत स्थित तमिलनाडु भारत के सबसे खूबसूरत राज्यों में गिना जाता है, जो न सिर्फ अपनी धार्मिक गतिविधियों बल्कि प्राकृतिक सौंदर्यता के लिए भी काफी ज्यादा प्रसिद्ध है। चेन्नई, कोयम्बटूर, सेलम, तिरूनेलवेली, मदुरै आदि शहरों के साथ यह राज्य देश-विदेश के सैलानियों को अपनी और काफी ज्यादा आकर्षित करता है। कर्नाटक, केरल और आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु के पड़ोसी राज्य हैं।
यहां के समुद्री तट भी पर्यटकों के मध्य काफी ज्यादा लोकप्रिय हैं। ग्रीष्मकाल के दौरान यहां के पहाड़ी गंतव्य आरामदायक अवकाश बिताने का एक सुनहरा मौका प्रदान करते हैं। इस खास लेख में आज हमारे साथ जानिए इन गर्मियों खासकर मई-जून के महीनों में आप तमिलनाडु के कौन कौन से आकर्षक हिल स्टेशनों की सैर का प्लान बना सकते हैं।
कुन्नूर
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ऊटी से 18 किमी और कोयंबटूर से 71 किमी दूर स्थित कुन्नूर तमिलनाडु राज्य के नीलगिरि जिले के अंतर्गत एक खूबसूरत हिल स्टेशन है। कुन्नुर पूरे दक्षिण भारत के चुनिंदा सबसे खास हिल स्टेशन में गिना जाता है जो अपने खासकर अपनी पहाड़ी आबोहवा और नीलगिरी चाय के लिए प्रसिद्ध है। कुन्नूर तमिलनाडु में और बैंगलोर के पास लोकप्रिय पहाड़ी गंतव्यों में से एक है। समुद्र तल से लगभग 6,000 फीट की ऊंचाई पर बसा कूनूर अपने मनमोहक पहाड़ी परिदृश्यों के साथ विभिन्न जंगली फलों और पक्षी प्रजातियों के लिए भी प्रसिद्ध है।
ऊटी के बाद नीलगिरी पहाड़ियों में यह दूसरा सबसे बड़ा पहाड़ी स्टेशन है। कूननूर हर तरह के सैलानियों का स्वागत करता है। आप यहां अपने परिवार व दोस्तों के साथ एक यादगार अवकाश बिता सकते हैं।
येलागिरी हिल्स
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चेन्नई से 230 किमी और बैंगलोर से 178 किमी दूर येलागिरी हिल्स तमिलनाडु के वेल्लोर जिले में एक खूबसूरत पहाड़ी गंतव्य है। जो वनियाबदी(Vaniyambadi) और जोलारपेट्टाई (Jolarpettai) के शहरों में स्थित है। यह बैंगलोर और चेन्नई के पास सबसे अच्छे पहाड़ी गंतव्यों में गिना जाता है। इसके अलावा येलगिरी हिल्स बैंगलोर और चेन्नई के प्रसिद्ध सप्ताहांत गेटवे भी है। गर्मियों के दौरान एक शानदार अवकाश बिताने के लिए आप येलागिरी हिल्स का प्लान बना सकते हैं।
ट्रेकिंग जैसे रोमांचक अनुभवों के लिए येलागिरी की पहाड़ियां काफी आदर्श मानी जाता हैं। इसके अलावा आप यहां पैराग्लाइडिंग का भी अनुभव ले सकते हैं। येलागिरी 14 बस्तियों का एक समूह है जो चार पहाड़ियों के मध्य लगभग 3500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।
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कोटागिरी
