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गुज़रे इतिहास और वास्तु में रूचि रखने वालों के लिए दिल्ली के लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण

By Super

एक ट्रैवलर के लिए भारत की यात्रा अपने आप में एक अनोखा अनुभव है, और इसकी राजधानी दिल्ली की सैर भी अपने आप में एक कभी न भूलने वाला अनुभव है भारत के सबसे बडे शहरों में से एक दिल्ली, प्राचीनता और आधुनिकता का सही संयोजन है, जो आज एक उद्योगिक गोले की जादुई दुनिया बन गई है। ज्ञात हो कि दिल्ली भारत का सबसे प्राचीन नगर है जिसके इतिहास का प्रारम्भ सिन्धु घाटी सभ्यता से जुड़ा हुआ है।

Read in English: Explore the Stunning Historical Monuments in Delhi

मुंबई के बाद दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला शहर दिल्ली जहां अपने ग्लैमर के लिए जाना जाता है तो वहीं ये शहर उनके लिए भी ख़ास रहा है जिन्हें इतिहास में दिलचस्पी और वास्तु में इंटरेस्ट है। इस मंत्रमुग्ध कर देने वाली नई और पुरानी दिल्ली के मिश्रण में, आपको भारत का इतिहास, संस्कृति और विस्मित चीजों का संकलन मिलेगा।

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आपको बताते चलें कि दिल्ली के इतिहास की तरह दिल्ली की संस्कृति भी बडी विविध है और वर्तमान में आपको यहां सभी प्रमुख धर्मों और उन धर्मों से जुड़ी संस्कृतियों के दर्शन हो जाएंगे। तो इसी क्रम में आज हम अपने इस आर्टिकल के जरिये आपको अवगत कराने जा रहे हैं दिल्ली के उन पर्यटक आकर्षणों से जिन्हें आपको अपनी दिल्ली यात्रा पर अवश्य देखना चाहिए। ऑफर : फ्लाइट और ट्रैवल पर पाएं 50 % तक की छूट

चौसठ खंभा

चौसठ खंभा

चौसठ खंभा दिल्ली में स्थित एक कब्र है जिसका निर्माण बादशाह अकबर के प्रधानमंत्री अतागा खान के बेटे मिर्ज़ा अज़ीज़ कोका ने स्वयं की कब्र के लिए वर्ष 1623 - 24 के दौरान करवाया था। चौसठ खंभा का नाम उर्दू के दो शब्दों चौसठ और खंभा से पड़ा है जिसका क्रमश: अर्थ है ‘64 स्तंभ' तथा जिसका निर्माण दिल्ली में जहाँगीर के शासनकाल में हुआ था। हज़रत निज़ामुद्दीन बस्ती में स्थित चौसठ खंभा एक वर्गाकार संरचना है जो सफ़ेद संगमरमर और 64 स्तंभों से बनाई गई है जो 25 खण्डों को सहारा देते हैं जिनमें से प्रत्येक एक गुंबद को सहारा देता है। ये गुंबद इमारत में अंदर की ओर स्थित हैं जिसकी छत बाहर से सपाट दिखती है।

Photo Courtesy: Varun Shiv Kapur

जामा मस्जिद

जामा मस्जिद

जामा मस्जिद भारत की सबसे पुरानी और सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक है। इस मस्जिद को सम्राट शाहजहां द्वारा बनवाया गया था। इस मस्जिद का निर्माण 1650 में शुरू किया गया था जो 1656 में पूरा हुआ। ये मस्जिद चोवरी बाज़ार रोड पर स्थित है। मस्जिद पुरानी दिल्ली के मुख्य आकर्षणों में से एक है। इस विशाल मस्जिद में 25,000 भक्त एक साथ प्रार्थना कर सकते हैं। इसमें तीन राजसी द्वार हैं, 40 मीटर ऊंची चार मीनारें हैं जो लाल बलुआ पत्थरों एवं सफ़ेद संगमरमर से बनी हुई हैं। इस मस्जिद में सुंदरता से नक्काशी किये गए लगभग 260 स्तंभ हैं जिनमें हिन्दू एवं जैन वास्तुकला की छाप दिखाई देती है।

