औरंगाबाद को सिटी ऑफ गेट्स के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस शहर के आसपास कई बड़े द्वार और मेहराब हैं। महाराष्ट्र के सबसे बड़े राज्यों में औरंगाबाद का नाम चौथे स्थान पर आता है।इस शहर को 1610 में मलिक अंबर ने बसाया था। इस शहर को ये नाम मुगल बादशाह औरंगजेब से मिला है। यहां पर कई ऐतिहासिक इमारतें हैं।
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इस शहर को मलिक अंबर द्वारा खदकी नाम दिया गया था। लेकिन 1626 में उनकी मृत्यु के बाद उनके बेटे फतेह नगर ने इस पर राज किया और इसे फतेह नगर का नाम दिया। बाद में 1653 में इस शहर पर औरंगजेब का कब्जा हुआ है और उसने इसे औरंगाबाद नाम दिया।
शुरुआती बिंदु : मुंबई
गंतव्य : औरंगाबाद
औरंगाबाद आने का बेहतर समय
इस शहर में सालभर में कभी भी घूमने आ सकते हैं। हालांकि अक्टूबर से मार्च के बीच औरंगाबाद का मौसम सुहावना रहता है इसलिए इस बीच यहां घूमने में ज्यादा मज़ा आता है। अक्टूबर से मार्च के बीच औरंगाबाद में ठंड का मौसम रहता है इसलिए आप आराम से शहर घूम सकते हैं।
PC: Sreeji Nair
मुंबई से औरंगाबाद कैसे पहुंचे
वायु मार्ग द्वारा : इस शहर का प्रमुख हवाई अड्डा औरंगाबाद एयरपोर्ट है। ये एयरपोर्ट देशभर के सभी प्रमुख हवाई अड्डों से जुड़ा हुआ है जैसे दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, बेंगलुरु आदि।
रेल मार्ग द्वारा : औरंगाबाद का औरंगाबाद रेलवे स्टेशन प्रमुख है एवं ये रेलवे स्टेशन महाराष्ट्र के अन्य शहरों से जुड़ा हुआ है। यहां पर बेंगलुरु,चेन्नई और तिरुवनंतपुरम आदि से नियमित ट्रेनें चलती हैं।
सड़क मार्ग : औरंगाबाद आने का सबसे बढिया साधन सड़क मार्ग है। औरंगाबाद के लिए कई प्रमुख शहरों जैसे पुणे, मुंबई, शिर्डी आदि से कई बसें चलती हैं। मुंबई से औरंगाबाद शहर 333 किमी दूर है।
शिर्डी में रूकें
हिंदुओं के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक शिर्डी में शिर्डी साईं बाबा का मंदिर है। 19वीं सदी में इस शहर में साईं बाबा रहे थे और यहीं पर उन्होंने अपनी आखिरी सांस भी ली थी। इस मंदिर को शिर्डी साईं बाबा संस्थान ट्रस्ट द्वारा संभाला जाता है और ये देश के सबसे अमीर मंदिरों में से एक है।PC:Andreas Viklund
शिर्डी साईं बाबा के दर्शन
इस मंदिर में हर रोज़ 25,000 से भी ज्यादा श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं। त्योहार या किसी खास अवसर पर यहां आने वाले भक्तों की संख्या 1 लाख के पार हो जाती है।
मुख्य मूर्ति के अलावा यहां और भी कई अन्य दर्शनीय स्थल जैसे बाबा छावड़ी, गुरुस्थान, द्वारकामाई इंपोरियम आदि हैं।
औरंगाबाद
औरंगाबाद शहर पर्यटकों के बीच बहुत मशहूर है। यहां पर पर्यटकों के लिए कई इमारते, विश्व धरोहर स्थल आदि हैं। इसी वजह से इस शहर को महाराष्ट्र की पर्यटन राजधानी कहा जाता है।
टूरिज्म के अलावा औरंगाबाद शहर इंडस्ट्रियल हब भी माना जाता है और कपड़ों के व्यापार के लिए भी ये प्रमुख है। ये शहर हाथ से बुनी गई हिमरू और पाईथानी की साड़ियों के लिए मशहूर है।
PC:Nitin Goje
अजंता और एलोरा की गुफाएं
यहां का प्रमुख आकर्षण यूनेस्को की विश्व धरोहर की सूची में शामिल अजंता और एलोरा की गुफाएं हैं जोकि औरंगाबाद शहर से 96 किमी दूर स्थित है।
एलोरा समूह में 34 गुफाएं हैं जिन्हें पांचवी और दसवीं शताब्दी में बनवाया गया था। इन्हें राष्ट्रकूट राजवंश द्वारा बनवाया गया था।PC:Jorge Láscar
अंजता और एलोरा की गुफाएं
पर्वत के बीच का संकुचित मार्ग पर बनीं अजंता सूमह की 30 गुफाओं को दूसरी और पांचवी शताब्दी में सतवाहना, चालुक्य और वाकटका राजवंश द्वारा बनवाया गया था। दोनों ही गुफाएं भारतीय कला और वास्तुकला का उत्कृष्ट और दुर्लभ नमूना है।PC: Youri
बीबी का मकबरा
बीबी का मकबरा मंगल बादशाह औरंगजेब की बेगम दिलरस बानो बेगम का मकबरा है। ये मकबरा आगर के ताजमहल की प्रतिकृति है एवं इस वजह से इसे दक्कन का ताजमहल भी कहा जाता है। औरंगाबाद शहर के केंद्र से ये मकबरा महज़ 7 किमी दूर स्थित है।PC: Sameer g
दौलताबाद किला
औरंगाबाद शहर से 17.4 किमी दूर है दौलताबाद किला जोकि सबसे शक्तिशाली किलों में से एक है। इसे 12वीं शताब्दी में यादव राजवंश के राजाओं द्वारा बनवाया गया था।
भारत पर ब्रिटिशों के कब्जे के बाद ये किला भी उनके आधिपत्य में चला गया था। ये किला पहाड़ी पर 200 मीटर की ऊंचाई पर बना है और इसका प्रयोग सुरक्षा कारणों से किया जाता था।
गृश्णेश्वर मंदिर
भारत के 12 ज्योर्तिलिंगों में से गृश्णेश्वर मंदिर भी एक है। इस मंदिर को 18वीं शताब्दी में बनवाया गया था और इसमें आप मराठा और भूमिजा की निर्माण शैली की झलक देख सकते हैं। ये मंदिर औरंगाबाद से 30 किमी दूर स्थित है।
औरंगाबाद की गुफाएं
औरंगाबाद से औरंगाबाद का ये गुफा मंदिर लगभग 9 किमी दूर स्थित है। इसे छठी से आठवीं शताब्दी में बनवाया गया था।
ये गुफाएं 12 चट्टानों को काटकर बनाए गए 12 मठ हैं जिनमें पहली शताब्दी की बौद्ध से संबंधित कलाकृतियां रखी गई हैं। इनमें से कुछ गुफाएं अजंता की गुफाओं के समानांतर हैं।PC:Ms Sarah Welch
सोनेरी महल
औरंगाबाद से 8 किमी दूर स्थित अन्य ऐतिहासिक संरचना है सोनेरी महल। इसे गोल्डन पैलेस के नाम से भी जाना जाता है और ये बी.आर अंबेडकर मराठवाड़ा यूनिवर्सिटी के कैंपस के अंदर स्थित है।
इस महल से सतारा पहाडियों का खूबसूरत नज़ारा दिखाई देता है और ये पत्थरों और चूने से बना है।