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कुन्नूर से 20 किमी और चेन्नई से 544 किमी दूर स्थित कोटागिरी तमिलनाडु राज्य की नीलगिरी जिले का एक छोटा और बेहद खूबसूरत हिल स्टेशन है। 1793 मीटर की ऊंचाई पर स्थित कोटागिरी ऊटी और कुन्नूर के बाद नीलगिरी का सबसे पुराना और तीसरा सबसे बड़ा पहाड़ी गंतव्य है। कोटागिरी नाम का शाब्दिक अर्थ है कोटा के पहाड़ जो कभी यहां रहने वाली कोटा जनजाति के इतिहास की ओर इंगित करता है। कोटागिरी ऊटी पैकेज में शामिल होने वाले शीर्ष आकर्षणों में से एक है। ग्रीष्मकालीन अवकाश बिताने के लिए यह स्थान बेहद खास माना जाता है। कोटागिरी कभी भारत में आए ब्रिटिश लोगों का निवास स्थान भी था। आज ये पहाड़ी गंतव्य अपनी नैसर्गिक खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध है।
देश-विदेश के सैलानी यहां एक क्वालिटी टाइम स्पेंड करने के लिए आते हैं। आप यहां पहाड़ी सुंदरता के साथ-साथ खूबसूरत चाय के बागानों की सैर का भी आनंद ले सकते हैं। इसके अलावा आप यहां ट्रेकिंग और रॉक क्लाइंबिंग जैसे रोमांचक एडवेंचर का भी आनंद उठा सकते हैं।
मंजोलई हिल्स
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मनीमुथार से 23 किमी और तिरुनेलवेली से 63 की दूरी पर, मंजोलई तमिलनाडु का एक बेहद खूबसूरत हिल स्टेशन है। कालाक्कड मुंडंथुरई टाइगर रिजर्व के साथ पश्चिमी घाटों की गहराई में बसा है। 1162 मीटर की ऊंचाई पर स्थित मंजोलई ऊपरी कोडाईयार के पास एक आदर्श ग्रीष्मकालीन रिज़ॉर्ट है। यह पहाड़ी अलग-अलग प्रकार की चाय की खेती के लिए भी जाना जाता है।
यहां की पहाड़ी आबोहवा और खूबसूरत दृश्यों की वजह से इसकी तुलना ऊटी हिल स्टेशन से भी की जाती है। यह जगह काफी शांत और जहां आप खुद को प्रकृति के बेहद करीब पाएंगे। यहां के दर्शनीय स्थलों में आप ऊपरी कोडाईयार बांध ( Upper Kodaiyar Dam) और कुथिरावेट्टी (Kuthiravetti) की सैर कर सकते हैं। इसके अलावा कालाक्कड मुंडंथुरई टाइगर रिजर्व भी पर्यटकों को अपनी ओर काफी ज्यादा आकर्षित करता है। एक यादगार अवकाश के लिए आप यहां की सैर का प्लान बना सकते हैं।
कोली हिल्स
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सालेम से 87 और चेन्नई से 395 किमी दूर स्थित कोली हिल्स तमिलनाडु के नमक्कल जिले में स्थित एक छोटी मगर खूबसूरत पर्वत श्रृंखला है। यहां 1000 से 1300 मीटर की ऊंची पहाड़ियां हैं जो लगभग 280 वर्ग किमी के क्षेत्र को कवर करती हैं। यहां की पहाड़ियों की खासियत है कि आप यहां शुद्ध प्राकृतिक अनुभव ले सकते हैं अभी तक यह स्थान वाणिज्यिक पर्यटन से काफी दूर है। इसी पहाड़ी श्रृंखला को स्थानीय देवी एट्टुककाई अम्मान के नाम पर नाम मिला है। पौराणिक किवदंतियों के अनुसार कभी कुछ साधु यहां तपस्या के लिए किसी शांत जगह की तलाश में यहां पहुंचे थे।
लेकिन जैसी ही उन्होंने अपना तप शुरू किया अचानक जंगल के राक्षस आ धमके जिन्होंने अनुष्ठान में बाधा डालनी शुरू की। साधुओं ने कोली पावाई देवी की अराधना की जिसके बाद वे राक्षस वहां से भाग गए। प्राकृतिक दृष्टि से कोली हिल्स काफी ज्यादा उन्नत माना जाता है। परिवार और दोस्तों के साथ आप यहां के भ्रमण के लिए आ सकते हैं।इन गर्मियों डलहौजी में उठाएं इन खास चीजों का आनंद