Photo Courtesy: Saad Akhtar

कश्मीरी गेट

कश्मीरी गेट

कश्मीरी गेट या कश्मेरे गेट दीवारों वाले दिल्ली शहर में प्रवेश करने के लिए एक दरवाजा है। यह गेट (दरवाज़ा) शाहजहानाबाद शहर (जिसे अब पुरानी दिल्ली कहा जाता है) के उत्तर में स्थित है। इस गेट का निर्माण सैन्य अभियांत्रिक (इंजीनियर) रोबर्ट स्मिथ ने 1835 में करवाया था। इसका नाम कश्मीरी गेट इसलिए पड़ा क्योंकि यह उस रास्ते का गलियारा था जो रास्ता कश्मीर को जाता है। इस गेट ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में एक मुख्य भूमिका निभाई थी। यही वह स्थान है जहाँ भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों एवं अंग्रेजी सेना के मध्य युद्ध हुआ था अंततः जिसमें भारत ने 1857 में दिल्ली में पुन: सत्ता प्राप्त की। इस गेट के चारों तरफ का क्षेत्र भी इसी नाम से जाना जाता है।

Photo Courtesy: Varun Shiv Kapur

खूनी दरवाजा

खूनी दरवाजा

खूनी दरवाजा नाम इससे सम्बन्धित कहानियों के समान अजीबो-गरीब है। खूनी दरवाजा बहादुरशाह जफर मार्ग पर दिल्ली गेट के निकट स्थित है। मुस्लिम शूर साम्राज्य के संस्थापक शेरशाह सूरी द्वारा बनवाये गये फिरोज़ाबाद के लिये इस द्वार को बनवाया गया था जिसे काबुली बाज़ार के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि अफ्गानिस्तान से आने वाले लोग इस द्वार से गुजरते थे। यह 15.5 मीटर ऊँचा दरवाजा दिल्ली के क्वार्टज़ाइट पत्थर का बना है। खूनी दरवाजे में तीन स्तर हैं जिनपर इसमें स्थित सीढ़ियों के माध्यम से पहुँचा जा सकता है। ऐसा भी कहा जाता है कि जब 1739 में पारस के राजा नादिर शाह ने दिल्ली को लूटा था तब इस गेट पर बहुत रक्तपात हुआ था। आज यह दरवाजा भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित स्मारक है।

Photo Courtesy: Karthi.dr

मोठ की मस्जिद

मोठ की मस्जिद

मोठ की मस्जिद या मस्जिद मोठ जिसका वस्तुतः अर्थ "दाल मस्जिद" है। इसे 1505 में वज़ीर मियां भोइया ने बनवाया था, जो सुल्तान सिकंदर लोदी के शासनकाल में प्रधान मंत्री थे। यहाँ के विस्तृत क्षेत्र में दाल की खेती से हुई आय द्वारा इस मस्जिद का निर्माण हुआ था। इसीलिए इस मस्जिद का नाम मोठ की मस्जिद पड़ा। दाल के बीज प्रधानमंत्री को सुलतान सिकंदर लोदी ने प्रदान किये थे। इस मस्जिद की नींव स्वयं सिकंदर लोदी ने रखी थी और कहा जाता है कि यह मस्जिद मियाँ भोइया की निजी मस्जिद थी। यह मस्जिद अपनी भारतीय - इस्लामिक वास्तुकला के लिए जानी जाती है। लाल पत्थरों से बनी इस मस्जिद में जालीदार नक्काशी वाली खिड़कियाँ, अष्टकोणीय स्मारक, एक छोटा अर्धवृत्ताकार गुंबद, खुले मेहराब एवं दो मंजिला बुर्ज हैं।

Photo Courtesy: Varun Shiv Kapur

कुतुब मीनार

कुतुब मीनार

दिल्ली स्थित क़ुतुब परिसर की ये सबसे प्रसिद्ध संरचना है। यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर के रूप में यह देश की सबसे ऊँची मीनार है जिसकी ऊँचाई 72.5 मी है। कुतुब मीनार को 1193 से 1368 के बीच कुतुब-उ-दीन- ऐबक ने विजय स्तम्भ के रूप में बनवाया था। स्थापत्य कला की यह अद्भुत मिसाल अच्छी तरह से संरक्षित है और भारत की एक देखने वाली संरचना है।

