कश्मीर ग्रेट लेक भारत का सबसे बढिया ट्रैक है। ये ट्रैक दूसरों से इसलिए अलग है क्योंकि यहां पहाड़ों में एक नहीं बल्कि पांच झीलें बहती हैं। प्राकृतिक सौंदर्य के बीच ऐसा मज़ा और कहीं उठाने का मौका कम ही मिलता है।
प्रत्येक झील दूसरी ये ज्यादा आकर्षिक और प्राकृतिक सौंदर्य को लेकर ये सभी एक-दूसरे को कड़ी टक्कर देती हैं। खास बात ये है कि ये सभी झीलें एक दूसरे के बाद आती है और इस कारण आप हर एक झील के सौंदर्य को अलग से निहार सकते हैं।
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झीलों से ऊपर पहाड़ों की ओर जाते हुए आपको थोड़ी-थोड़ी बर्फ भी दिखाई देगी। झीलों के नीले रंग के पानी में आपको आइसबर्ग भी तैरते हुए दिखाई दे सकते हैं।
ट्रैक की शुरुआत सोमार्ग से होती है जहां पर कई ढलाने भी पड़ती हैं। इसके बीच में मैपल और ताड़े के पेड़ों का घास का मैदान भी पड़ता है जोकि आपको कश्मीर का एक अलग ही रूप दिखाएगा।
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इस घास के मैदान में सनौबर के पेड़ों के बीच चरवाहों की कई झोपडियां भी हैं। हरी घासे भरा ये मैदान 40 फीट चौड़ा हहै और याहं पर मुख्य जल स्रोत भी है। आगे चलकर आपको घने जंगलों में सूर्य की किरणें नज़र आएंगी। ये नज़ारा बेहद खूबसूरत लगता है।
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नदी की घाटी के पास पहुंचने पर आपको दो पर्वत श्रृंख्लाओं के बीच एक अन्य घास का मैदान दिखाई देगा। यहां आपको शांति का अहसास भी होगा।
विशनसर और किशनसर की दो जुड़वा झीलें
विशनसर झील के निकट जाकर आपके दिमाग में जो सबसे पहले चीज़ आएगी वो है झील का आकार। चाप पहाडों के नीचे बहती इस झील का रंग समय के अनुसार बदलता रहता है। बादलों और झील के पानी का रंग दिन के समय के अनुसार बदलता रहता है।
प्रात:काल के समय जब चारों ओर सूर्य अपनी रोशनी फैलाता है तो इसका पानी बेरंग हो जाता है। दिन बढने के साथ पानी नीला होने लगता है और शाम को झील का पानी हरे रंग का हो जाता है। रंग चाहे जो भी हो, इस झील का नज़ारा अद्भुत रहता है।
किशनसर झील किशनसर चोटि के मूल में बहती है। इस नीले रंग की झील का आकार भी बहुत बड़ा है। झील के दाहिने ओर एक घास का मैदान है जो आगे जाकर एक-दूसरे से मिल जाते हैं।
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गडसर की सुंदरता
बर्फ से ढकी चट्टानों के मूल में बहती गडसर झील के एक ओर नीले रंग के फूल खिले हैं तो वहीं दूसरी ओर से इस झील में बर्फ गिरती है। गडसर झील के पास एक अन्य झील भी स्थित है जिसे यमसर कहा जाता है। मृत्यु के देवता यमराज के नाम पर इस झील का ये नाम रखा गया है।
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यमसर और गडसर
यमसर और गडसर एकसाथ जुड़कर एक ही धारा में बहती हैं। एक ऊंची झील का पानी नीचे की झील में आकर मिलता है जोकि देखने में बेहद अद्भुत लगता है। यहीं से बर्फीले पहाड़ भी बंजर पर्वतों के बीच में से अपना रास्ता बनाते हुए दिखाई देते हैं।
नंदकोल और गंगाबल झील
थोड़ी सी चढ़ाई और फिर ढलान और फिर लंबी खड़ी चढ़ाई के बाद आती हैं दो जुड़वा झीलें गंगाबल और नंदकोल। ये दोनों झीलें एक-दूसरे के बाद आती हैं। ध्यान से देखें तो आपको नीले पानी की इन दो झीलों में से गंगाबल बड़ी दिखाई देगी।
नंदकोल झील के आधार पर ही हरमुख शिखर खड़ा है। मछली पकड़ने के लिए ये दोनों ही झीलें काफी मशहूर हैं। शिखर के चट्टानी हिस्से से आपको हरमुखर ग्लेशियर भी नज़र आएगा।PC:Mehrajmir13