के रत्नागिरी जिले में स्थित एक छोटा सा शहर है डपोली। समुद्रतट से डपोली 800 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। दक्षिण में दक्षिण केल्शी का डबोल सबसे लंबे समुद्रतटों " loading="lazy" width="100" height="56" />महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में स्थित एक छोटा सा शहर है डपोली। समुद्रतट से डपोली 800 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। दक्षिण में दक्षिण केल्शी का डबोल सबसे लंबे समुद्रतटों
महाराष्ट्र के 21 खूबसूरत व आकर्षक हिल स्टेशन्स!
मुंबई से 215 किमी की दूरी पर स्थित डपोली में भारत का सबसे बड़ा कृषि विश्वविद्यालय डॉ. बाला साहेब सावंत कोंकन कृषि विद्यापीठ स्थित है। इसे ब्रिटिश सरकार ने अपने कैंप लगाने के लिए बनवाया था इसलिए इस जगह को कैंप डपोली भी कहा जाता है।
ऑरोविले जाने से पहले..इन बातों का रखे ध्यान
सालभर डपोली का तापमान ठंडा रहता है और इसे मिनी महाबलेश्वर भी कहा जाता है। डपोली, सामाजिक कार्यकर्ता और भारत रत्न विजेता महर्षि ढोंढो केशव कार्वे का जन्मस्थान है।
डपोली घूमने का सही समय
डपोली घूमने का सही समय अक्टूबर महीने के अंत से फरवरी के मध्य तक है। हालांकि मॉनसून के दौरान भी डपोली में काफी खूबसूरत नज़ारे देखने को मिलते हैं।
कैसे पहुंचे डपोली
वायु मार्ग : डपोली से मुंबई का छत्रपति शिवाजी एयरपोर्ट सबसे निकटतम एयरपोर्ट है। ये डपोली से 230 किमी की दूरी पर स्थित है। मुंबई से डपोली के लिए आपको टैक्सी मिल जाएगी।
रेल मार्ग : डपोली से खेड़ सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन है। यहां से डपोली 29 किमी दूर है।
सड़क मार्ग : मुंबई से सड़क मार्ग द्वारा डपोली जाने के दो रास्ते हैं।
पहला रास्ता : मुंबई - रासायनी - कोलाड़ - मानगांव - डपोली तक बैंगलोर - मुंबई हाईवे/ मुंबई हाईवे / मुंबई - पांढरपुर रोड़/ मुंबई - पुणे हाईवे। 225 किमी लंबे इस रास्ते में आपको 4 घंटे 48 मिनट का समय लगेगा।
दूसरा रास्ता : मुंबई - थाणे - रासायनी - मानगांव - डपोली तक एनएन 66। 268 किमी लंबे इस रास्ते से डपोली पहुंचने में आपको 6 घंटे 45 मिनट का समय लगेगा।
करनाला पक्षी अभयारण्य
यहां आपको पहले रूट से पहुंचना चाहिए क्योंकि ये छोटा और सुविधाजनक भी है। मुंबई से रायासनी 53 किमी दूर है। इसमें आपको लगभग एक घंटे से 40 मिनट तक का समय लगेगा। महाराष्ट्र के रायगढ़ में स्थित है रासायनी। रासायनी के पास ही स्थित है छोटा-सा पक्षी अभ्यारण्य जहां आपको 222 पक्षियों की विभिन्न प्रजातियां देखने को मिलेंगीं। यहां 161 देशी प्रजातियां है 46 प्रवासी प्रजातियां हैं। यहां आने वाले पक्षियों में से मालाबार ग्रे हॉर्नबिल, सनबर्ड, मालाबर पैराकीट, नीलगिरी वुड पिजन, मालाबार लार्क आदि हैं।इस अभ्यारणय में करनाला किला भी है। ये कला हरे-भरे पेड़ों से ढका हुआ है। सन् 1400 में देवगिरी यादव ने बनवाया था। ट्रैकिंग और हाइकिंग के लिए ये किला काफी मशहूर है। खासतौर पर मॉनसून के दौरान यहां भारी भीड़ रहती है।