Photo Courtesy: Swaminathan

सफदरजंग का मकबरा

सफदरजंग का मकबरा

दिल्ली स्थित सफदरजंग का मकबरा दिल्ली की आखिरी संलग्न कब्र है। इस मकबरे का निर्माण वर्ष 1753 में अवध के नवाब शुजा उद दौला द्वारा अपने पिता के सफदरजंग की याद में बनवाया गया था। मकबरा एक सफेद समाधि है जो मुगल वास्तुकला का अंतिम चिराग माना जाता है। इस 300वर्ग किलोमीटर स्मारक का प्रवेश द्वार प्रभावशाली आकृति के साथ सुंदर लाल बलुआ पत्थर से निर्मित किया गया है।कब्र का केंद्रीय हिस्सा अपने रंगों के भव्य प्रदर्शन के साथ आपकी आंखों को सुकून देगा जिसे देखकर दांग रह जाएंगे आप। इस मकबरे में स्थित नौ अन्य मिनी कब्रें भी आपका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करेंगी जिनको देखकर आप मंत्रमुग्ध हो जाएंगे । ये मकबरा प्राचीन मुग़ल वास्तुकला की एक जिंदा मिसाल है जो बहुत ही खूबसूरत है।

Photo Courtesy: Neel.kapur

अग्रसेन की बावडी

अग्रसेन की बावडी

दिल्ली में अग्रसेन की बावडी एक अद्वितीय और रोचक स्मारक है। शहर की ऊँची और आधुनिक इमारतों से ग्रहणग्रस्त, केवल कुछ ही लोग राष्ट्रीय राजधानी के क्षेत्र में इस ऐतिहासिक सीढीदार कुएं के बारे में जानते हैं। अग्रसेन की बावडी एक ऐतिहासिक स्मारक है जिसकी देखभाल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण करता है। कनॉट प्लेस के पास हैली रोड़ पर स्थित यह 15 मीटर चौड़ा और 60 मीटर लंबा कलात्मक सीढीदार कुआँ है। यह सोचा गया कि इसका निर्माण करवाने वाले व्यक्ति के बारे में कोई नहीं जानता परंतु किवदंती है कि इसका निर्माण महाभारत काल के महान राजा अग्रसेन ने करवाया था और अग्रवाल समुदाय के सदस्यों द्वारा 14 वीं शताब्दी में इसका पुन:निर्माण करवाया गया।

Photo Courtesy: Varun Shiv Kapur

फिरोज शाह कोटला

फिरोज शाह कोटला

फिरोज शाह कोटला एक किला है, जिसे 1360 में फिरोज शाह तुगलक ने बनवाया था, उस समय उन्‍होने दिल्‍ली के पांचवे शहर की स्‍थापना की थी। किले के अवशेषों के साथ - साथ जामा मस्जिद और अशोक स्‍तम्‍भ के बचे अवशेष भी फिरोजाबाद में स्थित हैं। फिरोज शाह कोटला, यमुना नदी के तट पर स्थित है। यह जगह ज्‍यादातर अशोक के स्‍तंभ के कारण प्रसिद्ध है जो तीन मंजिला संरचना है। कहा जाता है कि इस 13 मीटर ऊंचे खंभे को फिरोज शाह कोटला के द्वारा मेरठ से लाया गया था, जिसे सम्राट अशोक ने बनवाया था। इस खंभे का मुख्‍य उद्देश्‍य अशोक के अन्‍य स्‍तंभों की तरह जनता के बीच बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार करना है।

Photo Courtesy: Aditya somani

हौज़ खास परिसर

हौज़ खास परिसर

दक्षिण दिल्ली में स्थित हौज़ खास परिसर कई इमारतों का एक संग्रह क्षेत्र है। इस परिसर के अन्दर एक मकबरा, एक इस्लामिक गोष्ठीगृह, एक मस्जिद, एक कुण्ड और मध्यकालीन इतिहास वाले ग्रामीण परिवेश के चारों ओर कई मण्डप जैसे रोचक आकर्षण पाये जाते हैं। हौज़ खास अलाउद्दीन खिलजी वंश के द्वितीय मध्यकालीन शहर सीरी का भाग था। वर्तमान में यह एक हिरण पार्क और सफ्दरजंग विकास क्षेत्र के पास स्थित है और सड़क तथा रेल मार्गों से आसानी से जुड़े होने कारण एक बहुत ही रोचक पर्यटक आकर्षण है।

