भारत का हिन्दू समाज असंख्य देवी-देवताओं की पूजा करता है। इन देवी-देवताओं से हिन्दुओं की गहरी आस्था जुड़ी है। इसलिए आपको भारत भूमि की हर दिशाओं में छोटे-बड़े अनेकों मंदिर देखने को मिलेंगे। इन मंदिरों में पूरे विधि विधान के साथ भगवानों की पूजा की जाती है। और यह बात सभी जानते हैं कि पूजा-अर्चना के हकदार सिर्फ भगवान होते हैं।
लेकिन आपको जानकर आश्चर्च होगा कि भारत में कुछ मंदिर ऐसे भी हैं जहां भगवानों की पूजा नहीं बल्कि उन पौराणिक पात्रों की पूजा की जाती है, जिन्हें समाज ने भगवान का दर्जा नहीं दिया है। आज हमारे साथ जानिए भारत के उन अद्भुत मंदिरों के बारे में जहां महाभारत के अच्छे पात्रों से लेकर बुरे पात्रों तक की पूजा की जाती है।
गांधारी का मंदिर
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महाभारत की पात्र गांधारी का असामान्य मंदिर मैसूर के हेब्बिया गांव में स्थित है। यह मंदिर महाभारत के सौ कौरव भाईयों की माता गांधारी को समर्पित है। जिसकी यहां देवी के रूप में पूजा की जाती है। गांधारी अपने पुत्रों विशेषकर दुर्योधन को लेकर अंध प्रेम था। गांधारी धृतराष्ट्र की पत्नी थी। गांधारी को आपने महाभारत में आंखों में पट्टी बांधे जरूर देखा होगा, लेकिन वो अंधी नहीं थी।
अपने आखों से विकलांग पति की वजह से गांधारी ने आंखों पर पट्टी बांधकर रहने की कमस खाई थी। इस अद्भुत मंदिर में गांधारी को ज्ञान की देवी के रूप में पूजा जाता है। यह मंदिर 2.5 करोड़ की लागत से 2008 में बनाया गया था।
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दुर्योधन का मंदिर
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यह जानकर आप जरूर चौक गए होंगे कि भारत में दुर्योधन जैसे बुरे पात्र का भी मंदिर मौजूद है। केरल में पोरुवाज़ी पेरुविरुथी मालनदा नाम का दुर्योधन को समर्पित एकमात्र मंदिर है। यह भारत के सबसे असामान्य मंदिरों में से एक है, क्योंकि दुर्योधन को हमेशा हिंदू पौराणिक कथाओं में एक बुरे चरित्र के रूप में ही देखा गया है। धार्मिक कथा के अनुसार पांडवों का पता लगाने के लिए दुर्योधन ने दक्षिणी जंगलों की यात्रा की थी और केरल के मैलानादा पहाड़ी पर पहुंचा था।
उस दौरान स्थानीय लोगों से साथ कुछ सकारात्मक घटानाएं घटीं जिसके बाद दुर्योधन को यहां के लोग भगवान की तरह पूजने लगे।
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कर्ण का मंदिर
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महाभारत के वीर योद्धा कर्ण को समर्पित यह मंदिर उत्तराखंड में स्थित है। महाभारत के अनुसार कर्ण कुंती का बड़ा पुत्र था, जिसका जन्म उस वक्त हुआ जब कुंती अविवाहित थी। लोक लाज के चलते कुंती ने कर्ण को नदी में प्रवाहित कर दिया था। कर्ण भले ही कौरवों के साथ लड़े पर वो उनसे कहीं ज्यादा दलालू और शक्तिशाली थे।
उनकी सबसे अलग खासियत थी वे बिना सोच-समझे किसी के भी मांगने पर अपनी चीजें दान कर दिया करते थे। इसलिए उन्हें दानवीर कर्ण का दर्जा प्राप्त हुआ। इसी उदारता के चलते इस मंदिर का निर्माण करवाया गया था।
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शकुनी का मंदिर
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इस अनोखे मंदिर के बारे में शायद आपने कभी सोचा हो...महाभारत के सबसे धूर्त पात्र माने जाने वाले शकुनी का भी मंदिर भारत में मौजूद है। यह अद्भुत मंदिर केरल के पविथ्थेश्वरम में स्थित है। भारत के एकमात्र इस अद्भुत मंदिर के प्रांगण में रखे ग्रेनाइट के पत्थर को शकुनी का सिंहासन समझा जाता है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार महाभारत की लड़ाई के बाद इसी स्थान पर आकर भगवान शिव के आशीर्वाद के साथ शकुनी को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी।
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भीष्म का मंदिर
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उपरोक्त महाभारत के पात्रों के अलावा भारत (इलाहाबाद) में भीष्म पितामह को समर्पित एक मंदिर भी स्थित है। इस दुर्लभ मंदिर का निर्माण जे आर भट्ट नाम के एक वकील ने करवाया था। इस मंदिर में गंगा पुत्र भीष्म पितामह की एक मूर्ति है जो तीरों के बिस्तर पर लेटे हुए हैं।
यह मंदिर सन् 1961 में बनकर पूरा हुआ था। इस मंदिर में श्रद्धालु ज्यादातर पितृ पक्ष के दौरान आते हैं, जहां वे अपने पूर्वजों के लिए प्रार्थना करते हैं।
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