यहां विभिन्न स्तर पर दो किले हैं। किले के मध्य में घड़ी का खंभा और मंदिर के बीचोंबीच देवी भवानी को समर्पित मंदिर है।
कोलाड़
डपोली से अगला रास्ता जाता है कोलाड को जोकि रासायनी से 81 किमी दूर है। यहां पहुंचने में आपको 2 घंटे का समय लगेगा। ये जगह रोमांच पसंद करने वाले लोगों की पसंदीदा जगह है। यहां पर आप कुंडालिक नदी में रिवर राफ्टिंग और घोसाला किले में ट्रैकिंग का मज़ा ले सकते हैं।
जंजीरा पर्वत पर चढ़ाई कर कुडा मंदद गुफा तक पहुंच सकते हैं।
कोलाड़ से मनगांव 21 किमी की दूरी पर स्थित है। इसमें आपको 30 मिनट का समय लगेगा। यहां पर ऐतिहासिक तानाजर मालुसेर और छत्रपति राजाराम किले भी हैं। मानगांव के एक पवर्त पर रायगढ़ किला भी है। ये किला 1674 में छत्रपति शिवाजी की राजधानी हुआ करता था। उस समय वह मराठा शासक हुआ करते थे। मानगांव से डपोली 83 किमी दूर है और यहां पहुंचने में आपको 2 घंटे का समय लगेगा।
डपोली
डपोली में आपको बेहद खूबसूरत नज़ारे देखने को मिलेंगें। यहां पर अनेक समुद्रतट और मंदिर आकर्षित करते हैं। डपोली के समुद्रतटों में आप कई स्पोर्ट्स एक्टिविटी भी कर सकते हैं। डपोली कोनकनी सीफूड खाने के लिए भी बहुत मशहूर है।
समुद्र तट
महाराष्ट्र के डपोली में कई खूबसूरत और मनोरम समुद्रतट भी हैं। यहां के तटों पर काली रेत के ऊपर सफेद रेत बिछी हुई है। डपोली में कुछ खास समुद्रतट हैं - कारदे समुद्रतट, लदघर समुद्रतट, कोलथारे समुद्रतट और डबहोल समुद्रतट।
अनहवारे हॉट स्प्रिंग
डपोली के पास ही स्थित है सल्फर युक्त अनहवारे हॉट स्प्रिंग। माना जाता है कि इस स्प्रिंग के पानी से त्वचा से संबंधित कई रोगों से छुटकारा मिलता है। यहां नहाने की व्यवस्था भी की गई है।
पान्हालेकाजी गुफा
इन गुफाओं का पता 1970 में चला था। ये गुफाएं बौद्ध युग की सुंदर कलाकृतियों से सजी हैं। यहां ज्यादा भीड़ तो नहीं होती लेकिन ये जगह इतिहास प्रेमियों के लिए खास है। नदी कोटजाई के किनारे पर पत्थरों को काटकर कुल 29 गुफाएं बनाईं गईं हैं।
कद्यावर्चा गणपति मंदिर
डपोली के पास स्थित कद्यावर्चा गणपति मंदिर में भगवान गणेश की एकमात्र ऐसी प्रतिमा है जिसकी सूंड दाईं तरफ है। इस मंदिर को पहले लकड़ी का बनाया गया था और बाद में इसका 1780 में पुन: निर्माण किया गया। डपोली क्षेत्र में ये मंदिर काफी प्रसिद्ध है।
किला
कनकादुर्ग और सुवरनादुर्ग किला भी डपोली के पास स्थित है। सुवरनादुर्ग किला चारों तरु से पानी से घिरा हुआ है और इसे मराठा सेना द्वारा जहाज़ निर्माण के लिए प्रयोग किया जाता है। कनकदुर्ग किले को सुवरनादुर्ग किले के उप किले के रूप में शाहु महाराज द्वारा बनवाया गया था। सुवरनादुर्ग किले से नावों का खूबसूरत नज़ारा दिखाई देता है।
श्री केशवराज मंदिर
हरे-भरे वातावरण से घिरा हुआ है श्री केशवराज मंदिर जहां आपको नारियल, आम और सुपारी के पड़े मिलेंगें। ये मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। ट्रैके बार आप यहां पहुंचकर भगवान केशवराज की पूजा कर सकते हैं।