Photo Courtesy: Varun Shiv Kapur

हुमायूँ का मकबरा

हुमायूँ का मकबरा

मुगल सम्राट हुमायूँ का मकबरा दिल्ली के प्रसिद्ध पुराने किले के पास स्थित है। इस मकबरे को हुमायूँ की याद में उनकी पत्नी हामिदा बानो बेगम द्वारा ने सन् 1562 में बनवाना शुरू किया था जबकि संरचना का डिज़ाइन मीरक मिर्ज़ा घीयथ नामक पारसी वास्तुकार ने बनाया था। मकबरे को हुमायूँ की मृत्यु के नौ साल बाद बनवाया गया था। दिल्ली का हुमायूँ का मकबरा लोधी रोड और मथुरा रोड के बीच पूर्वी निज़ामुद्दीन के इलाके में स्थित एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण है और 1993 में इसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर के रूप में घोषित किया गया तथा भारत में मुगल स्थापत्य कला का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है।

Photo Courtesy: Arian Zwegers

जन्तर-मन्तर

जन्तर-मन्तर

दिल्ली का जन्तर-मन्तर एक आकर्षक स्थान है और यहाँ अवश्य जाना चाहिये। यह नक्षत्रशाला अपने कई अनोखे अंतरिक्ष विज्ञान सम्बन्धी उपकरण के लिये प्रसिद्ध है जो कि आधुनिक दिल्ली शहर में भी पाये जाते हैं। जन्तर-मन्तर को सन् 1724 में बनवाया गया था और यह जयपुर के महाराजा जयसिंह द्वारा बनवाये गये ऐसी ही पाँच जगहों में से एक है। महाराजा ने यह कार्य मुगल सम्राट मुहम्मद शाह के लिये किया जो कैलेन्डर और अंतरिक्षविज्ञान सम्बन्धी सारिणियों को संशोधित करना चाहते थे। अंतरिक्षविज्ञान सम्बन्धी सारिणियों को ठीक करने के उद्देश्य से बने जन्तर-मन्तर में सूर्य, चन्द्रमा और ग्रहों की गतियों का पूर्वानुमान लागाने सम्बन्धी तेरह अनोखे अंतरिक्षविज्ञान सम्बन्धी उपकरण हैं।

Photo Courtesy: Alex Sirota

जहाँपनाह

जहाँपनाह

जहाँपनाह शहर को मुहम्मद-बिन-तुगलक ने 1326-27 ईस्वी में बनवाया था। यह दिल्ली का चौथा मध्ययुगीन शहर था जिसे मंगोलों के लागातार हो रहे आक्रमण से बचने के लिये बनवाया गया था और वर्तमान में यह दक्षिणी दिल्ली में स्थित है। आजकल जहाँपनाह और कई किलों के साथ-साथ कई अन्य संरचनायें भी जीर्ण-क्षीण अवस्था में पाई जाती हैं क्योंकि मुहम्मद-बिन-तुगलक को अपने मूडीपन के कारण अपनी राजधानी को दिल्ली से दौलताबाद और वापस दौलताबाद से दिल्ली बदलते रहने के लिये जाना जाता है। इसके बावजूद भी जहाँपनाह घूमने के लिये एक पसंदीदा जगह है।

Photo Courtesy: Varun Shiv Kapur

तुगलकाबाद किला

तुगलकाबाद किला

तुगलकाबाद किला दिल्ली में एक बर्बाद किले है। जिसे तुगलक वंश के संस्थापक ग्यास - उद - दीन तुगलक द्वारा 1321 में बनवाया गया था। इस किले के निर्माण के एक रोचक इतिहास है। गाजी मलिक (जिन्होंने बाद ग्यास - उद - दीन तुगलक का शीर्षक ग्रहण) दिल्ली के खिलजी किंग्स का एक प्रमुख सामन्ती था एक बार राजाओं ने गाजी मलिक को छेड़ते हुए कहा की जब तुम राजा बनना तो एक किले का निर्माण कराना। गाजी ने इस बात को बहुत ही गंभीरता से लिया और राजा बनने के बाद इस किले का निर्माण कराया। तुगलकाबाद, जो दिल्ली के तीसरे शहर के रूप में जाना जाता था आज एक खंडहर में तब्दील हो चुका है। इस शहर का लेआउट आज भी आप यहाँ की सड़कों और शहर की अन्य सड़कों से देख सकते हैं। ये किला वर्तमान में कुतुब परिसर के पास स्थित है।

Photo Courtesy: harpreet singh

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