बेंगलुरुवासियों के बीच नंदी हिल एक प्रसिद्ध वीकेंड गेटवे है, हालांकि अब यह काफी पुरानी और भीड़भाड़ वाली जगह हो चुकी है। अगर आप वीकेंड के लिए किसी शांत जगह की तलाश में हैं। थत्तेकेरे की सैर करें, जहां जाकर आप खुद को प्रकृति के करीब भी महसूस करेंगे, साथ ही और भी कुछ एडवेंचर्स भी है, जिसे आपने शायद आपने अभी तक अनुभव ना किया हो ।
थत्तेकेरे बैंगलूर से करीबन 40 किमी की दूरी पर स्थित एक अनुसना और कम घूमा हुआ वीकेंड गेटवे हैं, खासकर यह जगह फोटोग्राफी लवर्स और पक्षियों को निहारने वालों के लिए वर्ग से कम नहीं है । यहां आप सुबह सवेरे जाकर उगते हुए सूरज और रंग बिरंगे पक्षियों को निहार सकते हैं।
थत्तेकेरे कनकपुरा तालुक में स्थित है,जोकि रामनगर जिले में आता है । इस गांव को यह नाम इस झील से मिला है, थत्ते का मतलब होता है प्लेट और केरे का मतलब कन्नड़ भाषा में होता है झील।
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थत्तेकेरे झील बन्नेरुघट्टा जैव उद्यान यात्रा के हाथी गेट के पास स्थित है । यह जगह रंग बिरंगे पक्षियों को देखने के लिए काफी लोकप्रिय है। थत्तेकेरे बन्नेरुघट्टा हाथी कॉरिडोर में स्थित है, इस जगह की यात्रा करते हुए आपको थोड़ी सी सतर्कता बरतनी की जरूरत होती है।
बेहतर होगा की,आप इस जगह से दूर ही रहें। अगर आप हाथी की आवाज को सुनते हैं, तो बेहतर होगा कि अप इस जगह को जल्द ही छोड़ दे या फिर जल्दी से निकल जाएँ। अगर आप हाथियों के साथ कुछ समय बिताना चाहते हैं, दूबे हाथी शिविर की यात्रा करें जहां अप हाथियों नहला सकते हैं,साथ ही केले आदि भी खिला सकते हैं।
कब घूमे थत्तेकेरे झील?
इस झील को घूमने का उचित समय तडके सुबह है, इस दौरान आप उगते हुए सूज की किरणों को झील में देख सकते हैं। साथ ही सुबह सुबह यहां पक्षियों को उड़ते हुए देखा जा सकता है,जिन्हें आप अपने कैमरे में कैद करना कतई ना भूलें।
मुथाला मदुवु
थत्तेकेरे के बाद आप मुथाला मदुवु घूम सकते हैं, जिसे प्रल घाटी के नाम से जाना जाता है। इस खूबसूरत जगह आप हरे भरे पहाड़ और झरनों को देख सकते हैं। जिस तरह पानी झरने से नीचे गिरता है, वह एकदम मोतियों जैसा प्रतीत होता है,जिस कारण इस मोतियों की घाटी भी कहा जाता है। झरने के पास एक भगवान शिव को समर्पित एक मंदिर भी है,जहां रोज सुबह-शाम पूजा की जाती है।