अगर आप भारतीय ग्रामीण परिवेश, संस्कृति को करीब से देखना चाहते हैं, तो इस बार 2 से 18 फरवरी तक आयोजित होने जा रहे '32वें इंटरनेशनल सूरजकुंड मेले' का हिस्सा जरूर बनें। अलग-अलग राज्यों की थीम पर आधारित इस मेले में आप भारतीय ग्रामीण व्यवस्था की खास झलकियां देख सकते हैं।
यह मेला दिल्ली के निकटवर्ती सीमा क्षेत्र फरीदाबाद के सूरजकुंड में हर साल लगता है। इस मेले को दुनिया का सबसे बड़ा हस्तशिल्प मेला कहा जाता है, क्योंकि यहां पूरी दुनिया के लोक व हस्तशिल्प कलाकार एकसाथ शिरकत करते हैं।
क्या है सूरजकुंड मेला ?
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सूरजकुंड में प्रतिवर्ष लगने वाला मेला, दुनिया का सबसे बड़ा हस्तशिल्प मेला है, जहां आपको भारतीय शिल्प व हस्त कलाकारों की अद्भुत कला को देखने का अवसर मिलेगा। 15 दिन तक चलने वाले इस मेले में भारतीय संस्कृति, कला, परंपराओं व सामाजिक परिवेश, को प्रदर्शित किया जाता है। बता दें कि यह मेला लगभग 25 सालों से निरंतर आयोजित किया जा रहा है। यहां हस्तशिल्प व हथकरघा के अलावा, अलग-अलग राज्यों की लोक कला, वस्त्र परंपरा व लोक संगीत-नृत्य का अनोखा संगम देखने को मिलता है।
संस्कृतियों का संगम
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अगर आप भारतीय संस्कृति का विविध रूप देखना चाहते हैं, तो इस मेले का हिस्सा जरूर बनें। यहां उत्तर से लेकर दक्षिण राज्यों की विभिन्न संस्कृतियों को करीब से जानने व समझने का अवसर मिलेगा। यहां आपको असम के बांस और बेंत से निर्मित वस्तुएं, छत्तीसगढ़ के लौह उत्पाद, उड़ीसा के अनोखे हस्तशिल्प उत्पाद, पंजाब -हरियाणा के आकर्षक परिधान, पीतल नगरी मुरादाबाद के पीतल बर्तन व दक्षिण भारत से चंदन की लकड़ी के हस्तशिल्प आदि को देखने व खरीदने का अवसर मिलेगा।
इस बार की थीम
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इस बार सूरजकुंड मेले की थीम 'उत्तरप्रदेश' राज्य पर आधारित है, यानी, इस बार यह मेला पूरी तरह भारत के सबसे बड़े सांस्कृतिक व धार्मिक राज्य उत्तर प्रदेश को समर्पित होगा। इस बार सूरजकुंड में, वाराणसी के 84 घाटों की झलकियों के साथ 8 प्रमुख घाटों (अस्सी घाट, तुलसी घाट, मणिकर्णिका घाट, जानकी घाट व संगम घाट आदि )को प्रदर्शित किया जाएगा। इसी के साथ ही बाबा भोलेनाथ का 'काशी विश्वनाथ मंदिर' भी दिखाया जाएगा। यहां तक की मंदिर में प्रसाद वितरण का आयोजन भी किया जाएगा।
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दिखेगा राम मंदिर
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इस बार मेले का मुख्य आकर्षण परिसर की चौपाल पर नजर आएगा। मुख्य चौपाल रामायण की थीम पर आधारित होगी। यहां पहली बार राम जन्मभूमि अयोध्या में प्रस्तावित 'राम मंदिर' की पहली झलक देखने को मिलेगी। चौपाल के आसपास भगवान राम का पुष्पक विमान, रामसेतु व साथ में अयोध्या नगरी को भी दिखाया जाएगा।
लोक कलाकारों की चौपाल
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इस बार सूरजकुंड मेले में तकरीबन 25 देशों के लोक कलाकार भाग लेने जा रहे हैं। यानी, इस मेले में भारतीय संस्कृति के साथ-साथ विश्व भर की तमाम संस्कृतियों का मिश्रण दिखाई देगा। ये कलाकार अपनी अद्भुत कला का प्रदर्शन करेंगे। यहां आपको भारतीय लोक नृत्य जैसे भांगड़ा, कालबेलिया, बिहू, भरतनाट्यम आदि देखने का अवसर मिलेगा। बता दें कि इस बार SAARC देशों को भी इस मेले में आमंत्रित किया गया है।
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लजीज व्यंजनों का रंग
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भारत के अलग-अलग राज्य अपने पारंपरिक खानपान के लिए जाने जाते हैं, जैसे राजस्थान दाल बाटी चूरमा, जोधपुर की मावा कचौड़ी, बंगाल का रसगुल्ला, उत्तर प्रदेश की बर्फी आदि। इस मेले में आपको भारत के अगल अलग राज्यों के पारंपरिक लजीज व्यंजनों के साथ विदेशी व्यंजनों का लुफ्त उठाने का मौका भी मिलेगा।
कहां घूमें आसपास
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सूरजकुंड मेला दिल्ली के पास फरीदाबाद के सूरजकुंड में लगता है, अगर आप चाहें तो मेले के साथ-साथ, दिल्ली स्थित ऐतिहासिक इमारतों, स्मारक व किलों की सैर का आनंद ले सकते हैं। देश-विदेश से आने वाले सैलानी दिल्ली में ज्यादा घूमना पसंद करते हैं। अगर आपके पास घूमने के लिहाज से ज्यादा समय है, तो आप लाल किला, कुतुबमीनार, जामा मस्जिद, बंगला साहिब, लोधी गार्डन, पुरानी दिल्ली, इंडिया गेट आदि की सैर का आनंद ले सकते हैं।
कैसे करें प्रवेश
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सूरजकुंड मेले का हिस्सा बनने के लिए आपको ज्यादा मशक्कत करने की जरूरत नहीं । आप दिल्ली से डायरेक्ट फरीदाबाद के लिए बस ले सकते हैं। दिल्ली से फरीदाबाद की दूरी लगभग 50 किमी की है। फरीदाबाद से आप बस, टैक्सी या स्थानीय परिवहन के जरिए सूरजकुंड तक पहुंच सकते हैं। हवाई मार्ग के लिए आप दिल्ली हवाई अड्डे का सहारा ले सकते हैं। बता दें कि इस मेले में शामिल होने के लिए आपको निर्धारित शुल्क का भुगतान करना होगा।